गुरुवार, 2 नवंबर 2023

जानकारी काल हिन्दी मासिक नवम्बर-2023

जानकारी काल 

   वर्ष-24,अंक-07,नवम्बर - 2023,पृष्ठ 51,मूल्य 2-50    

 

बिरसा मुण्डा (15 नवम्बर 1875 - 9 जून 1900) स्वतंत्रता सेनानी और मुंडा जनजाति के लोक नायक थे। बिरसा मुंडा ने जल, जंगल, जमीन और जनजाति की अस्मिता की रक्षा की। बहुत कम उम्र में ही अंग्रेजों के विरुद्ध हुंकार भरी और अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी। उन्होंने आदिवासी क्षेत्र की अकाल पीड़ित जनता की सहायता करने की ठान रखी थी। उन्होंने आदिवासी लोगों को संगठित किया और जागरूक किया।

बिरसा मुण्डा ने लोगों से ईसाई धर्म छोड़ कर एक ही भगवान को मानने को कहा,उन्होंने खुद को मसीहा बताते हुए ऐलान किया कि वे अपने लोगों को राज्य वापस दिलाने के लिए आए हैं । उन्होंने कहा कि अब विक्टोरिया रानी का राज खत्म हो गया है और मुण्डा राज शुरू हो गया है । मुण्डा उन्हें धरती बाबा कहने लगे थे।

 

संरक्षक

 श्रीमान कुलवीर शर्मा

कमहामंत्री समर्थ शिक्षा समिति

डॉ वी  एस नेगी

प्रोफेसर भगत सिंह कॉलेज सांध्य


 प्रधान संपादक व  प्रकाशक

 सतीश शर्मा 


 

 कार्यालय

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 नई दिल्ली 110012


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 संपादक मंडल

 सौरभ  शर्मा,कपिल शर्मा,

गौरव शर्मा,डॉ अजय प्रताप सिंह, करुणा ऋषि, डॉ मधु वैध,राजेश शुक्ल  


प्रकाशक व मुद्रक सतीश शर्मा के लिय ग्लैक्सी प्रिंटर-106 F,

कृणा नगर नई दिल्ली 110029, A- 214 बुध नगर इन्दर पूरी नई दिल्ली  110012 से प्रकाशित |


सभी लेखों पर संपादक की सहमति आवश्यक नहीं है पत्रिका में किसी भी लेख में आपत्ति होने पर उसके विरुद्ध कार्रवाई केवल दिल्ली कोर्ट में ही होगी 

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      अनुक्रमणिका


सम्पादकीय - 3  

दोस्तों से सीखें और सिखाएं- 4 लेख

जगदीश चंद्र बसु-विज्ञान के आकाशमे भारतीय पुरोधा- 7 लेख 

जो मेरी ये साङी है - 10 कविता 

भारत का नवोत्थान,हमारा नागरिक कर्तव्य- 11 लेख

कर्म क्या है - 14 लेख

रिसोर्ट मे विवाह - 16 लेख

प्रदेश से लौटने पर - 18 कविता

जन्म दिन माँ का - 19 कहानी 

पति पत्नी - 22 कहानी 

गुलाबो - 25 कहानी

संबन्ध - 27 गीत

बाल कोना - 28 कविता

सोने की चेन - 29 कहानी 

पांच दीप - 31 लेख

रमा एकादशी - 33 कथा

देव उठानी एकादशी - 34 कथा

वीरभद्रासन - 35 योग 

नवंबर माह के महत्वपूर्ण दिवस- 36 जानकारी

मैडम - 42 कहानी

नवंबर माह का पंचांग - 49 ज्योतिष 

छोटी कहानी - 50 कहानी







सम्पादकीय 

शरणागत हो जाना जाना पापों की मुक्ति है। परंतु वास्तव में केवल पापों से मुक्ति शरणागति का फल नहीं है। पापों से मुक्ति मोक्ष का फल है। शरणागति से मनुष्य मोक्ष के साथ-साथ भगवान के परम प्रेम को भी प्राप्त कर लेता है इसलिए भक्तों को पापों से अथवा दुखों से मुक्ति पाने की इच्छा नहीं रखकर केवल भगवान की शरण में चले जाना चाहिए। कुछ भी चाहने से कुछ ही मिलता है पर कुछ भी न जाने से सब कुछ मिलता है। इतना ही नहीं भगवान भी शरणागत भगत के बस में हो जाते हैं उसके ऋणी हो जाते हैं । भगवान का आश्रय लेना और अपने लिए कुछ न करना ही मोक्ष है। इसलिए साधक के लिए सबसे मूल्यवान वस्तु दो ही है भगवान का आश्रय और विश्राम। शरीर आदि पदार्थों का आश्रय पराश्रय है और क्रिया का आश्रय परिश्रम है । परमात्मा की प्राप्ति पदार्थ और क्रिया के द्वारा नहीं होती,प्रत्युत पदार्थ और क्रिया के संबंध विच्छेद से होती है।  जब साधक पराश्रय का त्याग करके भगवान का आश्रय लेता है और परिश्रम का त्याग करके विश्राम को अपनाता है तब उसका मानव जीवन सफल हो जाता है।शरीर के लिए विश्राम भोग है। इसलिए निद्रा के सुख को तामस कहा गया है। परंतु परमात्मा के लिए विश्राम करना साधन है; क्योंकि परमात्मा परम विश्राम स्वरूप है नित्य परमात्मा में सदा सर्वदा निरंतर स्थित रहना ही परमात्मा के लिए विश्राम करना है परमात्मा के लिए होने वाला विश्राम तामस नहीं होता प्रत्युत सात्विक होकर गुणातीत हो जाता है। पराश्रय परिश्रम तो संसार के लिए है, पर भगवान का आश्रय और विश्राम अपने लिए है। यदि किसी साधक का भगवान पर विश्वास ना हो प्रत्युत अपने पर विश्वास हो तो वह स्वाश्रय रहें को अपना सकता है।  यदि साधक का ना तो भगवान पर विश्वास हो न ही अपने ऊपर तो वह धर्म कर्तव्य कर्म का आश्रय अपना सकता है।  मैं भगवान का ही हूं भगवान ही मेरे हैं इसको स्वीकार कर लेना भगवान का आश्रय है मेरा कुछ नहीं है मुझे कुछ नहीं चाहिए इसको स्वीकार करने स्वयं का आश्रय है। पदार्थ और क्रिया केवल दूसरों की सेवा के लिए है इसको स्वीकार करना धर्म का आश्रय है।  भगवान का आश्रय भक्तियोग है । स्वयं का आश्रय ज्ञानयोग है धर्म का आश्रय कर्म योग है । यद्यपि भी तीनों ही योग मार्गो से पदार्थ और क्रिया रूप प्रकृति का आश्रय और सत्तामात्र में अपनी स्वत:सिद्धि स्थिति मोक्ष का अनुभव हो जाता है, तथा इन तीनों में भक्ति योग सर्वश्रेष्ठ है कारण की मूल में हम भगवान के ही अंश हैं भगवान आश्रय से मुक्ति के साथ-साथ भक्ति की भी प्राप्ति हो जाती है जो मानव जीवन का परम लक्ष्य है।

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज | 

अहं त्वं सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच:

सम्पूर्ण धर्मों को अर्थात् सम्पूर्ण कर्तव्य कर्मों को मुझमें त्याग कर तू केवल एक मुझ सर्वशक्तिमान, सर्वाधार परमेश्वर की ही शरण में आ जा। मैं तुझे सम्पूर्ण पापों से मुक्त कर दूँगा, तू शोक मत कर ।






दोस्तों से सीखें और सिखाएं

 दिलीप वसंत बेतकेकर


हम किससे और कितना सीखते हैं यह संस्कृत के विद्वानों द्वारा सुंदर रीति से प्रस्तुत किया गया है –

आचार्यात पादम आधत्ते, शिष्यः पादम स्वमेधया | पादम सब्रह्मचारिभ्यो, पादम काल क्रर्मेशु तु!!

(हम एक चौथाई भाग शिक्षकों से ग्रहण करते हैं, एक चौथाई स्वयं के परिश्रम से सीखते हैं, एक चौथाई समवयस्क बंधु, मित्रों आदि द्वारा, और एक चौथाई भाग जीवन के अनुभव द्वारा सीखते हैं।)

आज हम अपने अध्ययन में मित्रों की भूमिका कितनी है, और कैसे महत्त्वपूर्ण है इस का विचार करेंगे। उपरोक्त वर्णित सुभाषित के अनुसार मित्रों की सहायता एक चौथाई भाग की है जो बहुत है परन्तु इसका उपयोग अभी नहीं होता है।

कक्षा में शिक्षक व्याख्यान दे रहे होते हैं, उस समय कभी कभी हमारा ध्यान व्याख्यान से हटकर अन्यत्र भटक जाता है, अथवा कभी कभी शिक्षक के व्याख्यान का कुछ भाग हमारी समझ में नहीं आता, अथवा मन में कुछ शंकाएं, कुछ प्रश्न उभरते हैं, परन्तु कक्षा में खड़े होकर उसका निराकरण करने के लिए शिक्षक से पूछने का साहस नहीं होता। किसी भी स्थिति में नुकसान अपना ही होता है। ऐसे में पहले का भाग समझ में न आने से उस पर आधारित आगे का भाग समझना कठिन हो जाता है। परंतु ‘पादम स ब्रह्मचारिभ्यो’ को ध्यान में रखकर अपने वर्ग बंधुओं की 






मदद लेकर नुकसान को टाल सकते हैं।

इसीलिए अध्ययन की अनेक पद्धतियों में समूह चर्चा पद्धति उपयुक्त है। कक्षा में हमें न समझ में आने वाला अंश अपने मित्रों की समझ में बेहतर आया हो या जो मित्रों के समझ में जो अंश न समझ आया हो हमें अधिक अच्छा समझ आया हो। अपना ध्यान कक्षा में व्याख्यान की ओर न होगा उस समय मित्र का ध्यान उस ओर होगा, और उस मित्र का ध्यान न हो उस समय हमारा ध्यान व्याख्यान पर होगा। ऐसे में समूह चर्चा में एक दूसरे का ज्ञान आपस में प्राप्त होने में बहुत मदद मिलती है। अपने मन में उभरे हुए अन्य प्रश्न भी मित्रों के समूह चर्चा द्वारा निराकृत कर सकते हैं। ऐसे अनेक लाभ समूह चर्चा के हैं।

यदि हम दूसरों को सिखाएंगे तो वह हमसे आगे प्रगति कर जायेंगे ऐसी धारणा अनेक में होती है। किन्तु यह भाग निराधार है। वास्तव में तो हम यदि दूसरों को ज्ञान देंगे, समझाएंगे तो इसे हमें भी लाभ होगा। अध्ययन की सबसे अधिक प्रभावी पद्धति तो एक दूसरे को पढ़ाना ही है। Teaching is the best method of learning. यह सत्य है।

महान विचारवन्त सिनेका के अनुसार Man, in teaching others, learns himself. (मानव जब दूसरों को पढ़ाता है तब स्वयं पढ़ रहा होता है।)

इस अध्ययन पद्धति का उपयोग करते समय कुछ शर्तों का पालन करना आवश्यक है। अन्यथा ‘समूह और चर्चा’ दोनों विपरीत दिशा में चलने लगेंगे। ये शर्तें इस प्रकार से हैं –

(१) ‘समूह’ बनाते समय यह देखे कि सदस्यगण एक ही कक्षा में अध्ययन करते हों, और हरसंभव आसपास रहने वाले हों, अन्यथा सदस्यों के आने जाने में ही समय नष्ट होगा।

(२) हरसंभव ‘समूह’ सदस्यों की संख्या चार पांच तक सीमित हो अन्यथा संख्या अधिक होने पर आवंछित समस्याएं उभर सकती हैं।

(३) प्रतिदिन एक घंटे इस पद्धति में अभ्यास करें। ज्यादा देर एकत्र होने से अन्य बातों में भटकने की समस्या आ जाती है। यदि प्रतिदिन एकत्र बैठना संभव न हो तो सप्ताह में तीन चार बार बैठना भी पर्याप्त होगा।

उपरोक्त तीन शर्तों का पालन करने से समूह चर्चा में और चर्चा समूह को ही लाभ होगा। परन्तु शर्तों का पालन न होने से नुकसान की संभावना अधिक रहती है। अतः सावधानी रखते हुए, विचार पूर्वक इस पद्धति का उपयोग करें। समूह चर्चा के अनेकों लाभ हैं –

(१) ‘समूह चर्चा’ द्वारा अभ्यास में टालमटोल करने की संभावना कम होती है। ‘बाद में करेंगे’, ‘कल करेंगे’ ऐसा नहीं होगा। अभ्यास समय पर हो सकेगा।

(२) समूह के साथ अभ्यास करने से आलस्य हावी नहीं होगा। अभ्यास प्रसन्नतापूर्वक होगा।

(३) कक्षा में छूटे हुए अभ्यास के अंश लिखते हुए छूटे अंश, मित्रों के साथ अभ्यास से पूर्ण हो जाते हैं।

(४) अकेले अभ्यास कर करने का अकेलापन दूर होता है।

(५) अधिक व्यापक और गहन चर्चा करने का अवसर प्राप्त होता है।

(६) आपस में एक दूसरे से स्पर्धा नहीं होती और आपसी सहायता करने की प्रवृति में वृद्धि होती है।

(७) इस पद्धति की आदत शालेय जीवन से ही डालने पर उच्च शिक्षा के लिए लाभ होगा।





आजकल की अकेले कार्य करने की आदत अब भविष्य में उपयोगी नहीं होगी। आज का मंत्र है टीम वर्क! यह कार्यशैली, कार्य संस्कृति अपनानी पड़ेगी। ‘सामूहिक अभ्यास’ इस दिशा में एक अच्छी पहल रहेगी।

“एक मेका का सहाय्य करू, अवधे धरू सुपंथ” (मराठी उक्ति) इस एक दूसरे की सहायता करने की उक्ति को सार्थक बनाने का प्रयास करें!!

(लेखक शिक्षाविद, स्वतंत्र लेखक, चिन्तक व विचारक है।)


सर्वार्थ सिद्धि योग नवम्बर -2023 

दैनिक जीवन में आने वाले महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शीघ्र ही किसी  शुभ मुहूर्त का अभाव हो,किंतु शुभ मुहर्त के लिए अधिक दिनों तक रुका ना जा सकता हो तो इन सुयोग्य वाले मुहर्तु  को सफलता से ग्रहण किया जा सकता है | इन से प्राप्त होने वाले अभीष्ट फल के विषय में संशय नहीं करना चाहिए यह योग हैं सर्वार्थ सिद्धि,अमृत सिद्धि योग एवं रवियोग | योग्यता नाम तथा गुण अनुसार सर्वांगीण सिद्ध कारक  है| 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी - 9312002527,9560518227

दिनांक

प्रारंभ

दिनांक

समाप्त

01 

06-37 

02 

04-36 

03 

05-56 

04 

06-39 

05 

06-40 

05 

10-29 

12 

01 -46  

12 

06-45 

14 

04-22 

14 

06-47 

19 

00-06 

19 

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17-15 

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30 

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01 

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जगदीशचंद्र बसु – विज्ञान के आकाश में भारतीय पुरोधा

 डॉ. पवन सिंह

‘पेड़ पौधों में भी जीवन होता है और उनमें भी अनुभूतियाँ होती है’ इस बात को वैज्ञानिक आधार पर सिद्ध कर दुनियां को चौकाने वाले वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु का जन्म 30 नवंबर 1858 को मेमनसिंह गाँव,बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश) में हुआ था। बसु जी प्रसिद्ध भौतिकवादी तथा पादपक्रिया वैज्ञानिक कहे जाते थे। बसु जी बचपन से ही बहुत विद्वान् और किसी न किसी क्षेत्र में रिसर्च करते रहते। जगदीश चंद्र बसु ने कई महान ग्रंथ भी लिखे हैं, जिनमें से कुछ निम्न है – ‘सजीव तथा निर्जीव की अभिक्रियाएँ’, ‘वनस्पतियों की अभिक्रिया’, ‘पौधों की प्रेरक यांत्रिकी’ इत्यादि।

जगदीश चंद्र बसु ने सिद्ध किया कि चेतना केवल मनुष्यों और पशुओं, पक्षियों तक ही सीमित नहीं है, अपितु वह वृक्षों और निर्जीव पदार्थों में भी समाहित है। उन्होंने कहा कि निर्जीव व सजीव दोनों सापेक्ष हैं। उनमें अंतर केवल इतना है कि धातुएं थोड़ी कम संवेदनशील होती हैं। इनमें डिग्री का अंतर है परंतु चेतना सब में है। जगदीश चंद्र सबसे प्रमुख पहले भारतीय वैज्ञानिकों में से एक हैं जिन्होंने प्रयोग करके साबित किया कि जानवर और पौधे दोनों में बहुत कुछ समान है। उन्होंने दिखाया कि पौधे गर्मी, ठंड, प्रकाश, शोर और विभिन्न अन्य बाहरी उत्तेजनाओं के प्रति भी संवेदनशील होते हैं।





