सोमवार, 30 अक्टूबर 2023

मिशन करवाचौथ

 मिशन करवाचौथ


करवाचौथ 

मोनिका करवाचौथ से हफ़्ता भर पहले बड़े ज़ोर शोर से त्यौहार की तैयारी में लगी थी । आई लैशेज़ और नेल्स एक्सटेंशन तो उसने पहले ही करवा लिया था । महँगी कामदार साड़ी और ब्रांडेड गाउन कल ही खरीदा साथ ही डायमंड के ईयर रिंग्स भी । सबसे फेमस मेहंदी वाला भी बुक हो चुका था ।अब तो बस रोज़ पार्लर जा जा कर खुद को चमकाने निखारने के मिशन जोरों पर था।

कुल मिलाकर मोटी रकम खर्च हो चुकी थी, और हाँ ...अभी करवाचौथ व्रत का गिफ़्ट क्या होगा , ये मोनिका ने डिसाइड नहीं किया। वैसे इस बार उसका मन विदेश में छुट्टियां मनाने का है ...तो जब वो चाँद की पूजा करके अपने पति योगेश के हाथों पानी पी कर व्रत खोलेगी तो उससे हफ़्ते भर का विदेश में टूर गिफ़्ट में मांग लेगी । जगह जो योगेश को पसन्द हो । आखिर उसी की लम्बी आयु के लिए तो मोनिका ने ये व्रत किया है , तो इतना हक़ तो योगेश का भी बनता है कि उसी की पसन्द की जगह पर घूमने जाया जाए।

बस थोड़ा ही वक़्त बचा था कि जब चन्द्र देव उदित हो कर सब सुहागिनों की मुराद पूरी करेंगे। मोनिका ने आईने में खुद को देखा और मेकअप का फाइनल टच दे कर योगेश के कमरे की ओर मुड़ चली। 

कमरे से आती योगेश की आवाज़ ने मोनिका को चौकन्ना कर दिया । वो किसी से फ़ोन पर धीरे धीरे बातें कर रहा था।

उत्सुकता वश मोनिका दरवाजे से कान लगा कर खड़ी हो गई।

"हूँ....हाँ...."

"यार क्या बताऊँ पिछले पन्द्रह दिनों से मेरी रेल बनी पड़ी है, कभी यहाँ शॉपिंग के लिए चलो तो कभी वहाँ... कभी ये पसन्द नहीं आया तो कभी वापस उसी शो रूम पर चलो" "...."

"ख़र्चा....?उसकी तो पूछ ही मत , मैडम की फरमाइशें पूरी करते करते मेरी जेब तो खाली हो गई है , उस पर तुर्रा ये के तुम्हारी लम्बी आयु के लिए ही तो व्रत रख रही हूँ , और अभी तो करवाचौथ गिफ्ट का कोई ठीक नहीं के क्या मांग ले । मुझे तो लगता है फॉरेन ट्रिप ही बोलेगी । अगर ऐसा हुआ तो अगले महीने की emi भरने में मेरे तोते उड़ जाएंगे । "...."

"अरे क्या बात कर रहा है , मना? कैसे मना कर दूं भाई , घर की सुख शांति का सवाल जो है । कसम से ये करवाचौथ निबटे तो चैन की सांस आये । बहुत बड़ा मिशन है ये करवाचौथ मेरे जैसे साधारण तबके के पति के लिए। याद है तेरी और मेरी माएँ कितनी सादगी और भावना से करती थीं ये व्रत। सुबह ही माँ थोड़ी सी मिट्टी भिगोकर रख देती थीं और शाम को उस मिट्टी से गौरा जी की प्रतिमा बना कर, उन्हें सिंदूर बिंदी चढ़ा कर लाल चुनर उड़ाती थीं और हम बच्चों को भी साथ लेकर कहानी सुना कर पूजा करती थीं । कितना सात्विक वातावरण होता था । मुझे तो मेरी सीधी सादी माँ में उस समय गौरा जी की छवि दिखती थी । "...."

