क्षेत्रीय प्रचारक (पश्चिमी उत्तर प्रदेश) महेन्द्र जी ने उद्बोधन मे कहा की
स्थापना के प्रारंभिक दौर में गटनायकों को काफी कष्ट सहना पड़ा क्योंकि उस समय हिन्दू समाज संघ को समझते नहीं थे। राष्ट्र की आधारशिला मजबूत होनी चाहिए और उसके लिए संघ मजबूत होनी चाहिए। संघ की आधारशिला है गटनायक। यदि प्रारंभिक दौर की चर्चा करें तो संघ के सबसे पहले गटनायक थे, बालासाहब देवरस, जो बाद में तृतीय सरसंचालक बने।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सबसे बड़ा दायित्व, गटनायक का होता है। गटनायक का काम है, लोक-संग्रह और लोक-संपर्क करना। आज के इस समय में संघ का कार्य थोड़ा सरल है। जब संघ शुरू हुआ था हिन्दू समाज के लोग संघ को समझते नहीं थे तो उनको समझाने का काम गटनायकों का होता था। अपने ग्राम/मोहल्ले में बनाये गए छोटे-छोटे दल को गट बोला जाता है और लोक-संपर्क करके गट के लोगों को शाखा लाना गटनायक का काम है। संघ अगर आगे बढ़ा है तो गटनायकों की वजह से ही आगे बढ़ा है। गटनायक हमेसा ही कष्ट सहते आये हैं और यह कष्ट ही उनकी साधना है।
संघ की प्रार्थना में पांच गुण बताए गए हैं यदि स्वयंसेवक उन सभी गुणों से परिपूर्ण होगा तो समाज में परिवर्तन आएगा, समाज संस्कारयुक्त होगा तो देश भी संस्कारयुक्त होगा। घर में और समाज में संस्कार लाने का कार्य गटनायक का है।
संघ के शाखा में आने वाले विद्यार्थियों के परीक्षाफल अच्छा होना चाहिए यह काम गटनायक का होता है। इसके लिए गटनायक उनके लिए शिक्षकों की भूमिका में भी निभाते हैं। गटनायक संघ के लिए बहुत मजबूत सूचना तंत्र का निमार्ण करते हैं। गटनायक अपने गट के स्वयंसेवकों से घर-घर में जाकर फेस-2-फेस संपर्क करते हुए उनके दुःख-सुख की सूचना रखते है। लव-जिहाद और समाज में फैली कुरीतियों को गटनायकों के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया जा सकता है।
1962 में चीन भारत पर आक्रमण कर दिया और भारतीय सेना चीन से युद्ध करने के लिए तैयार हो रही थी तो उनको कुछ चीजों की आवश्यकता थी। जिसमें भोजन भी एक था। अब इतने सैनिकों के भोजन की व्यस्था करनी थी तो सैनिक अधिकारी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी से संपर्क किया यह दिल्ली की बात है। तो युद्ध के समय सैनिकों के लिए भोजन की व्यावस्था करने का दायित्व भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बहुत ही सुन्दर ढंग से किया था। प्रत्येक गटनायक को स्वयं की प्रतिभा बढ़ाते हुए, राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उत्कृष्ट योगदान देना ही एकमात्र लक्ष्य। साथ ही उन्होंने स्वावलंबन के लिए घर में स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग पर बल देने की बात भी प्रमुखता से की।
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