जगदीश चन्द्र ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एक स्थानीय विद्यालय से प्राप्त की, क्योंकि उनके पिता का मानना ​​था कि अंग्रेजी जैसी विदेशी भाषा का अध्ययन करने से पहले बोस को अपनी मातृभाषा बांग्ला सीखनी चाहिए। उन्होंने बी.ए. कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से डिग्री, लंदन विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से डीएससी की डिग्री की।

1896 में, बोस ने ‘निरुदेशेर कहिनी’ लिखी, जिसे बंगाली विज्ञान कथा की पहली कृतियों में से एक माना जाता है।

बसु के प्रसिद्ध प्रयोग

लंदन में रॉयल सोसाइटी का केंद्रीय हॉल 10 मई, 1901 को प्रसिद्ध वैज्ञानिकों से खचाखच भरा था। हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक था कि बसु का प्रयोग कैसे प्रदर्शित करेगा कि पौधों में अन्य जीवित प्राणियों और मनुष्यों की तरह भावनाएँ होती हैं। बसु ने एक ऐसे पौधे को चुना जिसकी जड़ों को ब्रोमाइड के घोल वाले बर्तन में सावधानी से उसके तने तक डुबोया गया, जिसे जहर माना जाता है। उन्होंने प्लांट के साथ उपकरण में प्लग लगाया और एक स्क्रीन पर रोशनी वाले स्थान को देखा, जिसमें पौधे की गति दिखाई दे रही थी, जैसे कि उसकी नाड़ी धड़क रही थी, और स्पॉट एक पेंडुलम के समान गति करने लगा। मिनटों के भीतर, घटनास्थल हिंसक तरीके से हिल गया और अंत में अचानक बंद हो गया। सब कुछ लगभग एक जहरीले चूहे की तरह था जो मौत से लड़ रहा था। जहरीले ब्रोमाइड के घोल के संपर्क में आने से पौधे की मृत्यु हो गई थी। इस कार्यक्रम का बहुत सराहना और तालियों के साथ स्वागत किया गया।

उन्होंने क्रेस्कोग्राफ का आविष्कार किया, जो पौधों की वृद्धि को मापने के लिए एक उपकरण है। उन्हें पौधों के तिसुएस में माइक्रोवेव की क्रिया का अध्ययन करने वाले पहले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है।बोस रेडियो तरंगों कापता लगाने के लिए सेमी कंडक्टर जंक्शन का उपयोग करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्होंने विभिन्न माइक्रोवेव घटकों का भी आविष्कार किया। उन्होंने ऑटोमैटिक रिकॉर्डर का निर्माण किया जो पौधों में भी मिनट की गतिवधियों को दर्ज कर सकते हैं।

मारकोनी नहीं बसु है ‘रेडियो तरंगों’ के प्रणेता

जगदीश चंद्र बसु ने सूक्ष्म तरंगों (माइक्रोवेव) के क्षेत्र में वैज्ञानिक कार्य तथा अपवर्तन, विवर्तन और ध्रुवीकरण के विषय में अपने प्रयोग आरंभ कर दिये थे। लघु तरंगदैर्ध्य, रेडियो तरंगों तथा श्वेत एवं पराबैंगनी प्रकाश दोनों के रिसीवर में गेलेना क्रिस्टल का प्रयोग बसु के द्वारा ही विकसित किया गया था। मारकोनी के प्रदर्शन से 2 वर्ष पहले ही 1885 में बसु ने रेडियो तरंगों द्वारा बेतार संचार का प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन में जगदीश चंद्र बसु ने दूर से एक घण्टी बजाई और बारूद में विस्फोट कराया था। आजकल प्रचलित बहुत सारे माइक्रोवेव उपकरण जैसे वेव गाईड, ध्रुवक, परावैद्युत लैंस, विद्युतचुम्बकीय विकिरण के लिये अर्धचालक संसूचक, इन सभी उपकरणों का उन्नींसवी सदी के अंतिम दशक में बसु ने अविष्कार किया और उपयोग किया था।

बसु ने दुनिया के पहले ‘हार्न एंटीना’ की खोज की जो आज माइक्रोवेव आधारित सभी उपकरणों में इस्तेमाल किया जाता है। आज का रेडियो, टेलीविज़न, रडार, भूतलीय संचार रिमोट सेन्सिंग, माइक्रोवेव ओवन और इंटरनेट इन्हीं 






तरंगों के कारण चलते हैं। पौधों में वृद्धि की अभिरचना आज आधुनिक विज्ञान के तरीकों से सिद्ध हो गई है। पौधों में वृद्धि और अन्य जैविक क्रियाओं पर समय के प्रभाव का अध्ययन जिसकी आधारशिला बसु ने डाली, आज क्रोनोबायोलॉजी कही जाती है। अलग-अलग परिस्थियों में सेल मेम्ब्रेन पोटेंशियल के बदलाव का विश्लेषण करके वे इस नतीजे पर पहुंचे कि पौधे संवेदनशील होते हैं, वे दर्द महसूस कर सकते हैं।

जीवन बड़ा नहीं सार्थक होना चाहिए

समस्त विश्व की तरह महात्मा गाँधी भी उनसे बहुत प्रभावित थे। उनके जीवनीकारों में से एक पैट्रिक गेडेज लिखते हैं कि “जगदीश चंद्र बसु के जीवन की कहानी पर उन सभी युवा भारतीयों को गहराई और मजबूत विचारों के साथ गौर करना होगा, जिनका उद्देश्य विज्ञान या बौद्धिकता या सामाजिक भावना के महती लक्ष्यों को साकार करना है”। बोस एक अच्छे शिक्षक भी थे, जो कक्षा में पढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक प्रदर्शनों का उपयोग करते थे। बोस के ही कुछ छात्र जैसे सतेन्द्र नाथ बोस आगे चलकर प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री बने।

वर्ष 1917 में जगदीश चंद्र बोस को ‘नाइट’ (Knight) की उपाधि प्रदान की गई तथा शीघ्र ही भौतिक तथा जीव विज्ञान के लिए रॉयल सोसायटी लंदन के फैलो चुन लिए गए। बोस ने अपना पूरा शोधकार्य बिना किसी अच्छे (महगे) उपकरण और प्रयोगशाला के किया था। इसलिये जगदीश चंद्र बोस एक अच्छी प्रयोगशाला बनाने की सोच रहे थे। ‘बोस इंस्टीट्यूट’ (बोस विज्ञान मंदिर) इसी सोच का परिणाम है जो कि विज्ञान में शोधकार्य के लिए राष्ट्र का एक प्रसिद्ध केन्द्र है। बसु ने ही सूर्य से आने वाले विद्युत चुम्बकीय विकिरण के अस्तित्व का सुझाव दिया था जिसकी पुष्टि 1944 में हुई। जगदीश बसु ने मानव विकास की नींव डाली और मानव जीवन के लिए बहुत से सफल प्रयास किए। उनका 78 वर्ष की आयु में 23 नवंबर 1937 को गिरिडीह, भारत में निधन हो गया।

शुद्ध भारतीय परंपराओं और संस्कृति के प्रति समर्पित जगदीश चंद्र बसु आज भी हम सभी की प्रेरणा है।

(लेखक जे. सी. बोस विश्वविद्यालय, फरीदाबाद के मीडिया विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर है)


राहू काल 

 राहुकाल -राहुकाल दक्षिण भारत की देन है,दक्षिण भारत में राहु काल में कृत्य करना अच्छा नहीं माना जाता, राहु काल में शुभ कृतियों में वर्जित करने की परंपरा अब हमारे उत्तरी भारत में भी अपनाने लगे हैं राहुकाल प्रतिदिन सूर्यादि वारों में भिन्न-भिन्न समय पर केवल डेढ़ डेढ़ घंटे के लिए घटित होता है |

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी - 9312002527,9560518227

येषां न विद्या न तपो न दानं, ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः । 

ते मृत्युलोके भुवि भारभूता, मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति।। 

अर्थ : जिसके पास विद्या, तप, ज्ञान, शील, गुण और धर्म में से कुछ नहीं वह मनुष्य ऐसा जीवन व्यतीत करते हैं जैसे एक मृग।

जो मेरी ये साङी है

अभिलाषा अग्रवाल 

हर परिधानो पर भारी है

इसे सम्भालना सबकी बात नही

ये थोङी सी अहंकारी है

खूबसूरती मे चार चांद लगा दे

पहने जब इसको नारी है

मेरी नजर मे फैशनेबल है बहुत 

क्या तुम्हारी नजर मे सिर्फ संस्कारी है

इसे कहा पहनना है कहा नही 

हा इस पर चर्चा अभी जारी है 

अपने ही परिधान का हमी ना करे सम्मान 

तो यह हमारी लाचारी है 

इसकी गरिमा कायम रखने की पीढ़ी दर पीढ़ी 

हम सबकी जिम्मेदारी है 

             आशाएं 


भारत का नवोत्थान,हमारा नागरिक दायित्व

भारत को सुसंगठित, विजयशाली व समृद्ध राष्ट्र बनाने की प्रक्रिया में समाज के सभी वर्गों के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति, सर्वांगीण विकास के अवसर, तकनीक का विवेकपूर्ण उपयोग एवं पर्यावरणपूरक विकास सहित आधुनिकीकरण की भारतीय संकल्पना के आधार पर नए प्रतिमान खड़े करने जैसी चुनौतियों से पार पाना होगा। राष्ट्र के नवोत्थान के लिए हमें परिवार संस्था का दृढ़ीकरण, बंधुता पर आधारित समरस समाज का निर्माण तथा स्वदेशी भाव के साथ उद्यमिता का विकास आदि उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। इस दृष्टि से समाज के सभी घटकों, विशेषकर युवा वर्ग को समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता रहेगी। संघर्षकाल में विदेशी शासन से मुक्ति हेतु जिस प्रकार त्याग और बलिदान की आवश्यकता थी; उसी प्रकार वर्तमान समय में उपर्युक्त लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए नागरिक कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्ध तथा औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त समाजजीवन भी खड़ा करना होगा। इस परिप्रेक्ष्य में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा स्वाधीनता दिवस पर दिये गए ‘पंच-प्रण’ का आह्वान भी महत्वपूर्ण है।

अनेक देश भारत की ओर सम्मान और सद्भाव रखते हैं, वहीं भारत के ‘स्व’ आधारित इस पुनरुत्थान को विश्व की कुछ शक्तियाँ स्वीकार नहीं कर पा रही हैं। हिंदुत्व के विचार का विरोध करने वाली देश के भीतर और बाहर की अनेक शक्तियाँ निहित स्वार्थों और भेदों को उभार कर समाज में परस्पर अविश्वास, तंत्र के प्रति अनास्था और अराजकता पैदा करने हेतु नए-नए षड्यंत्र रच रही हैं। हमें इन सबके प्रति जागरूक रहते हुए उनके मंतव्यों को भी 






विफल करना होगा।

यह अमृतकाल हमें भारत को वैश्विक नेतृत्व प्राप्त कराने के लिए सामूहिक उद्यम करने का अवसर प्रदान कर रहा है। भारत के नवोत्थान मे  सम्पूर्ण समाज को भारतीय चिंतन के प्रकाश में सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक, लोकतांत्रिक, न्यायिक संस्थाओं सहित समाजजीवन के सभी क्षेत्रों में कार्य करना होगा | देश काल व समय अनुसार रचनाएँ विकसित करने के इस कार्य में संपूर्ण शक्ति से सहभागी बनना होगा,जिससे भारत विश्वमंच पर एक समर्थ, वैभवशाली और विश्वकल्याणकारी राष्ट्र के रूप में समुचित स्थान प्राप्त कर सके। आओ नवयुग की प्रतिमा मे प्रतिष्ठा की |

भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमे इन बातों पर भी ध्यान देना होगा | वर्तमान भारत की अर्थव्यवस्था एक मिश्रित प्रकार की अर्थव्यवस्था है जिसमें परिवर्तन संभव है। अर्थ व्यवस्था ही एक ऐसा साधन है जो भारत को आत्मनिर्भर बना और मजबूत बना सकता है। भारत में तकनीक काफी विकसित है और इसी तकनीक के साथ भारत में विश्व शक्ति बनने का साहस है। भारत की टेक्नोलॉजी का एक मुख्य अंग है जो भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा। भारत का इंफ्रा कंपनी इतनी मजबूत है कि यह भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी। भारत में कच्चे माल की मांग इतनी बढ़ रही है कि हमारे पड़ोसी देश पर प्रतिबंध है। अगर हम भारत में कच्चा माल बनाते हैं तो वह स्थिति भारत की आत्मनिर्भरता की ओर होती है। भारत का जनसंख्या घनत्व भी जंगल में आग की तरह फैल रहा है, इस पर नियंत्रण भी जरूरी है।

अगर भारत आत्मनिर्भर बनता है तो उस स्थिति में भारत को कई तरह के फायदे होंगे जो भारत को एक नई पहचान बनाने में मदद करेगा।

भारत में हमारे दैनिक जीवन में आने वाली वस्तुओं का उपयोग चीन या अन्य पड़ोसी देशों से किया जाता है। यदि भारत का यह आत्मनिर्भर बनने का सपना पूरा होता है तो भारत को किसी अन्य देश के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा और भारत स्वयं ऐसी विद्या का निर्माण करेगा। भारत में आत्मनिर्भर बनने से भारत में कई तरह की योजनाओं का निर्माण होगा और भारत में उद्योग भी बढ़ेंगे। भारत उन वस्तुओं को विदेश में भी भेजेगा और इससे भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। आत्मनिर्भर से भारत में देशी और घरेलू उद्योग बढ़ेंगे जिसके कारण भारत में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और देश के कुशल और सक्षम लोगों को भी रोजगार मिलेगा। इस देश की आर्थिक स्थिति भी सुधरी हुई है।

गरीबी से मुक्ति होगी - देश में आत्मनिर्भरता से युवाओं के साथ युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। इस देश में गरीबी भी कम हो गई है। भारत के आत्मनिर्भर बनने से देश में व्यापार के अवसर बढ़ेंगे, साथ ही इससे देश की अच्छी कमाई भी होगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।

इस देश में विदेशी मुद्रा का भंडार - भारत के आत्मनिर्भर बनने से पहले देश अब तक जिन स्मारक का भंडार था। आत्मनिर्भर बनने से भारत में रोजगार घनत्व और देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी जिससे संकट के समय वह धन देश रक्षा की ओर काम कर सके।






इस कोरोना महामारी के समय में हमने देखा ही है कि भारत के साथ-साथ विश्व भी कई संकटों से गुजरा है। देश में 55 से भी अधिक दिनों के लिए रुका भुगतान किया गया था। इसके बावजूद भी भारत में कई ऐसे मौके आए, जब भारत में बेरोजगारों और सितारों का घरेलू स्तर पर उत्पादन हुआ। देश में घरेलू उत्पाद तो बड़े ही साथ ही इससे रोजगार भी बड़ा।

आत्मनिर्भर भारत अभियान में निजी जगह को फायदा हो सकता है, हालाँकि इस अभियान का उद्देश्य भी कहीं न कहीं यही है कि इससे देश में व्यापार और साझेदारी को बढ़ावा मिलेगा। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश के निजी क्षेत्र को शिखर पर पहुंचाया जाएगा। इसमे देशी कंपनियों को और व्यापार को रवाना करने की योजना बजट सत्र 2021-22 में भी कई बड़ी घोषणाएं की गई हैं। निजी क्षेत्रों के हस्तक्षेप के तहत इस अभियान को निजी सेक्टर की एजेंसियों द्वारा बंद कर दिया गया है। इस अभियान के तहत भारतीय बाजार में निजी कंपनियों की बिक्री और उनके हस्तक्षेप में भी वृद्धि होगी।

आत्मनिर्भर भारत के उदाहरण की बात करें तो भारत ने वैश्विक महामारी कोरोना का टीका  बनाकर विश्व को यह संदेश दिया है कि भारत भी कुछ कर सकता है। ऐसा लग रहा है कि भारत के आत्मनिर्भर बनने का सपना पूरा हो रहा है। भारत आत्मनिर्भर बन रहा है। संकटों को मात कर यह राष्ट्र विजयी हो हमारा 

भद्रा विचार नवम्बर - 2023  

भद्रा काल का शुभ अशुभ विचार - भद्रा काल में विवाह मुंडन, गृह प्रवेश, रक्षाबंधन आदि मांगलिक कृत्य का निषेध माना जाता है परंतु भद्रा काल में शत्रु का उच्चाटन करना,स्त्री प्रसंग में,यज्ञ करना,स्नान करना,अस्त्र शस्त्र का प्रयोग,ऑपरेशन कराना, मुकदमा करना,अग्नि लगाना,किसी वस्तु को काटना,भैस,घोड़ा व ऊंट संबंधी कार्य प्रशस्त माने जाते हैं सामान्य परिस्थिति में विवाह आदि शुभ मुहूर्त में भद्रा का त्याग करना चाहिए परंतु आवश्यक परिस्थितिवश अति आवश्यक कार्य भूलोक की भद्रा ,भद्रा मुख छोड़कर कर भद्रा पुच्छ में शुभ कार्य कर सकते है |

दिनांक 

शुरू 

दिनांक 

समाप्त 

03  

23-07

04

11-59

07

19-08

08

08-23

11

13-58

12

02-21

16

23-48

17

11-03

20

05-22

20

16-19

23

10-02

23

21-02

26

15-33

27

03-19

30

02-11

30

14-19






      कर्म क्या है ? 