"चल चल अब मैं रख रहा हूँ , मोनिका मुझे बुलाने आती ही होगी।"

ये सब सुन कर मोनिका के मन में कुछ दरक गया, वो जल्दी जल्दी वहाँ से खिसकने लगी । अपने कमरे की बालकनी में आ कर खड़ी हो गई, उसके कानों में योगेश के शब्द गूंज रहे थे। तभी उसकी नज़र कम्पाउंड में बने सर्वेंट क्वाटर की छत पर गई, जहां उनकी नौकरानी लक्ष्मी और उसका ड्राइवर पति बाबूलाल खड़े थे।उनकी बातचीत साफ़ साफ़ सुनाई दे रही थी पर वो इस बात से बेखबर थे कि मालकिन उन्हें देख रही हैं।

"कैसी लग रही हूँ मैं?" लक्ष्मी ने लजाते हुए पूछा। गुलाबी रंग की सीधे पल्ले की साड़ी , माथे पर बड़ी सी बिन्दी और सिंदूर की गहरी लाली से सजी मांग ने लक्ष्मी के रूप को अलग ही आभा प्रदान कर दी थी। "बिल्कुल नई नवेली दुल्हन ..." जैसे ही बाबूलाल ने कहा तो लक्ष्मी मेहंदी रची हथेलियों में अपना चेहरा छुपा कर बोली, "हाय दईया" तभी बाबूलाल उसके हाथ पकड़ कर बोला , "जरा देखूँ तो हमारी रानी ने हमारा नाम कहाँ लिखा है।"

"अरे हम तो खुद ही बाजार से कीप ला कर ऐसे ही टेढ़ा मेढ़ा लकीरें खींच दिए , हमको कोन्हों डिजाइन फिजाइंन बनाने नहीं आता " "अरे डिजाइन कौन देखता है लछमी रानी हम तो बस तुम्हारे ये मेहंदी रचे हाथों की लाली देखना चाहते हैं", कहकर बाबूलाल ने लक्ष्मी के हाथ चूम लिए। "लछमी मैं तुम्हें ज़िंदगी के ऐशोआराम नहीं दे पाया , फिर भी तुम मुझे इतना प्रेम करती हो । मालिक तो मालकिन की हर तमन्ना मुँह से निकलते ही पूरी...."

"चुप बुधुडे...प्रेम का सम्बंध अमीरी गरीबी से नहीं बल्कि मन से होता है । का हम जानती नहीं कि तुम हमारे लिए कितनी मेहनत करते हो। " "अच्छा सुनो! तुम हमसे क्या गिफ्ट लोगी करवाचौथ का?" "गिफ्ट...हाँ ऊ तो हम सोचे ही नहीं " लक्ष्मी ठोड़ी पर उँगली टिकाकर सोचने का अभिनय करने लगी , " सुनो बालम ! ई गिफट विफट में का धरा है , तुम्हारा हमारी जिंदगी में होना ही सबसे बड़ा गिफट है । तुमसे ही ये रूप , ये सिंगार है ...ये सौभाग्य है । हमको और कुछ न चाहिए ।" लक्ष्मी ने भावुक हो कर कहा । "और ये...ये तो चाहिए न?" कहते हुए बाबूलाल ने महकता हुआ मोगरे का गजरा लक्ष्मी के बालों में सजा दिया ।

"वो देखो चाँद निकल आया " लक्ष्मी बोली और दोनों उत्साह पूर्वक पूजा करने में लग गए ।

"मोनिका ....डार्लिंग ...कहाँ हो तुम" योगेश की आवाज़ से जैसे मोनिका स्वप्न से जागी ।

"अरे चलो भई ...चाँद निकल आया , पूजा करो ।"

मोनिका पूजा की सब सामग्री ले कर योगेश के साथ छत पर आ गई । उसने चाँद को छलनी से देख पूजा की , योगेश ने उसे पानी पिला कर व्रत खुलवाया और बोला ,"आज तो मेरा चाँद आसमान के चाँद से भी ज़्यादा खूबसूरत लग रहा है । बोलो आज क्या गिफ्ट लोगी ?"

"गिफ्ट...कल शाम को तुम एक सुंदर सा गजरा लाना , उसे अपने हाथों से मुझे पहनाना और फिर हम लॉन्ग ड्राइव पर चलेंगे । शहर के पास जो झील है वहाँ कुछ देर सुकून से बैठेंगे।"

योगेशआश्चर्य मिश्रित खुशी से मोनिका को देख रहा था ।

स्वेता रसवंत 

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