भगवान का घर
कल दोपहर में मैं बैंक में गया था। वहाँ एक बुजुर्ग भी उनके काम से आये थे। वहाँ वह कुछ काम की बात ढूंढ रहे थे। मुझे लगा शायद उन्हें पेन चाहिये। इसलिये उनसे पुछा तो, वह बोले "बिमारी के कारण मेरे हाथ कांप रहे हैं और मुझे पैसे निकालने की स्लीप भरनी हैं। उसके लिये मैं देख रहा हूँ कि किसी की मदद मिल जाये तो अच्छा रहता।" मैं बोला "आपको कोई हर्ज न हो तो मैं आपकी स्लीप भर दूँ क्या?"उनकी परेशानी दूर होती देखकर उन्होंने मुझे स्लीप भरने की अनुमति दे दी। मैंने उनसे पुछकर स्लीप भर दी। रकम निकाल कर उन्होंने मुझसे पैसे गिनने को कहा। मैंने पैसे गिनकर उन्हें वापस कर दिये। मेरा और उनका काम लगभग साथ ही समाप्त हुआ तो, हम दोनों एक साथ ही बैंक से बाहर आ गये तो, वह बोले साॅरी तुम्हें थोडा कष्ट तो होगा। परन्तु मुझे रिक्षा करवा दोगे क्या? भरी दोपहरिया में रिक्षा मिलना कष्टकारी होता हैं।
मैं बोला "मुझे भी उसी तरफ जाना हैं। मैं तुम्हें कार से घर छोड दूँ तो चलेगा क्या?
वह तैयार हो गये। हम उनके घर पहूँचे। घर क्या बंगला कह सकते हो। 60' × 100' के प्लाट पर
बना हुआ। घर में उनकी वृद्ध पत्नी थी। वह थोडी डर गई कि इनको कुछ हो तो नहीं गया जिससे उन्हें छोडने एक अपरिचित व्यक्ति घर तक आया हैं। फिर उन्होंने पत्नी के चेहरे पर आये भावों को पढकर कहा कि" चिंता की कोई बात नहीं। यह मुझे छोडने आये हैं। फिर हमारी थोडी बातचीत हुई। उनसे बातचीत में वह बोले "इस भगवान के घर में हम दोनों पति-पत्नी ही रहते हैं। हमारे बच्चे विदेश में रहते हैं। मैंने जब उन्हें भगवान के घर के बारे में पुछा तो कहने लगे,हमारे घर में भगवान का घर कहने की पुरानी परंपरा हैं। इसके पीछे की भावना हैं कि यह घर भगवान का हैं और हम उस घर में रहते हैं। लोग कहते हैं कि घर हमारा और भगवान हमारे घर में रहते हैं। मैंने विचार किया कि, दोनों कथनों में कितना अंतर हैं। तदुपरांत वह बोले भगवान का घर बोला तो अपने से कोई नकारात्मक कार्य नहीं होते हमेशा सदविचारों से ओत प्रेत रहते हैं। बाद में मजाकिया लहजे में बोले लोग मृत्यु उपरान्त भगवान के घर जाते हैं परन्तु हम तो जीते जी ही भगवान के घर का आनंद ले रहे हैं। यह वाक्य अर्थात ही जैसे भगवान ने दिया कोई प्रसाद ही हैं। उन बुजुर्ग को घर छोडने की बुद्धि शायद भगवान ने ही मुझे दी होगी।
घर भगवान का और हम उनके घर में रहते हैं
यह वाक्य बहुत देर तक मेरे दिमाग में घुमता रहा। सही में कितने अलग विचार थे यह। जैसे विचार वैसा आचार। इसलिये वह उत्तम होगा ही इसमें कोई शंका नहीं,।
घर भगवान का और हम उसके घर मे रहते है।
जवाब देंहटाएंJab ham bhagwan ke hai aur sabkuchh bhagwan ka diya hua hai to ghar bhe bhagwan ka hae,yah accha vichar hi
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना🙏
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर
जवाब देंहटाएंATI Sundar
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