दिनेश भारद्वाज 

बुद्ध अपने शिष्यों के साथ बैठे थे। एक शिष्य ने पूछा- "कर्म क्या है?"

बुद्ध ने कहा- "मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ।"

एक राजा हाथी पर बैठकर अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था।अचानक वह एक दुकान के सामने रुका और अपने मंत्री से कहा- "मुझे नहीं पता क्यों, पर मैं इस दुकान के स्वामी को फाँसी देना चाहता हूँ।" 

यह सुनकर मंत्री को बहुत दु:ख हुआ। लेकिन जब तक वह राजा से कोई कारण पूछता, तब तक राजा आगे बढ़ गया। अगले दिन, मंत्री उस दुकानदार से मिलने के लिए एक साधारण नागरिक के वेष में उसकी दुकान पर पहुँचा। उसने दुकानदार से ऐसे ही पूछ लिया कि उसका व्यापार कैसा चल रहा है? दुकानदार चंदन की लकड़ी बेचता था। उसने बहुत दुखी होकर बताया कि मुश्किल से ही उसे कोई ग्राहक मिलता है। लोग उसकी दुकान पर आते हैं, चंदन को सूँघते हैं और चले जाते हैं। वे चंदन कि गुणवत्ता की प्रशंसा भी करते हैं, पर ख़रीदते कुछ नहीं। अब 





उसकी आशा केवल इस बात पर टिकी है कि राजा जल्दी ही मर जाएगा। उसकी अन्त्येष्टि के लिए बड़ी मात्रा में चंदन की लकड़ी खरीदी जाएगी। वह आसपास अकेला चंदन की लकड़ी का दुकानदार था, इसलिए उसे पक्का विश्वास था कि राजा के मरने पर उसके दिन बदलेंगे। 

अब मंत्री की समझ में आ गया कि राजा उसकी दुकान के सामने क्यों रुका था और क्यों दुकानदार को मार डालने की इच्छा व्यक्त की थी। शायद दुकानदार के नकारात्मक विचारों की तरंगों ने राजा पर वैसा प्रभाव डाला था, जिसने उसके बदले में दुकानदार के प्रति अपने अन्दर उसी तरह के नकारात्मक विचारों का अनुभव किया था।

बुद्धिमान मंत्री ने इस विषय पर कुछ क्षण तक विचार किया। फिर उसने अपनी पहचान और पिछले दिन की घटना बताये बिना कुछ चन्दन की लकड़ी ख़रीदने की इच्छा व्यक्त की। दुकानदार बहुत खुश हुआ। उसने चंदन को अच्छी तरह कागज में लपेटकर मंत्री को दे दिया। 

जब मंत्री महल में लौटा तो वह सीधा दरबार में गया जहाँ राजा बैठा हुआ था और सूचना दी कि चंदन की लकड़ी के दुकानदार ने उसे एक भेंट भेजी है। राजा को आश्चर्य हुआ। जब उसने बंडल को खोला तो उसमें सुनहरे रंग के श्रेष्ठ चंदन की लकड़ी और उसकी सुगंध को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। प्रसन्न होकर उसने चंदन के व्यापारी के लिए कुछ सोने के सिक्के भिजवा दिये। राजा को यह सोचकर अपने हृदय में बहुत खेद हुआ कि उसे दुकानदार को मारने का अवांछित विचार आया था। 

जब दुकानदार को राजा से सोने के सिक्के प्राप्त हुए, तो वह भी आश्चर्यचकित हो गया। वह राजा के गुण गाने लगा जिसने सोने के सिक्के भेजकर उसे ग़रीबी के अभिशाप से बचा लिया था। कुछ समय बाद उसे अपने उन कलुषित विचारों की याद आयी जो वह राजा के प्रति सोचा करता था। उसे अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए ऐसे नकारात्मक विचार करने पर बहुत पश्चात्ताप हुआ। 

यदि हम दूसरे व्यक्तियों के प्रति अच्छे और दयालु विचार रखेंगे, तो वे सकारात्मक विचार हमारे पास अनुकूल रूप में ही लौटेंगे। लेकिन यदि हम बुरे विचारों को पालेंगे, तो वे विचार हमारे पास उसी रूप में लौटेंगे। 

यह कहानी सुनाकर बुद्ध ने पूछा- "कर्म क्या है?" अनेक शिष्यों ने उत्तर दिया- "हमारे शब्द, हमारे कार्य, हमारी भावनायें, हमारी गतिविधियाँ..

." बुद्ध ने सिर हिलाया और कहा-  "तुम्हारे विचार ही तुम्हारे कर्म हैं..!!"

चौघड़िया मुहूर्त 

चौघड़िया मुहूर्त देखकर कार्य या यात्रा करना उत्तम होता है। एक तिथि के लिये दिवस और रात्रि के आठ-आठ भाग का एक चौघड़िया निश्चित है। इस प्रकार से 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात मानें तो प्रत्येक में 90 मिनट यानि 1.30 घण्टे का एक चौघड़िया होता है जो सूर्योदय से प्रारंभ होता है|

कामदुधा सदा सुखकरी संजीवनी चौषधीः । प्रेम्णैनं परमेण पालय ह्रदा नो चेत् वृथा जीवनम् ॥ 

धर्म कल्पतरु, विषहर मणि, चिंतामणि रत्न है।धर्म सदा सुख देनेवाली कामधेनु है,और संजीवनी औषधि है।

   






रिसोर्ट मे विवाह

 नई सामाजिक बीमारी,कुछ समय पहले तक शहर के अंदर मैरिज हॉल मैं शादियाँ होने की परंपरा चली परंतु वह दौर भी अब समाप्ति की ओर है!अब शहर से दूर महंगे रिसोर्ट में शादियाँ होने लगी हैं! शादी के 2 दिन पूर्व से ही ये रिसोर्ट बुक करा लिया जाते हैं और शादी वाला परिवार वहां शिफ्ट हो जाता है। आगंतुक और मेहमान सीधे वहीं आते हैं और वहीं से विदा हो जाते हैं। जिसके पास चार पहिया वाहन है वही जा पाएगा,दोपहिया वाहन वाले नहीं जा पाएंगे। बुलाने वाला भी यही स्टेटस चाहता है।और वह निमंत्रण भी उसी श्रेणी के अनुसार देता है। दो तीन तरह की श्रेणियां आजकल रखी जाने लगी हैं,किसको सिर्फ लेडीज संगीत में बुलाना है !किसको सिर्फ रिसेप्शन में बुलाना है !

किसको कॉकटेल पार्टी में बुलाना है ! और किस वीआईपी परिवार को इन सभी कार्यक्रमों में बुलाना है!!इस आमंत्रण में अपनापन की भावना खत्म हो चुकी है!सिर्फ मतलब के व्यक्तियों को या परिवारों को आमंत्रित किया जाता है!! महिला संगीत में पूरे परिवार को नाच गाना सिखाने के लिए महंगे कोरियोग्राफर 10-15 दिन ट्रेनिंग देते हैं!

मेहंदी लगाने के लिए आर्टिस्ट बुलाए जाने लगे हैं मेहंदी में सभी को हरी ड्रेस पहनना अनिवार्य है जो नहीं पहनता है उसे हीन भावना से देखा जाता है लोअर केटेगरी का मानते हैं फिर हल्दी की रस्म आती है  इसमें भी सभी को पीला कुर्ता पाजामा पहनना अति आवश्यक है इसमें भी वही समस्या है जो नहीं पहनता है उसकी इज्जत कम होती है ।

इसके बाद वर निकासी होती है इसमें अक्सर देखा जाता है जो पंडित को दक्षिणा देने में 1 घंटे डिस्कशन करते हैं 

वह बारात प्रोसेशन में 5 से 10 हजार नाच गाने पर उड़ा देते हैं । इसके बाद रिसेप्शन स्टार्ट होता है स्टेज पर वरमाला होती है पहले लड़की और लड़के वाले मिलकर हंसी मजाक करके वरमाला करवाते थे,,,,,, आजकल स्टेज पर  धुंए की धूनी छोड़ देते हैं  दूल्हा दुल्हन को अकेले छोड़ दिया जाता है बाकी सब को दूर भगा दिया जाता है और 






फिल्मी स्टाइल में स्लो मोशन में वह एक दूसरे को वरमाला पहनाते हैं साथ ही नकली आतिशबाजी भी होती है ।स्टेज के पास एक स्क्रीन लगा रहता है उसमें प्रीवेडिंग सूट की वीडियो चलती रहती है जिसमें यह बताया जाता है की शादी से पहले ही लड़की लड़के से मिल चुकी है और कितने अंग प्रदर्शन वाले कपड़े पहन कर कहीं चट्टान पर कहीं बगीचे में कहीं कुएं पर कहीं बावड़ी में कहीं श्मशान में कहीं नकली फूलों के बीच अपने परिवार की इज्जत को नीलाम कर के आ गई है । प्रत्येक परिवार अलग-अलग कमरे में ठहरते हैं जिसके कारण दूरदराज से आए बरसों बाद रिश्तेदारों से मिलने की उत्सुकता कहीं खत्म सी हो गई है!! क्योंकि सब अमीर हो गए हैं पैसे वाले हो गए हैं! मेल मिलाप और आपसी स्नेह खत्म हो चुका है! रस्म अदायगी पर मोबाइलों से बुलाये जाने पर कमरों से बाहर निकलते हैं !

सब अपने को एक दूसरे से रईस समझते हैं! और यही अमीरीयत का दंभ उनके व्यवहार से भी झलकता है !कहने को तो रिश्तेदार की शादी में आए हुए होते हैं परंतु अहंकार उनको यहां भी नहीं छोड़ता ! वे अपना अधिकांश समय करीबियों से मिलने के बजाय अपने अपने कमरो में ही गुजार देते हैं!! हमारी संस्कृति को दूषित करने का बीड़ा ऐसे ही अति संपन्न वर्ग ने अपने कंधों पर उठाए रखा है मेरा अपने मध्यमवर्गीय समाज बंधुओं से अनुरोध है आपका पैसा है ,आपने कमाया है, आपके घर खुशी का अवसर है खुशियां मनाएं,पर किसी दूसरे की देखा देखी नहीं!

कर्ज लेकर अपने और परिवार के मान सम्मान को खत्म मत करिएगा! जितनी आप में क्षमता है उसी के अनुसार खर्चा करिएगा 4 - 5 घंटे के रिसेप्शन में लोगों की जीवन भर की पूंजी लग जाती है ! दिखावे की इस सामाजिक बीमारी को अभिजात्य वर्ग तक ही सीमित रहने दीजिए! अपना दांपत्य जीवन सर उठा के, स्वाभिमान के साथ शुरू करिए और खुद को अपने परिवार और अपने समाज के लिए सार्थक बनाइए ! 

पंचक विचार नवम्बर - 2023   

पंचक विचार -(धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से रेवती नक्षत्र तक) पंचको में दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना मकान दुकान आदि की छत डालना चारपाई पलंग आदि बुनना,दाह संस्कार,बांस की चटाई दीवार प्रारंभ करना आदि स्तंभ रोपण तांबा पीतल तृण काष्ट आदि का संचय करना आदि कार्यों का निषेध माना जाता है समुचित उपाय एवं पंचक शांति करवा कर ही उक्त कार्यों का संपादन करना कल्याणकारी होगा ध्यान रहेगा  पंचर नक्षत्रों का विचार मात्र उपरोक्त विशेष कृतियों के लिए ही किया जाता है विवाह मंडल आरंभ गृह प्रवेश प्रवेश उपनयन आदि मुद्दों से तो पंचक नक्षत्रका प्रयोग शुभ माना जाता है पंचक विचार- दिनांक 20 को 10-07 से दिनांक 24 को 16-00  तक पंचक है | अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी - 9312002527,9560518227

 काम क्रोध अरु स्वाद, लोभ शृंगारहिं कौतुकहिं।अति सेवन निद्राहि, विद्यार्थी आठौ तजै।।

भावार्थ: इस श्लोक के माध्यम से विद्यार्थियों को 8 चीजों से बचने के लिए कहा गया है। काम, क्रोध, स्वाद, लोभ, शृंगार, मनोरंजन, अधिक भोजन और नींद सभी को त्यागना जरूरी है


  परदेश से लौटने पर    

    - डॉ.रमाकांत शर्मा



मेरे गाँव का है एक चेहरा  

डरा -डरा सा लगता है,

सावन में भी पतझड़ जैसा 

झरा - झरा सा लगता है


पनघट सूना सूनी

चौपालें 

धड़कन का अहसास नहीं , 

होली का भी हल्ला - गुल्ला 

मरा-मरा सा लगता है 


जब पहुँचा घर के आँगन 

तुलसी ने मारा ताना-

"मुखड़ा तेरा देखा - भाला

ज़रा-ज़रा सा लगता है"


ढली शाम दीये की लौ में

पायल ने मुँह फेर लिया

आँखें भरीं गला भी जैसे

भरा - भरा सा लगता है


बूढ़ी साँसें तरस गईं थीं

भोली सूरत कब देखें

आसीसों से फिर भी हिवड़ा 

हरा - भरा सा लगता है।


    

       

जन्मदिन माँ  का 

दिनेश “अज्ञात”

मम्मी.....आपका जन्मदिन कब आता है...

बारह साल के आकाश ने अपनी मां से पूछा... मां ने उसकी इस बात पर मुस्कुरा दिया... आकाश अक्सर ही ये सवाल मां से पूछता और मां जवाब में बस मुस्कुरा देती थी.... लेकिन आज आकाश ने ठान लिया था वो बिना जवाब जाने मानने वाला नही है....

आखिर बेटे की जिद के आगे मां ने कहा...

"हमारे जमाने मे जन्मदिन कहां मनाया जाता था बेटा.... 

पहले के लोगो को तो तारीख भी याद नही रहती थी आज कल ये सब चीजें चलन में आई है....

पहले हमारे बुजुर्ग माता पिता बच्चों के जन्म होली से एक महीना पहले हुआ था....या ये दशहरे के दो दिन बाद ....दीवाली पर हुई थी ....या उस दिन पूर्णिमा थी ....यही कुछ याद रखते थे ....सच कहूं तो मुझे याद नही है बेटा.....

मां की बात सुन के आकाश सोच में पड़ गया....

मम्मी मेरा जन्मदिन कितने धूमधाम से मानती है... तरह-तरह के पकवान बनाती है...

केक कटता है, पार्टी होती है....

काश.... मैं भी अपनी मम्मी का जन्मदिन मना पाता.....

देखते-देखते समय बीतता गया बारह वर्ष का आकाश आज 35 साल का एक  बिजनेसमैन बन गया... इन तेइस साल में बहुत कुछ बदल गया था... 

उसकी सुधा से शादी हो गई थी और आराध्या जैसी एक प्यारी बिटिया उनकी जिंदगी में आ गई थी...

कलतक जो मां आकाश की हर पसंद नापसंद का ख्याल रखती थी आज आकाश अपनी मां का रखता था ....वैसे घर ...शहर गाडी ...वक्त और उम्र ....बदल चुके थे






बस एक ही चीज नही बदली थी वो थी मां का प्यार...

वो आज भी अपने बेटे आकाश का जन्मदिन धूमधाम से मनाती...

 बुढ़ापे की वजह से वो ज्यादा भाग दौड़ तो नही कर पाती थी लेकिन आकाश की पसंद की हर चीजे बनाती, अनाथालय जा कर वहां के बच्चो में मिठाइयां और केक बटवाती...

मंदिर में जा कर गरीबों को भोज करवाती...

