भारत की गौरवशाली परंपरा
सांस्कृतिक, वैचारिक, व्यवहारिक व साहित्य वैभव -
सांस्कृतिक वैभव - चार पुरुषार्थ, धर्म, अर्थ, काम मोक्ष, संस्कार व्यवस्था जन्म से मृत्यु तक 16 संस्कारों की व्यवस्था, पूर्व में 40 संस्कारों का वर्णन |
परिवार व्यवस्था संयुक्त परिवार, उसमें प्रत्येक घटक के संपूर्ण विकास की व्यवस्था इसके लिए समर्पण भाव,
आश्रम व्यवस्था - ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ व संयास आश्रम,
गुरु शिष्य संबंध परिकल्पना - गुरुकुल व्यवस्था भारतीय जीवन शैली - आत्मा की अमरता, पुनर्जन्म व कर्मफल का सिद्धांत,
आत्मा परमात्मा तथा जीवात्मा - परस्पर संबंधित हैं, व्यष्टि, समष्टि, सृष्टि, परमेष्ठी |
ऐहिक जीवन में प्रगति - ऋग्वेद में कृषि संबंधी वर्णन, कृषि क्षेत्र के सभी यंत्रों व तकनीकी प्रक्रियाओं की विस्तृत जानकारी व वर्णन | जैसे हल, सिंचाई, पशुपालन, जैविक खाद आदि |
संसार में हजारों वर्ष पूर्व सर्वप्रथम कृषि अध्ययन भारत में ही प्रारंभ हुआ हजारों वर्ष पूर्व पुराने कृषि पराशर, वृक्ष, आयुर्वेद आदि कृषि ग्रंथ आज भी विश्व स्तरीय शिक्षा में मान्य है | कपास की उत्पत्ति भारत में ही | भारत में ही धान की 6600 प्रजातियां, घाघ कवि की कहावतें आदि |
शिक्षा के क्षेत्र में - ऋग्वेद विश्व का प्राचीनतम ग्रंथ,भारत संपूर्ण विश्व की शिक्षा का सर्वोत्कृष्ट केंद्र रहा | संपूर्ण विश्व से विद्यार्थी भारत के विश्वविद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे | भारत में तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला आदि 65
विश्वविद्यालयों का वर्णन है, तकनीकी शिक्षा पर लगभग 300 पुस्तकें हमारे इतिहास में मिलती है | लंदन में “मद्रास सिस्टम ऑफ एजुकेशन”- संस्कृत भाषा विवाह व्याकरण विश्व की समृद्ध तम भाषा व्याकरण है जो आज संगणक कंप्यूटर के लिए भी श्रेष्ठतम मानी जा रही है संस्कृत भाषा पूर्ण धनात्मक है, जापानी व चीनी चित्रात्मक है, अंग्रेजी भाषा ना तो धनात्मक है और ना ही चित्रात्मक है | आर्थिक क्षेत्र - यहां के धन धान्य पूर्ण समृद्धि तथा सदाचारी समाज का अनेक विदेशी यात्रियों (चीनी यात्री फाह्यान व्हेन सांग अलबेरूनी) आदि द्वारा उल्लेख,( संदर्भ मेथी लीव्स की इंडिया का पुस्तकें) व्यापार के क्षेत्र में - समुद्री मार्ग से विश्व भर में भारत का व्यापार संचालित होता था जो विश्व के व्यापार का 24% था | गुणवत्ता के कारण भारतीय वस्तुएं विश्व भर में आकर्षण और मांग का केंद्र थी उदाहरण के लिए भारतीय मखमल |
सांस्कृतिक दिग्विजय - तात्कालिक विश्व के प्रत्येक देश में हमारे ऋषि, मुनि, संत, विद्वान, वैज्ञानिक आदि गए उन्होंने वहां के जीवन को श्रेष्ठ (आर्य) बनाया जैसे अमेरिका, मेक्सिको, इटली, ब्रिटेन, जापान, चीन, रूस आदि आज भी पूर्वदीप समूह के लोग हमारी श्रेष्ठता के कारण ही स्वयं हमारे( हिंदुत्व )विचारों को अपना रहे हैं | संदर्भ विशेष अध्ययन डॉ शरद है वाडकर की पुस्तक प्रणव तो विश मारे साहित्य - गीता का अनुवाद विश्व की सभी भाषाओं में हुआ है और आज प्रत्येक देश में रुचि से पढ़ी जाती है रामायण, महाभारत, अभिज्ञान, शकुंतलम चार वेद आदि इनका भी अनेकों भाषाओं में अनुवाद हुआ है | विश्व के जन जीवन से संबंधित दिशा देने वाला साहित्य नालंदा विश्वविद्यालय के विशाल पुस्तकालय के नो - नो मंजिल के तीन विशाल प्रार्थना रत्न सागर,धर्म सागर व गुण सागर में उपलब्ध था | कौटिल्य अर्थशास्त्र में 300 ग्रंथों के संदर्भ - गणित बोधआयन, शुल्व सूत्र,( प्रमेय का सरल सूत्र ) पाइथागोरस ने भारत आकर इस प्रमेय को सीखा | पाइथागोरस के आने से अनेक वर्ष पूर्व शुल्व सूत्रों में इस प्रमेय की सिद्धि हो चुकी थी |
विस्तृत जानकारी के लिए संदर्भ ग्रंथ -
धर्मपाल समग्र dass खंड हमारी गौरवशाली परंपरा सुरेश सोनी गुणवंत विश्वमार्यम् डॉ शरद हवाल्कर
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