मोती
मोती एक सुंदर चमकदार सफेद रंग का अपार दर्शक प्राणित रत्न है | यह चंद्रमा का रत्न है | मोती एक विशेष जाति की शिप के गर्भ से प्राप्त होता है संस्कृत में मोती को मुक्ता,मुक्ताफल कहते हैं | जिस मोती में जितनी अधिक परत होती है वह उतना ही बड़ा और सुडोल मालूम पड़ता है क्योंकि अधिक परतो वाला मोती बड़े आकार का होने से वह प्रकाश को ज्यादा परिवर्तित करता है | और चंद जी चरणों में मोती की तरफ देखने वाले को मोह लेता है | यदि मोती के निर्माण के दौरान कोई विजातीय द्रव्य शिप में घुस जाए तो मोती टेढ़ा मेढ़ा हो जाता है एवं चमक हींन हो जाता है |
मोती के भेद - मोती के 8 भेद होते हैं | गज मोती,वराह मोती,सर्प मोती मत्स्य मोती, मेघ मोती,बांस मोती, शंख मोती व सीपी मोती | मोती के प्रकार - उत्तम मोती, अनुपयोगी मोती, ऑस्ट्रेलिया मोती , नेचुरल मोती व अमरीकन मोती | ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करने वाला रत्न मोती है | जिन जातकों का चंद्रमा कमजोर हो तो उन्हें मोती धारण करना शुभ होता है | उग्र चंद्रमा अगर मंगल या राहु के साथ हो तो व्यक्ति को बेचैनी और अनमनापन रहता है | ऐसी अवस्था में भी सुध मोती की अंगूठी या मोती की माला धारण करने से लाभ मिलता है | मेष, कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न के लिए मोती धारण करना लाभदायक है।सिंह, तुला और धनु लग्न वालों को विशेष दशाओं में ही मोती धारण करने की सलाह दी जाती है।इसे धारण करने से व्यक्ति अपने गुस्से पर काबू करना सीख जाता है। सर्दी जुकाम की समस्याएं दूर होती हैं और मन में सकारात्मक विचारों का प्रवाह बढ़ने लगता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मोती का संबंध मां लक्ष्मी से माना जाता है। मोती को धारण करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।मोती शुक्ल पक्ष के सोमवार को धारण करना शुभ माना गया है | मोती को हमेशा सोमवार को खरीना चाहिए। इसे चांदी में बनवाकर कनिष्ठिका या फिर अनामिका में पहना जाता है। मोती को पहनने के पहले शुभ समय अवश्य देख लें। मोती की प्राण प्रतिष्ठा करने किसी भी पुष्य नक्षत्र, सोमपुष्य या सोमवार को आये अमृत सिद्ध योग में की जा सकती है।पुरूषों को 7.25 रत्ती एवं महिलाओं को 4.25 रत्ती का मोती धारण करना चाहिए। मोती के साथ गोमेद धारण नहीं चाहिए। मोती और चांदी दोनों ही चंन्द्रमा से संबंध रखते हैं। इसलिए मोती को चांदी में ही धारण करना शुभ रहता है।मोती को चांदी की अंगूठी में दाहिने हाथ की कनिष्ठिका अंगुली में पहनें ।काला मोती शनि का प्रतीक माना जाता है, राहु का भी समावेश होता है | काले धागे में काला मोती धारण करने के चमत्कारी परिणाम होते हैं | इसको धारण करने से नजर नहीं लगती, शनि का महादशा और साढेसाती के कष्टों से मुक्ति मिलती है | काला मोती धारण करने से हर मनोकामना पूरी होती है, शत्रुओं का भय नहीं रहता है |
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