जब आकाश पैदा हुआ था तब मां की खुशी का ठिकाना नही था... पहली बार मां बनने का एहसास उसे आकाश ने ही तो करवाया था, जब वो रुई की तरह मखमल सा बेटा उसकी गोद मे आया था वो दुनिया ही भूल गई थी...

सारी खुशी एक तरफ और मां बनने की खुशी एक तरफ... इसीलिए उसे आकाश के जन्मदिन से बेहद लगाव है....

आकाश के बिजनेस शुरू करते ही वो अपने काम में व्यस्त हो गया....वो मां को अधिक समय भी नही दे पाता था... वैसे तो सुधा बहुत अच्छी बहु थी वह अपनी मां स्वरूप सासूमां का ख्याल रखती थी ........

रोज देर से आनेवाला आकाश आज शाम को जल्दी घर आ गया था....देखा तो सुधा आराध्या को होमवर्क करा रही थी....

अचानक आराध्या ने सुधा से पूछा "मम्मा आपका बर्थडे कब आता है.....

सुधा ने जवाब दिया "जिस दिन मेरी आरु का बर्थडे आता है उसी दिन मम्मा का भी बर्थडे आता है....

क्योंकि आराध्या जब आई तभी तो मैं मम्मा बनी....

दोनो की बात सुन के आकाश अतीत में चला गया, बचपन से जो सवाल मां से पूछता आ रहा है उसका जवाब आज उसे मिल गया था....

आज आकाश का जन्मदिन है......

वो मां के साथ मंदिर गया ....अनाथालय गया ....जैसा मां चाहती थी बिल्कुल वैसा ही करता गया ......

शाम को जब मां सहित वो घर लौटा तो घर पहुचते ही उसने देखा कि घर फूलों से सजा है बिजलियों वाले झूमर जगह-जगह लगे है, तरह-तरह के पकवानों की खुशबू आ रही है, अंदर हॉल में गुलाब की पंखुड़िया बिखरी हुई है और बीचोबीच बड़े से टेबल में केक रखा हुआ है और बहुत से मेहमानों से घर भरा है मां आश्चर्य से देख रही थी तभी सुधा आ के मां को तैयार करने कमरे में ले गई...

मां सोच में थी कि आखिर बात क्या है, तभी वो तैयार हो के नीचे आती है....आकाश माइक पकड़ के कहना शुरू करता है...

"मां.... मैने हमेशा आपसे पूछा था कि आपका जन्मदिन कब आता है, मेरा मन करता था कि जिस तरह आप मेरा जन्मदिन मानती है वैसे मैं भी मनाऊ...

आपने मेरे लिए कितना कुछ नही किया, आज मैं जो भी हूं आपकी वजह से ही तो हूं.... 

आपने हर मुश्किल में मेरा साथ दिया है... मेरी छोटी छोटी खुशियों को इतना बड़ा बनाया है...

 मैं हमेशा सोचता कि आपको मेरे जन्मदिन से इतना प्यार क्यों है.... 






जवाब अब मुझे मिला... एक मां की जिंदगी का सबसे बड़ा पल आता है जब वो अपने बच्चे को पहली बार गोद मे ले कर गले लगती है, आज ही का तो दिन था ना मां जब मैं आपकी जिंदगी में आया था... 

मां आज ही के दिन तो आप भी मुझे मिली थी... आज ही के दिन तो मैं भी बेटा बना था... आज ही के दिन तो मैं आपकी गोद मे आया था... आज ही के दिन तो मुझे भी ममता का सागर मिला था... ...

इसलिए आज से ये दिन सिर्फ मेरा नही आपका भी है क्योंकि...'' तुम से ही तो मैं हूं.....'

आज एक मां और एक बेटे का जन्मदिन है....

आकाश की बातें सुन के मां की आँखों मे आंसू आ गए, मुंह से कोई बोल नही निकले बस दिल से दुआएं निकल रही थी.... इतना मार्मिक दृश्य देख कर हर कोई रोने लगा था।

मां ने अपने बेटे को गले लगा लिया...दोनो रो पड़े थे खुशी के आंशू भावनाओ के साथ वह निकले थे

दोनों ने मिल कर अपने जन्मदिन का केक काटा था...

सुर्य उदय- सुर्य अस्त नवम्बर-2023 


दिनांक

उदय 

दिनांक

अस्त 

06-34   

1

17-33

5

06-37

5

17-30

10

06-41

10

17-27

15

06-45

15

17-25

20

06-49

20

17-23

25

06-53

25

17-22

30

06-57

30

17-22


विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम्।।

भावार्थ: विद्या से विनय अर्थात विवेक व नम्रता मिलती है, विनय से मनुष्य को पात्रता मिलती है यानी पद की योग्यता मिलती है। वहीं, पात्रता व्यक्ति को धन देती है। धन फिर धर्म की ओर व्यक्ति को बढ़ाता और धर्म से सुख मिलता है। इस मतलब यह हुआ कि जीवन में कुछ भी हासिल करने के लिए विद्या ही मूल आधार है।







पति - पत्नी

—-शशि महाजन

 सुधांशु बहुत खुश था , बिज़नेस में फायदा हुआ था , और अपनी शादी की तीसवीं वर्षगांठ पर, पत्नी आभा को बढ़िया सा उपहार देना चाहता था, उसने ऑफिस से फ़ोन किया ,

“ सुनो आज शाम को खाना बाहर खाएंगे। ”

“ क्यों ? “

“ क्यों क्या , बहुत दिन हो गए हैं बाहर नहीं गए इसलिए। ”

“ अरे , अभी परसों तो तुम बाहर गए थे। ”

“ पर तुम्हारे साथ तो नहीं गया था , वो बोरिंग बिज़नेस मीटिंग थी , आज हम दोनों रिलैक्स करेंगे। ”

“ रिलैक्स घर में करेंगे , दाल रोटी खाएंगे , लम्बी सैर पर जायेंगे , फिर बिस्तर में रूमी पढ़ेंगे। ”

“ ठीक है दाल के साथ आलू की सब्जी बना देना मेरे लिए। ”

” बन जायगी। ”

” और पापड़ भी। ”

” ठीक है। ”

” सुनो ”

” हाँ ।”

“ सहगल वाले कॉन्ट्रैक्ट में मुझे पूरा पचास लाख का फायदा हुआ है।  “

“ वाह। ”






“ तो मैं सोच रहा हूँ , इस बार मैरिज एनिवर्सरी पे तुम्हें तीन कैरेट के सोलिटेयर खरीद दूँ। ”

“ क्यों 

“ पहनना , और किसलिए ? “ 

आभा हस दी , “ तो अब मैं तुम्हारी फ़ाइनेंशियल स्टेटमेंट बनी घूमूंगी। ”

यह सुनकर सुधांशु को हसी आ गई।  आभा भी हस दी और दोनों ने फ़ोन नीचे रख दिया। 

रात को रूमी पढ़ते हुए आभा ने कहा, “ मैरिज एनिवर्सरी पर मेरे लिए एक कविता क्यों नहीं लिखते। ”

सुधांशु इस ख्याल से ही डर गया। ”

“ नहीं, अब यह सब मुझसे नहीं होगा। ”

“ अच्छा ठीक है , एक चिठ्ठी ही लिख दो। ” 

“ ठीक है ईमेल भेज दूंगा। ” उसने मुहं बनाते हुए कहा। 

“ अच्छा , इतना कष्ट मत उठाओ , ऐसा करो , बोल दो , में रिकॉर्ड कर लूँगी ।”

“ ठीक है, तुम मेरे लिए ग्रीन टी बना के लाओ , तब तक मैं रिकॉर्ड करता हूँ। ”

आभा जैसे ही वापिस आई सुधांशु ने उसे फ़ोन पकड़ा दिया , ” लो सुन लो। ”

आभा ने बिस्तर पर बैठते हुए ख़ुशी से बटन दबाया ,

” प्रिय आभा ,

मैं तुम्हें उतना प्यार करता हूँ, जैसे कोई मरने वाला जिंदगी से करता है, अब सुनकर हसना मत, उस कवि के विचार मेरे विचार से मेल खाते हैं, इसमें मेरी कोई गलती नहीं। ”

आभा यह सुनकर मुस्करा दी। ”

” अब आगे सुन, ओन ए सीरियस नोट, तुमने मेरे लिए बहुत सेक्रीफाइसिस किये , अपनाा कैरियर छोड़ा , मेरे माँ बाप की सेवा की, मुझे बिज़नेस में सपोर्ट किया, बच्चों के भविष्य का निर्माण किया. । ” 

अभी वह कह ही रहा था कि आभा ने फ़ोन बन्द कर दिया। 

” क्यों अच्छा नहीं लगा ? “सुधांशु ने कहा। 

“ ये प्रेमपत्र है या सब्जीवाले का हिसाब ?”

“ मुझे तो बस इतना ही आता है। ” यह कहकर सुधांशु चद्दर तान कर सो गया और थोड़ी देर में खुर्राटे भी भरने लगा। 

आभा को बहुत गुस्सा आया , उसे लगने लगा उसका जीवन कितना अकेला है , बच्चे बड़े हो गए हैं , सास ससुर रहे नहीं , और सुधांशु को बिज़नेस के आलावा कुछ नहीं आता। वह धीरे धीरे उदास मन लिए सो गई। 

सुबह उठी तो उसकी नाराजगी जारी थी।  सुधांशु नहा धोकर तैयार होकर ऑफिस चला गया , जैसे वो आभा को जानता ही नहीं। अब तो आभा ने तय कर लिया कि शाम को जब सुधांशु लौटेगा , उससे पहले कामवाली को चाबी देकर वह घूमने चली जायगी। 






इसी गुस्से में तमतमाए वह सोफे पर बैठ गई , अचानक उसकी नजर मेज पर पड़े लिफाफे पर पड़ी , जिस पर एक गुलाब रखा था। 

उसने मुस्कराकर उसे खोला तो उसमें एक कविता थी, 

तुमसे जीवन के सारे अर्थ मिले 

चाँद सूरज सबके स्पर्श मिले। 

पढ़कर आभा का मन खिल उठा।  इतने में फ़ोन बजा ,

“ अच्छा लगा ?”

“ हाँ , बहुत। ” और आभा हस दी। 

“ अब इससे ज्यादा मैं नहीं लिख सकता। ”

“ इतना काफी है।  “ आभा की मुस्कराहट से घर दमक उठा , और ऑफिस जा रहे सुधांशु का मन खिल उठा।  

  मांगलिक दोष विचार परिहार

वर अथवा कन्या दोनों में से किसी की भी कुंडली में 1,4,7,8 व 12 भाव में मंगल होने से ये मांगलिक माने जाते हैं,मंगली से मंगली के विवाह में दोष न होते हुए भी जन्म पत्रिका के अनुसार गुणों को मिलाना ही चाहिए यदि मंगल के साथ शनि अथवा राहु केतु भी हो तो प्रबल मंगली डबल मंगली योग होता है | इसी प्रकार गुरु अथवा चंद्रमा केंद्र हो तो दोष का परिहार भी हो जाता है |इसके अतिरिक्त मेष वृश्चिक मकर का मंगल होने से भी दोष नष्ट हो जाता है | इसी प्रकार यदि वर या कन्या किसी भी कुंडली में 1,4,7,9,12 स्थानों में शनि हो केंद्र त्रिकोण भावो में शुभ ग्रह, 3,6,11 भावो में पाप ग्रह हों तो भी मंगलीक दोष का आंशिक परिहार होता है, सप्तम ग्रह में यदि सप्तमेश हो तो भी दोष निवृत्त होता है |

स्वयं सिद्ध मुहूर्त

 स्वयं सिद्ध मुहूर्त चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वैशाख शुक्ल तृतीया अक्षय तृतीया आश्विन शुक्ल दशमी विजयदशमी दीपावली के प्रदोष काल का आधा भाग भारत में से इसके अतिरिक्त लोकाचार और देश आचार्य के अनुसार निम्नलिखित कृतियों को भी स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है बडावली नामी देव प्रबोधिनी एकादशी बसंत पंचमी फुलेरा दूज इन में से किसी भी कार्य को करने के लिए पंचांग शुद्धि देखने की आवश्यकता नहीं है परंतु विवाह आदि में तो पंचांग में दिए गए मुहूर्त व कार्य करना श्रेष्ठ रहता है।

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः।गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः।।

भावार्थ: गुरु ही ब्रह्मा हैं, जो सृष्टि निर्माता की तरह परिवर्तन के चक्र को चलाते हैं। गुरु ही विष्णु अर्थात रक्षक हैं। गुरु ही शिव यानी विध्वंसक हैं, जो कष्टों से दूर कर मार्गदर्शन करते हैं। गुरु ही धरती पर साक्षात परम ब्रह्मा के रूप में अवतरित हैं। इसलिए, गुरु को सादर प्रणाम।


गुलाबो

मधु मधुलिका

आज इतने बरस बीत जाने के बाद भी  गुलाबो को पति का इंतजार है कि वो लेने जरूर आयेंगे ।

बिल्कुल  गहरा काला रंग माथे पर  बड़ी बिंदी और माँग भरकर लाल चटक रंग का  सिंदूर लगाती थी गुलाबो 

पति से प्रेम तो करती थी लेकिन  सास का बेहद कड़क अनुशासन गुलाबो को बिल्कुल  रास नहीं  आता था । सत्रह साल की आई थी गुलाबो ब्याह करके ,,घर के सारे काम बर्तन धोना खाना बनाना, कपड़े धोना ,और रात में सास ननद और छोटे देवरों का पैर दबाकर ही सोने जाती ,, दिनभर काम करके गुलाबो थक जाती थी । कितनी बार बिन खाये ही सो जाती थी,,पति का सानिग्ध भी बहुत  कम मिलता। ,किसी  तरह ससुराल  में समय कट रहा था  पाँच बरस हो गये शादी को अबतक गुलाबो माँ नहीं  बन पाई थी सास और ननदों ने ताने मारने शूरू कर दिये थे।

कुछ दिनों तक तो गुलाबो सब  सहती रही  लेकिन अब  बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था गुलाबो से ,, पहली बार सास को जबाब दिया कि कमी मेरे में नहीं आपके बेटे में है  इसके बाद सास बहु में खूब कहा सुनी हुई  घर आते ही माँ ने बहु के खिलाफ अभियान छेड़ दिया,, गुलाबो का पति अपनी माँ का आज्ञाकारी पुत्र था ।

 भरे आँगन में पुरे परिवार के बीच गुलाबो को खूब मारा ।फिर क्या  था गुलाबो का स्वाभिमान  जाग उठा । मायके से भाई को बुलाकर  चल दी मायके । 

खूब कहा सुनी हुई गुलाबो के पति और भाई में ,,गुलाबो को  मायके जाते समय जेहन में यही ख्याल  परेशान कर 






रहा था  कि पति लेने नहीं  आये तो गाँव समाज क्या कहेगा मायके में ज्यादा दिन रहने पर सबलोग ताना मारेंगे पिताजी  की इज्जत  की बदनामी होगी ।

यही सोचते सोचते बस स्टेन्ड  पर बस रूकी तो गुलाबो ख्यालों की दुनियां से बाहर आई घर पहुंची तो रोना धोना शूरू था ,, माँ बार बार समझा रही थी बेटी ससुराल  में दुख हो या सुख वही तुम्हारा घर है लेकिन  पिताजी अड़ गये  अपनी धर्मपत्नी  से बोले सही किया बेटी ने । खैर वक्त गुजरने लगा गुलाबो को पति की बहुत याद आती लेकिन  जिद्द थी कि पति लेने आयेगा  तभी ससुराल  जाउँगी दिन महीने  साल गुजरते गये धीरे धीरे सात साल हो गये लेकिन  गुलाबो  का पति नहीं आया गुलाबो बहुत  दुखी रहने लगी ।एक दिन पता  चला गुलाबो के पति ने दुसरी शादी  कर ली है सुनते ही गुलाबो के पैरों तले जमीन  खिसक गई ।माँ पिता  के  लाख समझाने के बाद भी गुलाबों ने निर्णय ले लिया  कि वो ससुराल जायेगी और अपने हक की लड़ाई  लड़ेगी  ।

गुलाबो अपने कपड़े की गठरी  लेकर ससुराल  पहुंची लेकिन ससुराल का दरवाजा  नहीं  खुला  गुलाबो के लिए ,, किवाड़ बजाती रही गुलाबो ,,अंदर से सास की आवाज आई चली जा कलमुँही यहाँ से मेरे को पोता नहीं  दे पाई अब तेरा यहाँ कोई  काम नही ।अनपढ़  गुलाबो कमजोर  पड़ गई ,,

