रविवार, 1 जनवरी 2023

पंडित दिवान चन्द मिश्र

भारत का गौरवशाली इतिहास

खालसा फौज के कमांडर इन चीफ ब्राह्मण योद्धा पण्डित दीवान चन्द मिश्र  


पण्डित दीवान चंद मिश्र महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल के ऐसे शक्तिशाली/योद्धा सेनापति थे जिन्होंने मुल्तान और काश्मीर पर विजय प्राप्त करने वाली सेनाओं के चीफ ऑफ आर्टिलरी और कमांडर इन चीफ के पद से ले कर, 1816 से 1825 तक खालसा सेना के कमांडर इन चीफ के पद में भी काम किया।पण्डित दीवान चन्द मिश्र महाराजा रणजीत सिंह के लाहौर दरबार के आधार स्तंभो में से एक थे। पण्डित दीवान चंद गोंदलनवाला गाँव (वर्तमान में गुजरांवाला , पाकिस्तान ) के एक ब्राह्मण दुकानदार के पुत्र थे। पण्डित दीवान चंद जी की बहादुरी से प्रसन्न हो महाराजा रणजीत सिंह की ने से जफर जंग बहादुर (युद्धों के विजेता) की उपाधि से सम्मानित किया गया था । पण्डित दीवान चंद जी को 1816 में आर्टिलरी चीफ के पद से खालसा सेना के मुख्य कमांडर के पद पर पहुंचे। उन्होंने मीठा तिवाना के टीवाना नवाब के विद्रोह को दबा दिया और उन्हें महाराजे के आगे श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मजबूर किया। पण्डित जी ने 1818 में मुल्तान फतह कर उसपर कब्जा किया और युद्ध मे मुजफ्फर खान और उनके सात बेटे को मार गिराया।1819 में, उन्होंने काश्मीर क्षेत्र में शोपियां के लिए युद्ध अभियान का नेतृत्व किया और इस युद्ध मे दुर्रानी (अफगान) के गवर्नर जब्बार खान को हरा दिया। उन्होंने कुछ ही घंटों में अफगानों को हरा कर घुटनो के बल ला दिया। 1821 में मनकेरा ( वर्तमान मनकेरा तहसील ) को फतह कर अपने अधिकार में लिया और फिर बटाला, पठानकोट, मुकेरियां, अकालगढ़ आदि पर भी विजय प्राप्त की। पंडित जी ने पेशावर और नौशेरा की युद्धो में भी भाग लिया औऱ फतह हासिल की। महाराजा रणजीत सिंह का अपने इस योद्धा सेनापति के प्रति इतना सम्मान और प्रेम था कि एक बार अमृतसर में, महाराजा ने एक व्यापारी से एक बहुत कीमती हुक्का खरीदा था (हालांकि यह उनके अपने पंथ के निषेध के खिलाफ था) महाराजे ने उच्च सम्मान के चिह्न पर मिश्र दीवान चंद जी को हुक्का भेंट किया, और उन्हें धूम्रपान करने की भी अनुमति दी गई थी। महाराजा के साम्राज्य के निर्माण में पंडित दीवान चंद मिश्र के योगदान को पंथक और ब्रिटिश इतिहासकारों ने भी कम करके लिखा है, जिन्होंने उन्हें "हुक्का पीने वाला जनरल" बताया है। वे सच मे लाहौर दरबार के आधार स्तम्भो में से एक ऐसे महान योद्धा, सेनापति थे जिनको खुद महाराजा रणजीत सिंह ने फतेह ओ नुसरत नसीब (जो कभी युद्ध में नहीं हारा) और जफर जंग बहादुर (युद्धों में विजेता) की उपाधि प्रदान की और उन्हें कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया। Credit- Abhishek Shankar Tripathi 


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