गुरुवार, 20 फ़रवरी 2025

स्वयंसेवकत्व

 



स्वयंसेवकत्व

सन 1938 की घटना है। नागपुर के संघ शिक्षा वर्ग में श्रद्धानिधि समर्पित करने का कार्यक्रम था। प्रत्येक स्वयंसेवक ने उस श्रद्धानिधि में अपनी अपनी राशि समर्पित की। किसने कितनी राशि समर्पित की यह अन्य दूसरे को जानने का कोई कारण नहीं था। एक स्वयंसेवक ने अपने हाथ की घड़ी की सोने की चेन निकालकर अपनी श्रद्धा का प्रतीक इस नाते उसे श्रद्धानिधि में समर्पित किया। स्वाभाविक ही सभी स्वयंसेवकों ने उसकी प्रशंसा की।

उस संघ शिक्षा वर्ग के सर्वाधिकारी के नाते जब पूज्य श्री गुरुजी का भाषण हुआ तब उन्होंने उस स्वयंसेवक द्वारा श्रद्धानिधि में जो सोने की चेन समर्पित की उसका उल्लेख करते हुए कहा - ‘सोने की चेन #श्रद्धानिधि में समर्पित करनेवाले स्वयंसेवक के मन में डाक्टर साहब के प्रति प्रेम, #श्रद्धा और आदर है, यह तो मानना ही पड़ेगा। किन्तु उसका #स्वयंसेवकत्व अभी अपूर्ण है। 

श्रद्धानिधि में अन्य सारे स्वयंसेवकों ने अपनी अपनी राशि समर्पित की, उसमें किसी का पृथक समर्पण दिखाई नहीं देता। किन्तु इस स्वयंसेवक ने अन्य सारे स्वयंसेवकों के अनुसार अपना #समर्पण न करते हुए, विशेष रूप से, सबको दिखाई पड़े इस प्रकार का समर्पण किया। इसके पीछे उसकी पृथक अस्मिता तथा अहंकार की भावना सुप्तावस्था में विद्यमान है।’ 

श्री गुरुजी के इन शब्दों को सुनकर हम सभी स्वयंसेवकों को धक्का लगा। परन्तु दूसरे ही क्षण, स्वयंसेवक बनने के लिये स्वयं की पृथक अस्मिता और अहंकार सम्पूर्णतया विलीन करना कितना आवश्यक है, इसका अविस्मरणीय पाठ हम सबको मिल गया।- पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी

जन्म कुंडली बनवाने व दिखाने के लिए संपर्क करें शर्मा जी -9312002527,9560518227

www.sumansangam.com

वर वधू के लिए निम्नलिखित फार्म भरे ।

Fill the following form for the bride and groom।

https://docs.google.com/forms/d/1v4vSBtlzpdB3-6idTkD1qoUZ6YkZIqEv8HAAeOJyPRI/edit

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

जानकारी काल हिन्दी मासिक जुलाई -2025

  जानकारी काल      वर्ष-26   अंक - 02        जुलाई - 2025 ,  पृष्ठ 43                www.sumansangam.com      प्रधान संपादक व  प्रकाशक  सती...