जेठ की तेज दुपहरी  में बाहर दरवाजे पर बेहोश होकर गिर पड़ी गुलाबो को गाँव के कुछ लोग डा० के पास ले गये रास्ते में ही गुलाबो  दुनिया छोड गई ।

एक नारी ने ही दुसरी नारी के जीवन का बसंत छीन  लिया अपनी दुर्भावी इच्छाओं की वजह से।

मूल नक्षत्र विचार नवम्बर - 2023  



दिनांक

शुरू 

दिनांक

समाप्त 

05

10=29

07

16-23

15

03-24

17

02-16

23

17-15

25

14-55


अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे शर्मा जी - 9312002527,9560518227

ग्रह स्थिति नवम्बर-2023 

ग्रह स्थिति - दि-2 शुक्र  कन्या में,दि-4  शनि मार्गी,

दि- 6 बुध वृश्चिक  में,दि- 13  बुध पश्चिम उदय  , 

दि-16 सूर्य व मंगल  वृश्चिक  में,

दि-26 बुध धनु मे ,दि-शुक्र तुला मे |



 गीत

उषा श्रीवास्तव "उषाराज "गाज़ियाबाद,उत्तर प्रदेश



सम्बन्धों  का  बन्धन उसने  पैरों  में  डाला  ऐसे 

अन्दर - अन्दर  टूट गई  हूं मोती की माला जैसे

कर्मभूमि  के पावन पथ पर पूर्ण समर्पण है मेरा

अनुशासन  संदेश सिखाता वो जो दर्पण है मेरा 

हर सांचे में ढल जाती  हूं जिसने  भी ढाला जैसे 

अन्दर -अन्दर  टूट गई हूं  मोती की  माला जैसे।

सम्बन्धों  का बन्धन  उसने  पैरों  में  डाला  ऐसे 

अन्दर -अन्दर  टूट गई  हूं  मोती की माला जैसे।

फुलवारी से फूल  चुराने इक दिन आया सौदागर

जज़्बातों  से  खेले   जैसे  ठगने  आया  बाजीगर

तोड़-तोड़के कलियां कुचले हृदय चुभे कांटा जैसे 

अन्दर  - अन्दर  टूट गई हूं  मोती की  माला जैसे।

सम्बन्धों  का बन्धन  उसने  पैरों  में   डाला  ऐसे 

अन्दर - अन्दर  टूट गई  हूं  मोती की माला जैसे।

धैर्य  और मर्यादा  की  मूरत सी अब  गढ़ना  होगा

रेगिस्तानी  थारों   में  भी  फूल  मुझे  चुनना  होगा 

सारे  ग़म  को  पी  जाती  हूं  घूंट  -घूंट हाला  जैसे

अन्दर - अन्दर  टूट  गई  हूं  मोती  की माला जैसे।

सम्बन्धों  का  बन्धन  उसने   पैरों   में  डाला  ऐसे 

अन्दर - अन्दर  टूट  गई  हूं मोती  की  माला जैसे।

विश्वासों  की  चादर जर्जर तुरपाई  दिल से करना

नेह दीप की बाती बनके घर की चौखट पे जलना

बूटे   -  बूटे  टांक  रही   हूं   सूई   में  धागा   जैसे

अन्दर - अन्दर  टूट गई  हूं  मोती की माला  जैसे।

सम्बन्धों  का बन्धन  उसने  पैरों   में  डाला  ऐसे 

अन्दर  - अन्दर  टूट  गई हूं मोती की  माला जैसे।








पेड़ बचाओ 

पेड़ों की बस यही पुकार 

मानव न दे उनको मार।

कितना कुछ वो हमें देते

फिर हम इनको क्यों मारते ?

प्राणवायु का इकलौता ज़रिया

वृक्ष संरक्षण करो तुम भैया।

करते वृष्टि कितनी हमारे लिए 

बिना इनके हम न जिए।

स्त्रोत है पौष्टिक आहार का 

भूखा है ये भी हमारे प्यार का ।

समझो इसको भी तुम जीवित

है ये मानव जाति के लिए एक संजीवनी।

अंत में मैं आपसे कहूँगा यही 

वृक्ष संरक्षण आज है सही ।

 कृष गुप्ता (विद्यार्थी) पंचम 

       नया भारत

मेरा भारत देश बड़ा महान , 

जी-२० से पाया पूरे विश्व में सम्मान ।

पर्यावरण सुरक्षा के लिए समर्पित होकर ,

हमारी संस्कृति का किया गुणगान ।।

अनेकता में एकता ही है भारत की जान ,

धर्म व संस्कृति का फैलाये पूरे विश्व में ज्ञान ।

पहुँचा है नए क्षेत्र में लेकर विज्ञान ,चाँद की उड़ान जैसे चन्द्रयान ।।

बड़ी अर्थव्यवस्था, स्वच्छता अभियान ,

मेक इन इंडिया का है योगदान ।

आओ हम सब ले ये प्रण महान ,हो विश्व में नए भारत का उदयमान 

 कनव गुप्ता (विद्यार्थी) पंचम                                      प्रकृति 

प्रकृति हमारी कितनी प्यारी

इसकी सुंदरता भी है उतनी न्यारी

आओ देखे प्रकृति के रंग 

सीखे उनसे उनके गुण 

सूरज निकला आसमान में 

दूर करता है अंधियारा 

जब पेड़ों ने ली अंगड़ाई 

ठंडी ठंडी हवा चलाई

अपने स्वभाव को नम्र है रखना

वृक्षों ने ये बात बताई 

प्रकृति हमारी कितनी प्यारी 

इसकी सुंदरता भी है उतनी न्यारी

कहीं दिखे शांत सरोवर 

तो कही बरसता पानी 

देख प्रकृति की सुंदरता को 

कोयल भी मीठा गुनगुनाती 

मीठे-मीठे सबसे बोले

पक्षियों ने बात यह सुनाई 

प्रकृति हमारी कितनी प्यारी 

इसकी सुंदरता भी है उतनी न्यारी

कभी गगन नीला-नीला

कभी लाल पीला हो जाता 

कभी काले सफेद बादलों से 

गगन संपूर्ण घिर जाता 

इंद्रधनुष-रंगो से फिर हम भी 

सबके जीवन में खुशी बिखराएँ

प्रकृति हमारी कितनी प्यारी 

इसकी सुंदरता भी है उतनी न्यारी

प्रियाना गिल (विद्यार्थी)चतुर्थ 

एहल्कान इंटरनेशनल स्कूल

मयूर विहार, दिल्ली- ९




सोने की चेन 

संगीता शर्मा l 

जेठ के बेटे की शादी होने के चार दिन के बाद की बात है कि हम सब यानी के जेठ,जेठानी,उनके बहु.बेटा,बेटी,सास जी. एक नन्द ,मैं और मेरे पति देव, हम सब शाम के खाने के बाद बातें कर रहे थे कि शादी में क्या क्या हुआ वगेरहा ,वगेरह ,तभी एक दम से सास जी बोल पड़ी....तुम. मुझे इस चैन के पैसे दो जो मैंने गले में पहनी हुई है हमारा ध्यान उनकी चैन को तरफ गया जिसे वो हाथ से घुमा रहीं थीं. 

मैंने और मेरे पति ने एक साथ पूछा ये  कौन लाया?..जिसने भी लायी हो मुझे उसको पैसे देने है सास जी  ने जबाव दिया ही था कि जैठ  जी बोल पड़े बिना लायी है, ...बिना मेरी नन्द हैं जो छः नन्दो में  से सब से अलग,और भावुक होने के साथ साथ सबका  ध्यान रखने वाली है,

कब?हमें तो ये बात अब पता चली  मैंने हैरान होते हुए पूछा,  मुझे भी पता नहीं था मेरे श्रीमान भी बोल पड़े,...किसी को बताने को मना  किया था नान्द बोल पड़ी, 

तुम दोनों को मैंने कई बार बोला तुमने तो सुना नहीं, अभी पोते की शादी थी तो तुम्हारा फर्ज था कि तुम ले आते, सास जी  ने जेठ जी से कहा,.अम्मा जब आपने अपनी जवानी में नहीं पहनी ..तो अब छियासी साल की उम्र में पहन कर क्या करेंगी..जेठजी ने बड़े प्यार से सास  जी को जबाव दिया, 

जब अम्मा जवान  थी तब इतना पैसा नहीं था आठ  बच्चों को पढ़ाया लिखाया सबकी जरूरतों का ख्याल रखा, सबकी शादियाँ  करवायी, तो चैन लेने का ख्याल केसे आता?...अब अम्मा के पास सब कुछ है हम सब कमाने वाले 


हैं  भगवान की दया से कोई कमी नहीं  किराया आता है, हमारी तनख्वाह, अम्मा की पेंशन है अब तो अम्मा पहन सकती है पैसा हो तभी शौक पूरा  कर सकते है उम्र चाहे कोई भी हो भाई साहब, मेरे पति देव ये  सब बोल ही रहे थे कि सास जी ने उनको डांटने के अंदाज में कहा तुझसे भी तो कहा था!..अरे अम्मा अपना चैक काट कर देती और चैन लाने को कहती तो क्या मैं नहीं लाता?? ...हाँ मैंने घर बनाने के चक्कर में आपकी बात गंभीरता से नहीं ली..सात साल से तो  में घर बना रहा हू. तेरा काम सारी उम्र चलता रहेगा  तब तो तू कभी भी अम्मा के लिए नहीं ला पाएगा नन्द ने उनको घूरते हुए कहा, 

हमारे बेटे की शादी थी हमने पहले शादी के खर्चे का सोचना था चैन तो हम नहीं ला सकते थे इस बार जेठानी बोल पडी,.अरे जहाँ लाखो के गहने खरीदे एक  दो लाख और खर्च करते??..नन्द ने उनकी बात को काटते हुए कहा..और मैं आपको किसी से कुछ मांगने की जरूरत नहीं है अपनी पेंशन अपने लिए खर्च करो क्यूँ घर के कामो में देते हो मुझसे आपने कभी भी चैन वाली बात नहीं कही..हाँ दादी अपने पैसे खुद पर खर्च करना सीखो मेरी बात का समर्थन करते हुए  जैठ  की बेटी बोल पडी 

तभी नन्द भावुक हो गई उनकी आंखों  में आंसू आ गए l

मैं शर्मिंदा थी इस बात से कि मैंने क्यूँ नहीं खरीदी चैन.,,

मैंने कई बार सोचा था कि अम्माजी को चैन खरीद लूँ फिर सोचती इस बार मैंने बहुत जी.पि.फ निकल दिया, वेसे मैंने तो सोने की अंगुठी दी है पहले ..,अम्मा जी 

ने अपनी चैन बड़े पोते को दी है वो दे देगा वापिस , एक बार तो खरीदने का पूरा मन बना दिया था उस दिन फिर सोचने लगी अगर मैं दे भी दूँ तो जेठानीको  ये न लगे कि में सब की नजरों में महान बनने की कोशिश कर रहीं हूं या अपने नंबर बना रहीं हूँ .

फिर ख्याल आया बहू के लिए दो मंगलसूत्र खरीदने की जरूरत क्या थी सोने का भी हीरे का भी पर मैंने मन को समझाया ये इनकी मर्जी थी पैसे भी इनके थे,,...मैं इतनी शर्मिंदा जिंदगी में कभी नहीं हुई l

मैं बहू हूँ सोचती रहीं ,,.भीं बीना बेटी है. बिना कुछ सोचे अम्मा को चैन ले आयी....यहि तो फर्क़ है बेटी और बहू में!!अब मुझे और मेरे पति को पछतावे के सिवा कुछ हाथ नहीं आया |

हम लोग अपनी जरुरतों को पूरी करते करते अपने बुजुर्गों के शौक  को अनदेखा करते है या फिर उन्हें हल्के में लेते है ये भूल जाते है कि उन्होंने अपने शौक पूरे नहीं किए हमारी जरुरतों के लिए!!!


अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनं:। चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलं।।

भावार्थ: बड़े-बुजुर्गों का अभिवादन अर्थात नमस्कार करने वाले और बुजुर्गों की सेवा करने वालों की 4 चीजें हमेशा बढ़ती हैं। ये 4 चीजें हैं: आयु, विद्या, यश और बल। इसी वजह से हमेशा वृद्ध और स्वयं से बड़े लोगों की सेवा व सम्मान करना चाहिए।


पाँच दीप 




श्रीमती शिखा सक्सेना,एहल्कॉन इंटरनेशनल स्कूल,दिल्ली।

एक घर मे *पांच दीए* जल रहे थे। एक दिन पहले एक दीए ने कहा - इतना जलकर भी *मेरी रोशनी की* लोगो को *कोई कदर* नहीं है...तो बेहतर यही होगा कि मैं बुझ जाऊं। वह दीया खुद को व्यर्थ समझ कर बुझ गया । 

जानते है वह दीया कौन था ?

वह दीया था *उत्साह* का प्रतीक ।

यह देख दूसरा दीया जो *शांति* का प्रतीक था, कहने लगा - मुझे भी बुझ जाना चाहिए।

निरंतर *शांति की रोशनी* देने के बावजूद भी *लोग हिंसा कर* रहे हैं और *शांति* का दीया बुझ गया । 

*उत्साह* और *शांति* के दीए के बुझने के बाद जो तीसरा दीया *हिम्मत* का था , वह भी अपनी हिम्मत खो बैठा और बुझ गया।

*उत्साह*, *शांति* और अब *हिम्मत* के न रहने पर चौथे दीए ने बुझना ही उचित समझा।

*चौथा* दीया *समृद्धि* का प्रतीक था। सभी दीए बुझने के बाद केवल *पांचवां दीया* *अकेला ही जल* रहा था।

हालांकि पांचवां दीया सबसे छोटा था मगर फिर भी वह *निरंतर जल रहा* था।





तब उस घर में एक *लड़के* ने प्रवेश किया। उसने देखा कि उस घर में सिर्फ *एक ही दीया* जल रहा है।

वह खुशी से झूम उठा।

चार दीए बुझने की वजह से वह दुखी नहीं हुआ बल्कि खुश हुआ। यह सोचकर कि *कम से कम* एक दीया तो जल रहा है।

उसने तुरंत *पांचवां दीया उठाया* और बाकी के चार दीए *फिर से* जला दिए ।

जानते है वह *पांचवां अनोखा दीया* कौन सा था ?

वह था *उम्मीद* का दीया ...

इसलिए *अपने घर में* अपने *मन में* हमेशा उम्मीद का दीया जलाए रखिये । चाहे *सब दिए बुझ जाएं* लेकिन *उम्मीद का दीया* नहीं बुझना चाहिए । ये एक ही दीया *काफी* है बाकी *सब दीयों* को जलाने के लिए ....    

