बदलाव
रात के साढ़े बारह बजे दरवाजा खुलने की आवाज सुनकर बुजुर्ग उषाजी ने उसी और देखो तो सामने बेटा सुमित और बहु नेहा अंदर की ओर आ रहे थे
ये क्या लगा रखा है तुम दोनों ने ....हर रोज देर रात को पार्टी में से लौटना में बूढ़ी यहां सारा घर का काम करती रहती हूं और तुम .... तुम्हारे बाबूजी को बाहर जाकर सब्जी दूध लाना पड़ता है में कुछ कहती नहीं थी की हो जाता है कभी कभार मगर तुम दोनों ने तो अति ही कर दी बेटा थोड़ी तो शर्म करो तुम दोनों ....
सुमित ने पहले तो गूंथकर मां को देखा फिर अपनी पत्नी नेहा की ओर जिसका भी चेहरा गुस्से से तमतमाया हुआ लग रहा था ..... सुबह बात करते है मां. ....
इतना कहकर सुमित पत्नी नेहा को लेकर अपने कमरे में चला गया और बंद कमरे में कपड़े बदलते हुए अंदर से आवाजें आ रही थी ....जीना हराम कर रखा है इन लोगो ने अब बर्दाश्त करना मुश्किल है कुछ करना पड़ेगा अब सारा पानी सिर से ऊपर होने लगा है
अपने कमरे के दरवाजे पर खड़े रमेशबाबू के कानों में जब ये शब्द पड़े तो वह गुस्से मे उषाजी को देखते हुए बड़बड़ाने लगे .....अब कहो बच्चे हैं उषा ...
बस बहुत हुआ अब तुम्हारी एक नहीं सुनुंगा .... बीमारी का इलाज वक्त पर ना हो तो वो नासूर बन जाती है
आप सही कहते थे रमेशजी में ही बच्चे हैं आज नहीं तो कल समझ जाएंगे मगर ..... अब आप ही कुछ इलाज कीजिए मुझसे ये सब बर्दाश्त नहीं होता जब देखो उल्टा सुना देते है आप तो डाक्टर है क्या इस बीमारी का इलाज है आपके पास...
इलाज तो था मगर अबतक तुमने मेरे हाथ बांध रखे थे खैर .... कल ही इस बीमारी का इलाज हो जाएगा बस तुम पिघलना मत अगर स्वाभिमान और सम्मान से अपनी आखिरी सांसें लेना चाहती हो तो मेरे निर्णय में साथ रहना ।
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रमेशबाबू कुर्सी पर बैठे सुबह होने का इंतजार करने लगे
सुबह होते ही रमेशबाबू ने बेटे सुमित और बहु नेहा को कमरे में आने का आदेश दिया जैसे ही दोनों रमेशबाबू के कमरे में पहुंचे तो रमेशबाबू ने उषा से कहा कि वो कोर्ट वाले पेपर निकाल लाए
पेपर्स.....कैसे पेपर्स मां..... सुमित ने पूछा तो वहीं
नेहा ने तीखे लहजे में कहा मुझे जिम जाने में देर हो रही है जो कहना हो जल्दी कहिए
बस जरा सा वक़्त बेटा.... रमेशबाबू उठे और स्वयं ही लॉकर से पेपर निकालते हुए बोले और फिर कुर्सी पर बैठकर चश्में लगा कर पढ़ने लगे....ये कोर्ट के एग्रीमेंट पेपर है सुमित.... तुझे याद होगा तेरे 18 वे जन्मदिन पर जब तूने सबसे महंगी वाली बाइक मांगी थी तब मैंने तुझसे ये पेपर साइन करवाए थे और तूने मुस्कुराते हुए सहमति जताई थी...
क्या है इन पेपर्स में.... नेहा एकदम से सक्रिय हो उठी जबकि सुमित अभी तो सोच में ही था
इनमें लिखा है कि आजीवन सुमित को अपने मां बाप की देखभाल पूरे प्यार और सम्मान के साथ,और जरूरत अनुसार हमारी सेवा इसी घर मे रहते हुए करनी होगी और शादी के बाद उसकी पत्नी को भी....और अगर किसी भी परिस्थिति में वह या उसकी पत्नी अपने इस फर्ज से मुंह मोड़ते हैं तो हमारी सम्पत्ति पर उनका कोई अधिकार नही रह जाएगा ....
और इतना ही नही सुमित को डाक्टर बनाने में जो लाखों का खर्च हुआ हमारा वो भी सुमित को ब्याज के साथ चुका कर यहां से पत्नी सहित चले जाना होगा....
इतना पढ़ कर रमेशबाबू ने पेपर की फोटो कॉपी नेहा के हाथ मे थमा दी और कहा ....बेटा अभी जिम जाने में देरी हो रही थी ना तुम्हे तो हो आओ जिम फिर आराम से पढ़ लेना...नेहा के तो जैसे होश ही उड़ गए
मगर पापा जी .... मां जी .... आप हमारे साथ ऐसा कैसे कर सकते है मेरा मतलब हम कैसे इतना पैसा
और हम कहां जाएंगे सुमित थोड़ा हकलाते हुए बोला
कयुं ....रात को तो तुम कह रहे थे की पानी सिर से ऊपर
कुछ करना पड़ेगा एक्सट्रा एक्सट्रा क्या हुआ ....
पापा वो .... सुमित नेहा को देखकर बोला
हां पापाजी हमें माफ कर दीजिए वो हम ... बच्चों से गलती हो जाती हैं तो बड़े उन्हें माफ कर देते हैं आप भी हमे माफी नेहा थोड़ा सा धीमी आवाज में सिर झुकाकर बोली
बेटा ..... ज़ख्म जब लाइलाज हो जाए तो उसको काटना जरुरी हो जाता है ये बात हम दोनों डाक्टर होने की हैसियत से बखूबी जानते है कयुं सुमित सही कहा ना मैंने खैर ....अगर आगे से जिम्मेदार और सावधानी बरतने का वादा करो तो कुछ समय दूसरी दवा से इलाज करने की परमिशन दे सकता हूं
जैसे कि आज से बल्की अभी से रसोईघर तुम्हारे जिम्मे और बाहर से समान वगैरह की जिम्मेदारी तुम्हारी सुमित
हां यदि तुम दोनों अच्छे से अपनी जिम्मेदारियों को निभाने लगोगे तो हम दोनों भी तुम्हारी मदद करते रहेंगे वरना एक और वसीयत तैयार की हुई है जिसमें हमारे बाद ये सब अनाथ आश्रम को ....
नहीं पापाजी नहीं .... हम दोनों अपनी अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाएंगे सुमित और नेहा एकसाथ बोले
ठीक है तो शुरू हो जाओ रमेशबाबू ने जैसे ही कहा नेहा तुरंत रसोईघर की ओर नाश्ता बनाने के लिए दौड़ी तो वहीं सुमित थैला लिए दूध लाने
रमेशबाबू जहां भोहो को हिलाकर मुस्कुराते हुए उषा की ओर देख रहे थे वहीं उषाजी भी मुस्कुराने लगी थी आखिर देर से ही सही आज उन्हें बीमारी का सटीक इलाज जो मिल गया था..!!
*मनन अवश्य करें..!!*
धन्यवाद जी
जवाब देंहटाएंBahut khoob
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