दीपावली पूजन मुहर्त
पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को भगवान राम चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण करने के बाद अपनी जन्मभूमि अयोध्या वापस लौटे थे। जिसके उपलक्ष्य में हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली का पावन पर्व मनाया जाता है।”
श्री महालक्ष्मी पूजन एवं दीपावली का महापर्व कार्तिक अमावस में प्रदोष काल एवं अर्धरात्रि व्यापिनी हो तो विशेष रूप से शुभ होता है। इस वर्ष कार्तिक अमावस 24 अक्टूबर सोमवार 2022 को सांयकाल 17:28 के बाद प्रदोष निशीध तथा महानिशीध व्यापिनी होगी। अतः "दिवाली पर्व" 24 अक्टूबर सोमवार 2022 के दिन दीपावली मनाया जाना चाहिए |इस साल दिवाली एवं चित्रा नक्षत्र, विष्कुंभ योग, कन्या राशिस्थ् तथा अर्धरात्रि व्यापिनी अमावस्या युक्त होने से विषेश शुभ रहेगी।दिवाली के दिन पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्ति रखें या दीवार पर लक्ष्मी जी का चित्र लगाएं। चौकी के पास जल से भरा एक कलश रखें। माता लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति पर तिलक लगाएं और दीपक जलाकर जल, मौली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें और माता महालक्ष्मी की स्तुति करें।” ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:” इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती है. मां लक्ष्मी की चांदी या अष्ट धातु की मूर्ति की पूजा करनी चाहिए | प्रदोष काल 24 अक्टूबर 2022 को रहेगा 20:30 से 22:55 तक रहेगा 18:48 तक रहेगा रात्रि 22:30 तक रहेगा लाभ की चौघड़िया तथा इस अवधि में विशेष पूजा की जाती हैं |
24 तारीख का चौघड़िया निम्नलिखित है
6-41 से 8-04 तक अमृत , 9-27 से 10-50 तक शुभ ,14-58 से 16-20 तक लाभ ,16-30 से 17-43 तक अमृत,17-43 से 19-20 तक चर , 22-35 से 24-12 तक लाभ ,25-49 से 27-26 तक शुभ उपरोक्त अनुसार पूजा की जा सकती है।
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