ख़ुशियाँ आएँगी,  कुछ समय बाद सब सामान्य होगा , *उम्मीद का दीया जलाए रखें*

बेटा  बेटी 

ये सच है करके बेटी की तारीफ़ हम उसे ऊंचा उठा रहे है

पर क्या ऐसा नही लगता  हम अपने बेटों को गिरा रहे है

ये सच है कि एक बेटी का होना घर मे बहुत जरूरी है 

पर ये भी सच है बेटे के बिना तो त्योहार की खुशी अधूरी है।


ये सच है बेटी दो दो घरों की लाज बचाती है

एक घर पैदा होती दूजे घर का वंश बढ़ाती है।

कहते है बेटी नही होगी तो वंश कैसे आगे बढ़ पायेगा

इक दिन ऐसा हुआ तो सृष्टि का नाश हो जायेगा

पर क्या ये बेटों के बिना भी संभव हो पायेगा

क्या बेटों के कम होने पर संसार चल पायेगा।


सृष्टि की रचना को नर नारी दोनो है जरूरी 

किसी एक के बिन कैसे होगी ये सृष्टि पूरी

बेटी बचाओ के अभियान चलाना जरूरी है

पर बेटों को नीचे गिराने की क्या मजबूरी है

बेटियाँ होती सौभाग्य से उन्हे ठोकर ना तुम लगाओ

पर बेटे भी होते भाग्य से उनके वजूद को ना ठुकरा




रमा एकादशी

 रमा एकादशी के प्रभाव से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं | यहां तक कि ब्रह्म हत्या जैसे महापाप भी दूर हो जाते हैं | ईश्वर के चरणों में स्थान मिलता है व सभी मनोकामना पूर्ण होती है | यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष एकादशी को किया जाता है | इस दिन भगवान का भक्ति पूर्ण पूजन कर नैवेद्य अर्पित कर  आरती करे | प्रसाद वितरित करके ब्राह्मणों को भोजन खिलाएं तथा दक्षिणा दें |

 रमा एकादशी की कथा - प्राचीन समय में मुचकुंद नाम का राजा था उसे एकादशी व्रत का पूरा विश्वास था | वह प्रत्येक एकादशी का व्रत करता था | प्रजा को  भी एकादशी व्रत करने का आवहन करता था | उसकी चंद्रभागा नाम की एक  कन्या थी | वह भी पिता से अधिक एकादशी व्रत पर विश्वास करती थी | उसका विवाह राजा चंद्रसेन के  पुत्र शोभन  के साथ हुआ जो राजा मुचकुंद के साथ ही रहता था | एकादशी के दिन सभी व्यक्तियों ने  व्रत किया | शोभन ने भी व्रत किया | अत्यंत कमजोर होने से भूख से व्याकुल हो राज कुमार की मृत्य  हो गई | इससे राजा-रानी और पुत्री बहुत दुखी हुए | शोभन  को एकादशी  व्रत के प्रभाव से मंदराचल पर्वत पर एक उत्तम देवनगर में जो की धनधन्य से युक्त व शत्रु से मुक्त आवास मिला वहां उसकी सेवा में आप्स्राए तत्पर थी | अचानक एक दिन राजा मुचकुंद मंदराचल पर्वत पर  पहुंचा तो वहां पर उसने अपने दामाद शोभन को देखा | राजा ने  घर जाकर सारी अपनी  पुत्री को बताई | पुत्री समाचार पाकर पति के पास चली गई तथा दोनों मंदराचल  पर्वत पर सुख पूर्वक एकादशी व्रत के प्रभाव से वहा निवास करने लगे | 





देव उठानी एकादशी

कार्तिक के शुक्ल पक्ष एकादशी को दवे  प्रबोधिनी एकादशी या देव उठानी एकादशी कहते हैं | इस दिन शाम को जमीन को पानी से धोकर मिट्टी व गेरू से देवी के चित्र बनाकर सूखने के बाद उन पर ₹1 हुई वस्तु बोली बैंगन सिंघाड़ा बेर उसे स्थान पर रखकर एक परात से  ढक देते हैं रात्रि में परत बजाकर देव उठाने के गीत या बढ़ावा गाते हैं | बढ़ावा लाने के बाद दीपक से बारात में बनी काजल सभी लगते हैं शेष काजल उठाकर रख देते हैं | आषाढ़ मास की  शुक्ल पकच  एकादशी से सोए हुए देव इस कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन उठाते हैं | सभी प्रकार के  शुभ कार्य विवाह आदि इस दिन से शुरू हो जाते हैं | यह पूजा घर मे या आँगन किसी भी  स्थान पर करते  हैं | तुलसी शालिगराम विवाह भी इस दिन  पूरी धूमधाम से किया जाता है जिस प्रकार सामान्य विवाह करते हैं शास्त्रों में ऐसा प्रमाण है कि जिनके कन्या नहीं होती वह तुलसी विवाह करके कन्यादान का पुण्य प्राप्त करते हैं |

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वीरभद्रासन 

 वीरभद्रासन  एक खड़े होकर किया जाने वाला आसन है जिसका नाम पौराणिक हिंदू योद्धा वीरभद्र के नाम पर रखा गया है।

वीरभद्र आसन करने का तरीका - सीथे खड़े हो जाए , दायाँ पैर दाई तरफ खोले , हाथ कंधे के समानंतर हथली नीचे की ओर , दोनों हाथों को ऊपर ले जाए हथली मिला ले , इसी सीठीती मे बायँ घूम जाए , बायँ पैर को दबीएन व  दायाँ पैर संयंत्र रहे कुछ देर रुके रहे , यही क्रिया दायें तरफ करे | 

वीरभद्र आसन करने से लाभ - छाती और फेफड़ों, कंधे और गर्दन, पेट, ग्राय्न में खिचाव लाता है। कंधों, बाज़ुओं और पीठ की मांसपेशियों को मज़बूत करता है। जांघों, पिंदलियो और टखनों को मज़बूत करता है और उनमें खिचाव लाता है। वीरभाद्रासन साइटिका से राहत दिलाता है।






नवंबर 2023 में महत्वपूर्ण दिवस 

1 नवंबर – विश्व शाकाहारी दिवस

शाकाहारी आहार और शाकाहार के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 1 नवंबर को विश्व शाकाहारी दिवस के रूप में मनाया जाता है। पहला शाकाहारी दिवस 1 नवंबर 2021 को यूके वेगन सोसाइटी की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मनाया गया।

1 नवंबर – राज्योत्सव दिवस (कर्नाटक स्थापना दिवस)

राज्योत्सव दिवस जिसे कर्नाटक राज्योत्सव या कन्नड़ राज्योत्सव या कन्नड़ दिवस या कर्नाटक दिवस के रूप में भी जाना जाता है, हर साल 1 नवंबर को मनाया जाता है। 1 नवंबर 1956 को, दक्षिण भारत के सभी कन्नड़ भाषा बोलने वाले क्षेत्रों को मिलाकर कर्नाटक राज्य बनाया गया।

चितरंजन दास(5 नवंबर 1870 – 16 जून 1925)– राजनीतिज्ञ, कवि, पत्रकार तथा वकील जिन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों के मुकद्दमे लड़े

5 नवंबर – विश्व सुनामी जागरूकता दिवस

5 नवंबर को, विश्व सुनामी दिवस मनाया जाता है और यह सुनामी के खतरों को उजागर करने और प्राकृतिक खतरों के कारण होने वाले नुकसान को कम करने के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मनाया जाता है। सुनामी के बारे में पारंपरिक ज्ञान कई संगठनों द्वारा लोगों को स्थिति से अवगत कराने के लिए प्रदान किया जाता है।

5 नवंबर – भूपेन हजारिका की मृत्यु

भूपेन हजारिका का निधन 5 नवंबर 2011 को मुंबई में हुआ था। यह दिन इस महान कवि, संगीतकार, गायक, अभिनेता, पत्रकार, लेखक और फिल्म निर्माता को याद करने के लिए मनाया जाता है। उनका जन्म 8 सितंबर 1926 को हुआ था।

5 नवंबर – विराट कोहली का जन्मदिन

विराट कोहली का जन्म 5 नवंबर 1988 को दिल्ली में हुआ था। वह भारतीय राष्ट्रीय टीम के वर्तमान कप्तान हैं। वह पहले ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 68 शतकों और 6 दोहरे शतकों की मदद से 20000 रन पूरे कर चुके हैं।

6 नवंबर – युद्ध और सशस्त्र संघर्ष में पर्यावरण की क्षति को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस

5 नवंबर 2001 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने घोषणा की कि हर साल 6 नवंबर को ‘युद्ध और सशस्त्र संघर्ष में पर्यावरण के शोषण को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ मनाया जाएगा।

7 नवंबर – शिशु सुरक्षा दिवस

हर साल 7 नवंबर को शिशुओं की सुरक्षा, संवर्धन और विकास के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से शिशु संरक्षण दिवस मनाया जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगर शिशुओं की रक्षा की जाती है तो वे इस दुनिया 







का भविष्य बनेंगे क्योंकि वे कल के नागरिक हैं।

7 नवंबर – राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस

कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने और इसे वैश्विक स्वास्थ्य प्राथमिकता देने के लिए 7 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2014 के दौरान लोगों को इसकी स्थिति से अवगत कराने के लिए पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन द्वारा राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस की शुरुआत की गई थी।

7 नवंबर – चंद्रशेखर वेंकट रमन का जन्मदिन

चंद्रशेखर वेंकट रमन या सीवी रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था। सी.वी. रमन को रमन प्रभाव की खोज के लिए भौतिकी में 1930 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जिसमें एक सामग्री से गुजरने वाला प्रकाश बिखरा हुआ होता है और बिखरी हुई रोशनी की तरंग दैर्ध्य बदल जाती है क्योंकि इससे सामग्री के अणुओं में एक ऊर्जा अवस्था संक्रमण होता है।

भाई परमानन्द(4 नवम्बर 1876 – 8 दिसम्बर 1947)– स्वतंत्रता संग्राम के महान् क्रांतिकारी तथा आर्यसमाज और वैदिक धर्म के प्रचारक

8 नवंबर – लालकृष्ण आडवाणी का जन्मदिन

लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची, पाकिस्तान में हुआ था। लाल कृष्ण आडवाणी, एक भारतीय राजनीतिज्ञ, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संस्थापक सदस्य और भारत के उप प्रधान मंत्री (2002–04) थे।

9 नवंबर – विश्व सेवा दिवस

9 नवंबर को भारत में विश्व सेवा दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि उन लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाई जा सके जहां कानूनी साक्षरता की कमी है। वर्ष 1995 के दौरान कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम लागू किया गया था और तब से आज के दिन को इसी दिवस के रूप में मनाया जाता हैं।

9 नवंबर – उत्तराखंड स्थापना दिवस

उत्तराखंड की स्थापना 9 नवंबर 2000 को हुई थी। उत्तराखंड को देवताओं की भूमि या “देव भूमि” के रूप में जाना जाता है। 19 नवंबर को उत्तराखंड स्थापना दिवस मनाया गया। इसके गठन के समय इसका नाम उत्तरांचल था और 2007 में औपचारिक रूप से इसका नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।

9 नवंबर – करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन

करतारपुर कॉरिडोर 9 नवंबर 2019 को भारत में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान में प्रधान मंत्री इमरान खान द्वारा खोला गया था। इस दिन का धार्मिक महत्व 1552 से है क्योंकि इस दिन गुरु नानक देव जी जो पहले सिख गुरु हैं, ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारा की स्थापना की थी।

10 नवंबर – शांति और विकास के लिए विश्व विज्ञान दिवस

हर साल 10 नवंबर को समाज में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका और उभरते वैज्ञानिक मुद्दों पर बहस में व्यापक 






जनता को शामिल करने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मनाया जाता है। यहां का मुख्य आकर्षण वैज्ञानिक कार्यों की शांति और विकास का महत्व है।

11 नवंबर – युद्धविराम दिवस (स्मरण दिवस)

11 नवंबर को युद्धविराम दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इसे फ्रांस में लेमिस्टिस डे ला प्रीमियर गुएरे मोंडियाल के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के स्मरणोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। कुछ देश ऐसे भी हैं जो इस दिन को स्मरण दिवस भी कहते हैं। 11 नवंबर 1918 को उत्तरी फ्रांस के कॉम्पिएग्ने में मित्र देशों की सेना और जर्मनी के बीच एक युद्धविराम पर भी हस्ताक्षर किए गए थे।

11 नवंबर – राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

11 नवंबर को, यह भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती मनाने के लिए मनाया जाता है। मंत्री ने 1947 से 1958 तक स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री की भी सेवा की है।

मौलाना अबुल कलाम आजाद(11 नवंबर 1888 – 22 फरवरी 1958)– भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, इस्लामी धर्मशास्त्री, लेखक और भारत में पहले शिक्षा मंत्री।

जे. बी. कृपलानी(11 नवम्बर 1888 – 19 मार्च 1982)– स्वतंत्रता सेनानी, गांधीवादी समाजवादी, पर्यावरणवादी तथा राजनेता

11 नवंबर – विश्व उपयोगिता दिवस (नवंबर में दूसरा गुरुवार)

विश्व उपयोगिता दिवस हर साल नवंबर में दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व उपयोगिता दिवस 11 नवंबर को है। यह दिन विभिन्न समुदायों को एक साथ लाता है ताकि हम अपनी दुनिया को सभी के लिए आसान बना सकें।

12 नवंबर – विश्व निमोनिया दिवस

12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस के रूप में मनाया जाता है जो निमोनिया और इसकी रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। इसे दुनिया का प्रमुख संक्रामक रोग माना जाता है और सबसे अधिक प्रभावित आयु वर्ग 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे हैं।

13 नवंबर – विश्व दयालुता दिवस

हर साल 13 नवंबर को विश्व दयालुता दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य फोकस प्रत्येक व्यक्ति को सबसे महत्वपूर्ण और अद्वितीय मानव सिद्धांतों में से एक दयालुता को प्रतिबिंबित करने और उसके अनुसरण का अवसर प्रदान करना है। यह दिन दयालुता के छोटे कार्यों को बढ़ावा देने और फिर लोगों को एक साथ लाने में भी मदद करता है।

14 नवंबर – बाल दिवस

भारत में हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है।  इस दिन लोगों को बच्चों के अधिकारों, देखभाल और शिक्षा के बारे में जागरूक किया जाता है। यह दिन भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू की जयंती भी है। 







इस दिन का उद्देश्य शिक्षा और छात्रों के प्रति कलाम के प्रयासों को स्वीकार करना है।

14 नवंबर – जवाहरलाल नेहरू जयंती

जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री थे और उनका जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के इस शुभ दिन को याद करने के लिए भारत में बाल दिवस मनाया जाता है।

14 नवंबर – विश्व मधुमेह दिवस

प्रत्येक 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य लोगों में मधुमेह रोग के प्रभाव, इसकी रोकथाम और मधुमेह पर शिक्षा के बारे में जागरूकता फैलाना है।

जवाहर लाल नेहरू(14 नवंबर 1889 – 27 मई 1964)– आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री

बिरसा मुंडा(15 नवम्बर 1875 – 9 जून 1900)– भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और मुंडा जनजाति के लोक नायक

15 नवंबर – झारखंड स्थापना दिवस

झारखंड की स्थापना 15 नवंबर 2000 को हुई थी। यह स्थापना बिहार पुनर्गठन अधिनियम द्वारा भारत के 28 वें राज्य के रूप में की गई थी।

16 नवंबर – सहिष्णुता के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस

सहिष्णुता के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस 16 नवंबर को संस्कृतियों और लोगों के बीच आपसी समझ को प्रोत्साहित करके सहिष्णुता को मजबूत करने के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। 16 नवंबर 1966 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों को संकल्प 51/95 द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस मनाने के लिए आमंत्रित किया।

17 नवंबर – अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस

अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस की शुरुआत 17 नवंबर 1939 को नाजी सैनिकों द्वारा की गई थी। 9 छात्र नेताओं और इस घटना के दौरान छात्रों द्वारा प्रदर्शित बहादुरी के कारण यह दिन मनाया जाता हैं।

17 नवंबर – राष्ट्रीय मिर्गी दिवस (National Epilepsy Day)

राष्ट्रीय मिर्गी दिवस 17 नवंबर को मनाया जाता है। इस पर मुख्य फोकस लोगों को मिर्गी रोग, इसके लक्षण और बचाव के प्रति जागरूक करना है। मिर्गी को मस्तिष्क का एक पुराना विकार माना जाता है जो आवर्तक ‘दौरे’ का प्रतीक है। यह देखा गया है कि यह किसी भी आयु वर्ग के लोगों को भी प्रभावित कर सकता है और अलग-अलग व्यक्ति को निपटने के लिए अलग-अलग चिंताएँ और समस्याएं होती हैं।

17 नवंबर- वर्ल्ड क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज डे या वर्ल्ड COPD डे 

17 नवंबर को हर साल वर्ल्ड क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज डे या वर्ल्ड सीओपीडी डे के रूप में मनाया जाता है। 

इंदिरा गांधी(19 नवंबर 1917 – 31 अक्टूबर 1984)– राजनीतिज्ञ, राजनेता और भारत की प्रथम और एकमात्र 






प्रधानमंत्री जो लगातार 3 बार और चौथी बार अपनी हत्या होने तक इस पड़ पर रही

19 नवंबर – विश्व शौचालय दिवस

विश्व शौचालय दिवस हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन मुख्य रूप से वैश्विक स्वच्छता संकट के मुद्दे से निपटने और सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 6 प्राप्त करने के बारे में लोगों को प्रेरित करने पर केंद्रित है, जो 2030 तक सभी के लिए स्वच्छता का वादा करता है। यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वैश्विक आबादी का लगभग 60% है जो लगभग 4.5 अरब लोगों के पास या तो घर में शौचालय नहीं है या वे सुरक्षित रूप से शौचालयों का सही ढंग से निपटान नहीं कर पाते हैं।

19 नवंबर – अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस

अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस का मुख्य विषय पुरुषों और लड़कों के लिए बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है। 19 नवंबर को हर साल अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के रूप में मनाया जाता है और यह दिन वैश्विक स्तर पर पुरुषों द्वारा सामना किए जाने वाले मुख्य मुद्दों पर प्रकाश डालता है।

20 नवंबर – सार्वभौमिक बाल दिवस

हर साल 20 नवंबर को यूनिवर्सल चिल्ड्रन डे मनाया जाता है। यह दिन मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय एकजुटता को बढ़ावा देने, दुनिया भर में बच्चों के बीच जागरूकता और बच्चों के कल्याण में सुधार पर केंद्रित है। सार्वभौमिक बाल दिवस की स्थापना 20 नवंबर 1954 को हुई थी।

20 नवंबर – अफ्रीका औद्योगीकरण दिवस

अफ्रीका में औद्योगीकरण की समस्याओं और चुनौतियों के बारे में दुनिया भर में जगाने के लिए हर साल 20 नवंबर को अफ्रीका औद्योगीकरण दिवस मनाया जाता है। यह भी देखा गया है कि विभिन्न अफ्रीकी देशों में सरकारें और अन्य संगठन अफ्रीका के औद्योगीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने के विभिन्न तरीकों की जांच करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

21 नवंबर – विश्व टेलीविजन दिवस

विश्व टेलीविजन दिवस हर साल 21 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन टेलीविजन की दैनिक भूमिका पर प्रकाश डाला जाता है क्योंकि यह विभिन्न मुद्दों को प्रस्तुत करता है जो संयुक्त राष्ट्र के अनुसार लोगों को प्रभावित करते हैं। लोग इस दिन को विश्व परिदृश्य पर भू-टेलीविजन संचार के प्रभाव और पहुंच की स्वीकृति के रूप में मनाते हैं।

21 नवंबर – सड़क यातायात पीड़ितों के लिए विश्व स्मरण दिवस

21 नवंबर को हर साल सड़क यातायात पीड़ितों के लिए विश्व स्मरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन वार्षिक सड़क यातायात मौतों की संख्या में वृद्धि पर प्रकाश डालता है। सड़क यातायात की चोटों में वृद्धि हुई है और जिसमें पीड़ित लोगों की आयु 5 वर्ष से 29 वर्ष के बीच है।

25 नवंबर – महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस

महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस हर साल 25 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन 





संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1993 के दौरान स्थापित किया गया था। यह दिन महिलाओं के खिलाफ हिंसा को लिंग-आधारित हिंसा के रूप में परिभाषित करता है जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं को शारीरिक, यौन या मनोवैज्ञानिक नुकसान होता है या महिलाओं को नुकसान होता है, जिसमें धमकियां आदि शामिल हैं।

26 नवंबर – भारत का संविधान दिवस

भारत के संविधान दिवस को भारत के कानून दिवस या संविधान दिवस के रूप में भी जाना जाता है और यह हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है। भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को अपनाया। यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था. भारत के संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में हर साल भारत का संविधान दिवस मनाया जाता है.

