पद्मिनी एकादशी
अधिक मास/लोध मास/मलमास की शुक्लपक्ष की एकादशी को पद्मिनी एकादशी कहते है | एकादशी के दिन प्रात उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर भगवान की पूजा करनी चाहिए |
पद्मिनी एकादशी व्रत कथा - एक समय कार्तवीर्य ने रावण को कारागार में बंद कर रखा था उसको पुलस्त्य जी ने कार्तवीर्य से विनय करके मुक्त कराया | इस घटना को सुनकर नारदजी ने पुलस्त्य जी से पूछा हे महाराज उस महावीर रावण ने समस्त देवताओं सहित देवराज इंद्र को जीत लिया तथा उसको कार्तवीर्य ने किस प्रकार जीता था आप मुझे बताइए इस पर पुलस्त्य जी बोले हैं नारद आप पहले कार्तवीर्य की उत्पत्ति सुनो त्रेता युग में महिष्मति नाम की नगरी में उपकीर्तवीर्य् राजा राज करता था उस राजा के सौ स्त्रीयाँ थी उनमें से किसी के भी राज्य भार लेने वाला योग्य पुत्र नहीं था उस राजा ने पुत्र की प्राप्ति के लिए यज्ञ किए परंतु सब असफल रहे। अंत में वह तप के द्वारा ही सिद्धियों को प्राप्त जानकर तप करने के लिए वन को चला गया। उसकी स्त्री हरीशचंद की पुत्री प्रमादा वस्त्र आभूषण को त्याग कर अपने पति के साथ गंधमादन पर्वत पर चली गई। उस स्थान पर उन लोगों ने दस सहस्र वर्ष तक तपस्या की परंतु सिद्धि प्राप्त ना हो सकी। राजा के शरीर में केवल हड्डियां रह गई यह देखकर प्रमादा ने विनय सहित महामति अनसूया से पूछा मेरे पतिदेव को तपस्या करते हुए दस सहस्त्र वर्ष बीत गए परंतु अभी तक भगवान प्रसन्न नहीं हुए हैं। मुझे पुत्र प्राप्त हो सके अब आप मुझे ऐसा कोई व्रत बतलाइए जिससे मुझे पुत्र की प्राप्ति हो। इस पर अनसूया जी बोली कि अधिक मास जो कि बत्तीस महीने बाद आता है। उसमें दो एकादशी होती हैं जिसमें कृष्ण शुक्ल पक्ष एकादशी पद्मिनी और शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम परमा है। उसका व्रत व जागरण करने से भगवान तुम्हें अवश्य ही पुत्र देंगे। इसके पश्चात अनसूया जी ने व्रत की विधि बतलाई रानी ने अनसूया जी की विधि के अनुसार एकादशी का व्रत और रात्रि में जागरण किया इससे भगवान विष्णु उस पर अत्यंत प्रसन्न हुए और वरदान मांगने के लिए कहा। रानी भगवान की स्तुति करने लगी और रानी ने कहा भगवान आप वरदान मेरे पति को दीजिए प्रमादा का वचन सुनकर भगवान विष्णु बोले कि प्रमादे मलमास मुझे बहुत प्रिय जिसमें एकादशी का व्रत तथा रात्रि जागरण तुमने विधि पूर्वक किया इसलिए मैं तुम पर बहुत प्रसन्न हो इतना क्या कर भगवान विष्णु राजा से बोले राजेंद्र तुम अपनी इच्छा के अनुसार मांग लो क्योंकि तुम्हारी स्त्री ने मेरी भक्ति कि है भगवान की सुंदर वाणी को सुनकर राजा बोला हे भगवान आप मुझे सबसे श्रेष्ठ सब के द्वारा पूजित तथा आपके अतिरिक्त देव दानव मनुष्य आदि से अजय उत्तम पुत्र दीजिए । भगवान उसे तथास्तु कहकर अंतर्ध्यान हो गए। दोनों अपने राज्य को वापस आए उन्हीं के यह कार्तवीर्य उत्पन्न हुए थे यह भगवान के अतिरिक्त सबसे अजेय थे। इसी से उन्होंने रावण को जीत लिया था। यह सब पद्मनी एकादशी के व्रत का प्रभाव था नारदजी से इतना कहकर पुलस्त्य मुनि तेजी से वहां से चले गए। अधिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत जो करते है उनकी सभी मनोकामनाए पूरी होती है व अंत मे विष्णु लोक को जाते है।
प्रेरक प्रसंग सुनने के लिए क्लिक करे
https://youtube.com/@satishsharma7164
जन्म कुण्डली बनवाने व दिखाने के लिए संपर्क करे
शर्मा जी 9312002527 9560518227
कथा कहानी सुनने के लिए क्लिक करे
वर वधू
वैवाहिक संबंध बनवाने हेतू हमने इस पोर्टल का निर्माण किया है,
यह सेवा निशुल्क है।
वर वधू के लिए निम्नलिखित फार्म भरे ।
we have created this portal to make marriage relations, this service is free.
Fill the following form for bride and groom.
https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLSfedPV8_-DJ3X_jN8dqfmu99JIXX0zU7T2A8gRh4BwpTMTaYw/viewform