डॉ वर्गीज कुरियन(26 नवम्बर 1921 – 9 सितंबर 2012)– भारत में श्वेत क्रांति के जनक और सामाजिक उद्यमी

29 नवंबर – फिलिस्तीनी लोगों के साथ एकजुटता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस

हर साल 29 नवंबर को फिलिस्तीनी लोगों के साथ अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता दिवस मनाया जाता है। वर्ष 1977 के दौरान, महासभा ने संकल्प 32/40 बी को अपनाने की मदद से इस दिन को फिलिस्तीनी लोगों के साथ अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता दिवस के रूप में घोषित किया। 29 नवंबर 1947 को, सभा ने फिलिस्तीन के विभाजन पर संकल्प 181 (II) को अपनाया। .

30 नवंबर – सेंट एंड्रयू डे

हर साल 30 नवंबर को, सेंट एंड्रयूज दिवस स्कॉटलैंड और विशेष रूप से उन देशों में मनाया जाता है जहां सेंट एंड्रयू जैसे संरक्षक संत हैं जैसे- बारबाडोस, बुल्गारिया, कोलंबिया, साइप्रस, ग्रीस, रोमानिया, रूस, स्कॉटलैंड और यूक्रेन। यह दिन एंड्रयू द एपोस्टल का पर्व है। बर्न्स नाइट और हॉगमैन के बाद स्कॉटिश कैलेंडर में यह महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है, जो हर साल स्कॉटलैंड के शीतकालीन महोत्सव की शुरुआत का संकेत देता है।

जगदीश चंद्र बोस(30 नवंबर 1858 – 23 नवंबर 1937)– भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भौतिकी, जीवविज्ञान, वनस्पतिविज्ञान तथा पुरातत्व के ज्ञाता

 उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:।।

भावार्थ: महज इच्छा रखने भर से कोई कार्य पूरा नहीं होता, बल्कि उसके लिए उद्यम अर्थात मेहनत करना जरूरी होता है। ठीक उसी तरह जैसे शेर के मुंह में सोते हुए हिरण खुद-ब-खुद नहीं आ जाता, बल्कि उसे शिकार करने के लिए परिश्रम करना होता है।





" मैडम..............


अजीत अस्थाना,मुंबई

कलेक्टर ऑफिस में बड़ी गहमा गहमी थी। कलेक्ट्रेट ऑफिस के सभी स्टाफ, नई कलेक्टर मैडम के स्वागत की  तैयारी में लगे हुए थे।

ठीक सवा दस बजे मैडम की सफेद  गाड़ी,कलेट्रेट ऑफिस के प्रांगण में दाखिल हुई।

सभी कर्मचारी वर्ग एक लाइन में फूलों के गुलदस्ते लिए खड़े थे। 

बड़े बाबू ने भाग कर गाड़ी का दरवाजा खोला।

सफेद अरगंडी कड़ी क्रीच की साड़ी पहने,आंखों पर पावर का चस्मा लगाए,हाथ में डायरी और मोबाइल लिए कलेकल्टर मैडम बहुत सुंदर और सभ्य महिला लग रही थी।

गाड़ी से उतरते ही सभी को नमस्कार करते तथा गुलदस्ता स्वीकार करते आगे बढ़ती जा रही थी।

स्टाफ की लाइन के आखिर में कलर्क मनोज श्रीवास्तव खड़े थे। मैडम सभी का अभिनंदन स्वीकार करते मनोज के हाथ से भी गुलदस्ता लेते हुए एक क्षण के लिए उसकी ओर देखा।

मनोज सर झुकाए हुए ही गुलदस्ता,मैडम की और बढ़ा दिया।

बड़े बाबू,मैडम को ले कर उनके केबिन में चले गए।







थोड़ी देर के बाद कलेक्ट्रेट कार्यालय के सभी कर्मचारी वर्ग मैडम के केबिन में खड़े थे। बड़े बाबू सबका  परिचय और पद की जानकारी दे रहे थे।

मनोज श्रीवास्तव दूसरी पंक्ति में ठीक मैडम के सामने खड़ा था। उसके चेहरे पर परेशानी दिख  रही थी। वह न  जाने क्यों,धीरे से सरक कर पिछली कतार में खड़ा हो गया। जब उसकी बारी आई तब मैडम ने बड़े बाबू से कहा "  सब का परिचय आप क्यों दे रहे हैं..? इन्हे अपना परिचय खुद देने दीजिए "

मनोज ने एक नजर मैडम की ओर देखा और कहा " मैं मनोज कुमार श्रीवास्तव,यहां कलर्क हूं " इतना कह कर वह जल्दी से केबिन के बाहर निकल गया। बड़े बाबू ने उसे जाते हुए देखा,मानो मनोज का इस तरह जाना अच्छा नहीं लगा।

कुछ कर्मचारी अपने काम में लगे थे,कुछ नई कलेक्टर मैडम के बारे में बातें कर रहे थे। सभी उनकी सादगी,व्यवहार और सुंदरता की चर्चा कर रहे थे। मैडम के व्यवहार से सभी स्टाफ प्रभावित थे।

मनोज अपने टेबल पर खामोश बैठा था। उसके चेहरे से लग रहा था मानो उसे कोई परेशानी हो। तभी बड़े बाबू ने मनोज के पास आ कर थोड़ी नाराजगी से पूछा " मनोज बाबू,आपको इस तरह से सब को छोड़ कर मैडम के केबिन से बाहर नहीं निकलना चाहिए था। उन्हे बुरा लगा होगा "

मनोज ने कोई जवाब नहीं दिया। फाइल पर नजरें झुकाए रहा। बड़े बाबू वहां से चले गए।

अगले दिन मनोज ड्यूटी पर नहीं आया। बड़े बाबू को फोन पर तबियत ठीक नहीं होने की जानकारी दे दी।

कलेक्टर मैडम को ज्वाइन किए एक महीने से ज्यादा वक्त हो गया था। इस दौरान सभी स्टाफ किसी न किसी काम से मैडम के पास जा चुके थे या मैडम ने उन्हें बुलाया था। सिर्फ मनोज एक मात्र कर्मचारी था जिसे न तो मैडम ने कभी बुलाया था और न ही मनोज उनके सामने गया था। उसे जब भी मैडम से मिलने की आवश्यकता होती,तो वह किसी दूसरे सहयोगी कर्मचारी को भेज देता लेकिन खुद नही जाता।

कलेक्टर मैडम रोज जब ड्यूटी पर आती तब अपने केबिन में जाते हुए एक बार स्टाफ के हॉल के पास रुक कर सब को गुड मॉर्निंग बोलते हुए जाती। उनकी इस आदत की सभी प्रसंशा करते। मनोज,कभी भी मैडम की ओर देखने से कतराता।

कई दिनो से मनोज को अपने स्थान पर नहीं देख कर,मैडम ने बड़े बाबू को अपने केबिन में बुला कर पूछा " मनोज बाबू कई दिनो से नहीं आ रहे हैं क्या..?

बड़े बाबू ने कहा " हां मैडम,कई दिनो से नहीं आ रहे हैं "

मैडम ने पूछा " उन्होंने नहीं आने की कोई सूचना दी है..?

" नहीं,उन्होंने कोई सूचना नहीं दी है " बड़े बाबू ने बताया।

मैडम ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा " यह तो गलत बात है। उन्हे कार्यालय को सूचित करना चाहिए न.? आप पता करें तथा जैसे ड्यूटी पर आएं, उन्हे मुझसे मिलने के लिए कहें " मैडम के चेहरे पर गुस्सा साफ दिख रहा था।

 बड़े बाबू ने मनोज को मोबाइल पर संपर्क कर मैडम की नाराजगी के बारे में बताया।





अगले दिन मनोज,मैडम के सामने सर झुकाए खड़ा था। मैडम नाराजगी से कह रही थी " मिस्टर मनोज,यह सरकारी ऑफिस है। यहां के कुछ रूल्स रेगुलेशन हैं। आपको छुट्टी लेनी थी तो कायदे से एप्लीकेशन दे कर सूचित करना था "

मनोज सर झुकाए सुन रहा था,मगर उसके चेहरे पर गुस्सा था।

मैडम ने अपनी बात जारी रखी " यह ऑफिस है आपका दुकान नहीं कि जब चाहें शटर डाउन कर के घर पर बैठ गए। आइंदा ख्याल रखिएगा,अन्यथा मैं आपके विरुद्ध कार्यवाही करने से नहीं चूकूंगी "

मनोज अपने गुस्से को रोक नहीं सका। उसने भी जवाब दिया " मैडम,जिस तरह आपके पास अधिकार है,उसी तरह हम निम्न स्तर के कर्मचारियों के भी कुछ अधिकार हैं। हमारी प्रतिबद्धता सरकार के प्रति है, हम किसी अधिकारी के व्यक्तिगत गुलाम नहीं हैं। हमारी छुट्टी बाकी थी,उसे यूज करने का हमे पूरा हक है " इतना बोल कर मनोज केबिन से बाहर निकल गया।

मैडम नाराजगी से उसे जाता हुआ देखती रही।

कुछ देर बाद मैडम ने बड़े बाबू को केबिन में बुला कर,मनोज के बारे में जानकारी ली। बड़े बाबू ने बताया कि पिछले दो वर्ष पहले यहां पोस्टिंग हुई है। ज्यादातर वह खामोश रहता है। किसी के साथ उसकी दोस्ती नही है और ना ही किसी के साथ बैर है। शायद वह किसी परेशानी में हमेशा मुल्तवी रहता है।

नई कलेक्टर मैडम की ख्याति पूरे जिले में हो रही थी। कुछ ही समय में कलेक्ट्रियट ऑफिस से आम जनता तक सभी के प्रसंशा की पात्र हो गई थी

शर्मा जी कलेक्टर ऑफिस के सीनियर ऑफिसर थे। विकास कार्य का कोई भी टेंडर उनकी टेबल से ही गुजरता था। ऑफिस वाले जानते थे कि शर्मा जी का हर टेंडर में कमीशन फिक्स रहता था। उपर की कमाई में कई और भी अधिकारी का शेयर रहता था। चर्चा तो यह भी थी कि पहले के कलेक्टर का भी हिस्सा होता था।

मैडम को धीरे धीरे यह जानकारी मिल रही थी। उन्होंने शर्मा जी की नकेल कसनी शुरू कर दी। यह जान कर शर्मा, मैडम पर खार खाने लगा। डिपार्टमेंट में उनके विरुद्ध बोलने,शिकायत करने लगा। 

एक दिन शर्मा किसी टेंडर को मैडम द्वारा रोक देने से नाराज हो कर ऑफिस में उनके विरुद्ध अशोभनीय भाषा बोल रहा था। 

मनोज काफी देर से चुप चाप सुन रहा था। शर्मा बेलगाम मैडम के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किए जा रहा था।

कुछ देर तक सुनते रहने के बाद अचानक मनोज,शर्मा से उलझ गया। पहले बहस हुई,बाद में हाथा पाही हो गई। ऑफिस में हंगामा हो गया।

सभी स्टाफ शर्मा और मनोज को छुड़ाने लगे। सभी को आश्चर्य भी हो रहा था कि मैडम के बारे में शर्मा की बातें सुन कर मनोज को बुरा क्यों लगने लगा..? 

शोर इतनी हो गई कि मैडम अपने केबिन के बाहर निकल आई। तब मामला शांत हुआ।

मैडम ने बड़े बाबू को केबिन में बुला कर जानकारी ली और मनोज को भेजने के लिए कहा।







मनोज, मैडम के सामने सर झुकाए हुए खड़ा था। उसके चेहरे पर अभी भी गुस्सा साफ दिख रहा था।

मैडम ने नाराजगी से कहा " यह क्या कर रहे थे आप...? यह सरकारी कार्यालय है,आपका घर या सड़क नही। आपको इस तरह लड़ना शोभा नहीं देता है "

मनोज सर झुकाए हुए कहा " वह आपकी बुराई कर रहा था। मैं काफी देर तक बर्दाश्त करता रहा,मगर वह रुकने का नाम ही नही ले रहा था "

मैडम ने उसी नाराजगी के साथ जोर से कहा " वह मेरी बुराई कर रहा था ना. आपकी तो नहीं.? मैं उस पर नियम के अनुसार कार्यवाही कर सकती हूं। आपको को मेरे लिए लड़ने का किसने अधिकार दिया..?

मनोज सर झुकाए चुप चाप खड़ा रहा। मैडम को उसका चुप रहना नागवार गुजर रहा था। उन्होंने फिर जोर दे कर पूछा " मैं कुछ पूछ रही हूं मिस्टर मनोज "?

मनोज ने सर उठा कर सीधा मैडम की आंखों में देखने लगा। उसकी गुस्से से लाल आंखों को देख कर एक बार मैडम भी नर्वस हो गई।

मनोज ने गुस्से से कहा " हम अलग हो गए तो क्या,मैं आज भी तुम्हारे लिए कोई गलत बात कहेगा तो मुझसे बर्दास्त नहीं होगा सुधा "

इतना बोल कर मनोज तेजी से बाहर निकल गया।

मैडम चुप चाप उसे जाता हुआ देखती रहीं। उनके चेहरे पर कई तरह के भाव आ जा रहे थे। उसकी आंखे छलछला आई जिसे उन्होंने जल्दी से रुमाल निकाल कर पोंछ लिया।

इस घटना के बाद भी मैडम और मनोज में दूरी बनी रही। मनोज समय पर ऑफिस आता और समय पर ही घर चला जाता।

शर्मा के साथ हुई उस बरदात के बाद सब कुछ सामान्य हो गया था।

कलेक्टर मैडम को मंत्रालय से सूचना आई कि दो दिन के बाद कैबिनेट मंत्री का जनता दरबार कलेक्टर ऑफिस में लड़ने वाला है। सूचना मिलते ही मैडम ने सभी कर्मचारियों को तैयारी की जिम्मेदारी  दे दी।

मंत्री जी को किसी तरह की शिकायत नही हो,इसका ध्यान रखना जरूरी था।

जिस दिन मंत्री जी को आना था, उस दिन सभी स्टाफ सुबह जल्दी आ गए। मगर मनोज का कही पता नहीं था।

मैडम की नजर बार बार उसे ही ढूंढ रही थी। काफी देर तक जब मनोज नहीं दिखा तो उन्होंने बड़े बाबू से जानकारी लेने को कहा।

बड़े बाबू को मालूम हुआ कि कल रात में कुछ बदमाशों ने मनोज पर कातिलाना हमला किया है। वह बुरी तरह घायल अवस्था में एक प्राइवेट हॉस्पिटल के icu मे बेहोश पड़ा है।

यह सूचना बड़े बाबू ने मैडम को जैसे ही बताया,वह बुरी तरह नर्वस हो गई। बड़े बाबू भी मैडम की अवस्था को देख कर अवाक रह गए।

मैडम ने बड़े बाबू को एक तरफ बुला कर कहा " बड़े बाबू,मुझे हस्पताल जाना पड़ेगा। आप यहां की जिम्मेदारी देख 







लीजिए "

बड़े बाबू ने आश्चर्य से मैडम को देखते हुए कहा " मैडम,आप नहीं रहेंगी तो मंत्री जी नाराज हो जाएंगे। मनोज बाबू के लिए मैं दूसरे स्टाफ को हस्पताल भेज देता हूं। आपका यहां रहना जरूरी है "

मैडम जल्दी जल्दी अपना बैग लेकर गाड़ी की तरफ जाते हुए कहा " मेरा हस्पताल जाना उससे भी ज्यादा जरूरी है " वह गाड़ी बैठ कर चली गईं। बड़े बाबू और कुछ स्टाफ आश्चर्य से देखते रहे।

कलेक्टर मैडम को अचानक हस्पताल में पहुंचने से हॉस्पिटल व्यवस्थापन में खलबली मच गई। मैडम पहले लिफ्ट से जाना चाही, मगर लिफ्ट आने में समय लग रहा था।,वह हड़बड़ी में सीढियां चढ़ती हुई icu में पहुंच गईं। हॉस्पिटल के सभी डॉक्टर भाग कर उनके पीछे हो लिए।

मैडम लगभग भागती हुई मनोज के बेड के पास पहुंच कर इस देखने लगी। मनोज अभी भी बेहोश हालत में था। मैडम काफी देर तक उसे गौर से देखती रही। मनोज की हालत देख कर उनकी आंखे डबडबा आईं,जिसे उन्होंने बड़ी सफाई से छुपा लिया।

उपस्थित डॉक्टर से मनोज की हालत के बारे में पूछा तो डॉक्टर ने बताया कि हालत खतरे से बाहर है। थोड़ी देर में होश आ जाएगा। मैडम ने डॉक्टर को हिदायत दी कि इलाज में किसी तरह की कमी नहीं होनी चाहिए। 

मैडम का फोन लगातार बज रहा था,जिसे वह नहीं रिसीव कर रही थी। Icu केबिन से बाहर निकलने के बाद उन्होंने फोन उठाया और कहा कि वह जल्द आ रही हैं।

कलेक्टर ऑफिस से मंत्री जी नाराज हो कर जा चुके थे। बड़े बाबू ने मैडम से इस तरह जाने के बारे में पूछा,मगर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

एक हफ्ते बाद मनोज को हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गई थी। वह अपने घर पर आराम कर रहा था।

मैडम उस दिन के बाद हस्पताल तो नहीं गईं मगर बड़े बाबू से उसका हाल चाल लेती रहीं।

बड़े बाबू को मैडम की मनोज के प्रति चिंता और व्यवहार आश्चर्यचकित कर रहा था। वह समझ नहीं पा रहे थे कि मैडम और मनोज के बीच क्या संबंध है..?

मनोज को आराम करते हुए दो हफ्ते हो गए थे। एक दिन छुट्टी के बाद मैडम ने ड्राइवर को मनोज के घर चलने को कहा। साथ में उनके सुरक्षा रक्षक की गाड़ी भी थी।

गाड़ी मनोज बाबू के घर के बाहर रुकी।

मनोज,बिछावन पर पट्टियों में लिपटा पड़ा था। दवा खाने के लिए पास के टेबल पर रखे पानी और दवा को लेने में कठिनाई हो रही थी। उससे बेड से उठा नही जा रहा था। 

तभी दरवाजा खुलने की आवाज सुन कर मनोज ने उस ओर देखा। दरवाजे पर मैडम खड़ी थी। मनोज अचानक उन्हें देख कर असहज हो गया।

मैडम दरवाजे से चलती हुई टेबल के पास पहुंच कर जग से ग्लास में पानी डाला और मनोज की ओर बढ़ा दिया।

मनोज खामोशी से ग्लास लिया और दबा खाने के बाद कहा " आपको इस तरह यहां नहीं आना चाहिए था। ऑफिस में लोग तरह तरह बाते बनाएंगे "






मैडम ने कहा " यही बात तो  शर्मा से लड़ने से पहले तुम्हे भी सोचना चाहिए था। लोग बातें तो बना रहे होंगे "

मनोज चुप हो गया। मैडम पास में रखे कुर्सी पर बैठ गई।

दोनो खामोश थे, जबकि दोनो कुछ कहना चाह रहे थे। मैडम कमरे में बेतरतीब बिखरे सामानों को देखने के बाद पूछा " यहां अकेले रहते हो..?

मनोज ने झेपते हुए कहा " हां,अकेला रहता हूं "

कुछ देर तक सर झुकाए मनोज को गौर से देखते हुए मैडम ने  फिर पूछा " अकेले क्यों,बीवी बच्चे साथ में नहीं रहते या उन्हे भी छोड़ दिया है ..?

मनोज,खामोश रहा। 

मैडम ने एक बार और पूछा " क्या हालत बना रखी है कमरे की। कैसे रह लेते हो। समान बिखेरने की तुम्हारी आदत गई नहीं अभी तक..? पत्नी को साथ में रखते तो कमरा साफ़ तो रहता..?"

इस बार मनोज ने सर उठा कर मैडम की ओर देखते हुए कहा " मैने शादी नहीं की "

मैडम ने आश्चर्य से उसकी आंखो में देखते हुए पूछा " क्यों नहीं की शादी..? 

" तुमने भी तो नहीं की " मनोज ने छोटा सा जवाब दिया।

फिर दोनो तरफ खामोशी छा गई।

मैडम ने सर झुका लिए क्योंकि उनकी आंखे भरने लगी थी।

मनोज,मैडम की ओर देखते हुए कहा " तुम्हे जिंदगी से निकालने में तो सफल हो गया मगर दिल से नहीं निकाल सका "

मैडम ने आंसू पोंछते हुए कहा " पापा तो चाहते थे कि मैं दूसरी शादी कर लूं। मगर मुझे यकीन था एक दिन तुम जरूर मुझे समझोगे "

मनोज की आंखे भी छलछला आई। उसने हाथ से आंसू पोंछते हुए जवाब दिया " हम दोनो ने अपनी नादानियों के चलते कितने साल बरबाद कर दिए । मुझे क्षमा कर देना सुधा "

थोड़ी देर की खामोशी के बाद मैडम ने कहा " तुम पर हमला शर्मा ने करवाया था। मैने उसे सस्पेंड कर दिया है और उसके खिलाफ पुलिस में fir भी दर्ज करवाया है "

मनोज ने कहा " फिर तो लोग और भी बातें बनाएंगे। तुम्हे यह सब नहीं करना चाहिए। वह तुम्हे भी परेशान करेगा "

मैडम ने जवाब दिया " यही फिक्र तुमने पांच वर्ष पहले किया होता,तो आज हम साथ होते "

मनोज ने गौर से मैडम को देखते हुए कहा " मैने जो किया वह तुम्हारे भले के लिए किया था। मैं तुम्हे समझा सकता था,मगर मां,बाबू जी को अपने और तुम्हारे हिसाब से चलने को कैसे कहता.."?

मैडम ने कहा ", मैने क्या मांगा था,बस यही न कि मुझे पढ़ाई जारी रखने दिया जाए। मगर उन्हें मंजूर नहीं था। वे लोग चाहते थे कि मैं घरेलू बहु की तरह घर गृहस्थी संभालती रहूं । तुम भी मेरे विरुद्ध हो गए थे "

मनोज ने कहा " तुम्हारी शिक्षा के विरुद्ध मैं कभी भी नहीं था। मगर इस वजह से रोज रोज की खीच खीच से तंग आ गया था। न तुम समझती थी और न ही मां और बाबूजी। मैं क्या करता "





" इसका रास्ता सिर्फ तलाक लेना तो नहीं था..? तुमने मुझे मेरे मायके जाने पर मजबूर कर दिया। जबकि तुम्हे मेरा साथ देना चाहिए था। मैं पढ़ना चाहती थी। यह तो अच्छा हुआ कि तुम्हारे भेजे हए तलाकनामें पर मैने साइन नही किया। पापा तो बोल रहे थे,मगर मुझे मंजूर नहीं था। देखो आज मेरी मेहनत और विश्वाश ने मेरे सपनो को साकार कर दिया "

मैडम बोलते बोलते रोने लगी।

मनोज के आंखों में भी आंसू भर आए।

उसने मैडम के हाथो को पकड़ कर सिसकते हुए कहा " मैं तुम्हे समझ नहीं सका सुधा। मैं परेशान हो कर तुम्हे अपने घर से चले जाने को कह दिया। मुझे बाद में एहसास हुआ कि मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी है। तुमने  मेरे भेजे हुए तलकनामे पर दस्तखत नहीं कर के मुझे एक बड़े पाप से बचा लिया "

इतना कहते ही दोनो एक दूसरे से लिपट कर रो पड़े।

कुछ देर के बाद सुधा कमरे से बाहर निकल कर ड्राइवर और सुरक्षा रक्षकों से कहा " तुम लोग चले जाओ,मैं सुबह ऑफिस में मिलूंगी "

ड्राइवर और सुरक्षा स्टाफ मैडम को आश्चर्य से देखते हुए चले गए।

सुधा कमरे में लौट कर दरवाजा अंदर से बंद कर लिया.....


 न चोरहार्य न राजहार्य न भ्रतृभाज्यं न च भारकारि।व्यये कृते वर्धति एव नित्यं विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्।।

भावार्थ:एक ऐसा धन जिसे न चोर चुराकर ले जा सकता है, न ही राजा छीन सकता है, जिसका न भाइयों में बंटवार हो सकता है, जिसे न संभालना मुश्किल व भारी होता है और जो अधिक खर्च करने पर बढ़ता है, वो विद्या है। यह सभी धनों में से सर्वश्रेष्ठ धन है।

 यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रियाः। चित्ते वाचि क्रियायांच साधुनामेक्रूपता।।

भावार्थ: साधु यानी अच्छे व्यक्ति के मन में जो होता है, वो वही बात करता है। वचन में जो होता है यानी जैसा बोलता है, वैसा ही करता है। इनके मन, वचन और कर्म में हमेशा ही एकरूपता व समानता होती है। इसी को अच्छे व्यक्ति की पहचान माना जाता है।

षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता। निद्रा तद्रा भयं क्रोधः आलस्यं दीर्घसूत्रता।।

भावार्थ: 6 अवगुण मनुष्य के लिए पतन की वजह बनते हैं। ये अवगुण हैं, नींद, तन्द्रा (थकान), भय, गुस्सा, आलस्य और कार्य को टालने की आदत।

काक चेष्टा, बको ध्यानं, स्वान निद्रा तथैव च। अल्पहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं।।

भावार्थ: एक विद्यार्थी के पांच लक्षण होते हैं। कौवे की तरह हमेशा कुछ नया जानने की प्रबल इच्छा। बगुले की तरह ध्यान व एक्राग्रता। कुत्ते की जैसी नींद, जो एक आहट में भी खुल जाए। अल्पाहारी मतलब आवश्यकतानुसार खाने वाला और गृह-त्यागी।






नवम्बर मास 2023 का पंचांग 

दिनांक 

भारतीय व्रत उत्सव नवम्बर - 2023 

करवा चौथ व्रत, श्री गणेश चतुर्थी व्रत

अहोई अष्टमी व्रत , कालाष्टमी 

9

रमा  एकादशी व्रत,गौवत्स द्वादशी   

10 

यम दीप दान, प्रदोष व्रत, धन तेरस    

11

धन्वंतरि जयंती नरकहरा चतुर्दशी, हनुमान जयंती ,मास शिव रात्री   

12 

दीपावली , महालक्ष्मी पूजन 

13 

सोमवती अमावस्या 

14 

गोवर्धन पूजन अन्नकूट बलि पूजा 

15  

विश्व कर्मा पूजन चित्रगुप्त पूजन भाईदुज यम द्वितीय 

17 

विनायक चतुर्थी व्रत संक्रांति पुण्य 

19 

सूर्य छट 

20 

गोपा अष्टमी दुर्गा अष्टमी 

21 

अक्षया कुष्माण्ड आमला नवमी 

23 

भीष्म पंचक देव प्रबोधनी एकादशी व्रत तुलसी विवाह 

25 

प्रदोष व्रत 

26 

वैकुण्ठ चतुर्दशी सत्य व्रत 

27 

कार्तिक पूर्णिमा पुष्कर राज मेला गढ़ गंगा श्री गुरु नानक जयंती भीष्म पंचक समाप्त चतुर मास नियम पूर्ण कार्तिक स्नान पूर्ण 

30 

गणेश चतुर्थी 







छोटी कहानी 

 बाहर  बारिश  हो  रही  थी, और अन्दर  क्लास  चल रही  थी.

तभी  टीचर  ने  बच्चों  से  पूछा - अगर तुम  सभी  को  100-100 रुपया  दिए जाए  तो  तुम  सब  क्या  क्या खरीदोगे ?

किसी  ने  कहा - मैं  वीडियो  गेम खरीदुंगा..किसी  ने  कहा - मैं  क्रिकेट  का  बेट खरीदुंगा..किसी  ने  कहा - मैं  अपने  लिए  प्यारी सी  गुड़िया  खरीदुंगी..तो, किसी  ने  कहा - मैं  बहुत  सी चॉकलेट्स  खरीदुंगी..

एक  बच्चा  कुछ  सोचने  में  डुबा  हुआ  था  

टीचर  ने  उससे  पुछा - तुम  क्या  सोच  रहे  हो, तुम  क्या खरीदोगे ?

बच्चा  बोला -टीचर  जी  मेरी  माँ  को थोड़ा  कम  दिखाई  देता  है  तो  मैं अपनी  माँ  के  लिए  एक  चश्मा खरीदूंगा !

टीचर  ने  पूछा  -  तुम्हारी  माँ  के  लिए चश्मा  तो  तुम्हारे  पापा  भी  खरीद सकते  है  तुम्हें  अपने  लिए  कुछ  नहीं खरीदना ?

बच्चे  ने  जो  जवाब  दिया  उससे टीचर  का  भी  गला  भर  आया !

बच्चे  ने  कहा -- मेरे  पापा  अब  इस दुनिया  में  नहीं  है  

मेरी  माँ  लोगों  के  कपड़े  सिलकर मुझे  पढ़ाती  है, और  कम  दिखाई  देने  की  वजह  से  वो  ठीक  से  कपड़े नहीं  सिल  पाती  है  इसीलिए  मैं  मेरी माँ  को  चश्मा  देना  चाहता  हुँ, ताकि मैं  अच्छे  से  पढ़  सकूँ  बड़ा  आदमी 







बन  सकूँ, और  माँ  को  सारे  सुख  दे सकूँ.!

टीचर -- बेटा  तेरी  सोच  ही  तेरी कमाई  है ! ये 100 रूपये  मेरे  वादे के अनुसार  और, ये 100 रूपये  और उधार  दे  रहा  हूँ। जब  कभी  कमाओ तो  लौटा  देना  और, मेरी  इच्छा  है, तू  इतना  बड़ा  आदमी  बने  कि  तेरे सर  पे  हाथ  फेरते  वक्त  मैं  धन्य  हो जाऊं !

20  वर्ष  बाद..........

बाहर  बारिश  हो  रही है, और अंदर क्लास चल रही है !

अचानक  स्कूल  के  आगे  जिला कलेक्टर  की  बत्ती  वाली  गाड़ी आकर  रूकती  है  स्कूल  स्टाफ चौकन्ना  हो  जाता  हैं ! स्कूल  में  सन्नाटा  छा  जाता  हैं ! मगर ये क्या ? जिला  कलेक्टर  एक  वृद्ध  टीचर के पैरों  में  गिर  जाते  हैं, और  कहते हैं -- सर  मैं ....   उधार  के  100  रूपये  लौटाने  आया  हूँ !पूरा  स्कूल  स्टॉफ  स्तब्ध ! वृद्ध  टीचर  झुके  हुए  नौजवान कलेक्टर  को उठाकर भुजाओं में कस लेता है, और रो  पड़ता  हैं !दोस्तों --मशहूर  होना, पर मगरूर  मत  बनना।

साधारण रहना, कमज़ोर  मत  बनना।वक़्त  बदलते  देर  नहीं  लगती..शहंशाह  को  फ़कीर, और  फ़क़ीर को शहंशाह  बनते,देर  नही  लगती .... 

 




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