गुरुवार, 26 जनवरी 2023

माघ मास


माघ मास 

माघ मास में जन्मे सुंदर चेहरा ,मनोहर ,नरम  स्वभाव ,अपनी इक्छा अनुसार कार्य करने वाली /वाला दुसरो को अपनी बात पूरी तरह प्रकट ना होने दे |

पंचांग के अनुसार माघ  (चंद्रमास) वर्ष का ग्यारहवां महीना होता है। पौष के बाद माघ माह प्रारंभ होता है। इसका नाम माघ इसलिए रखा गया क्योंकि यह मघा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा से प्रारंभ होता है। चंद्रमास के महीने के नाम नक्षत्रों पर ही आधारित है, जैसे पौष का पुष्य नक्षत्र से संबंध है। पुराणों में माघ मास के महात्म्य का वर्णन मिलता है।

पद्म पुराण में माघ मास में कल्पवास के दौरान स्नान, दान और तप के माहात्म्य के विस्तार से वर्णन मिलता है। इसके अलावा माघ में ब्रह्मवैवर्तपुराण की कथा सुनने के महत्व का वर्णन भी मिलता है।

माघ कृष्ण द्वादशी को यम ने तिलों का निर्माण किया और दशरथ ने उन्हें पृथ्वी पर लाकर खेतों में बोया था। अतएव मनुष्यों को उस दिन उपवास रखकर तिलों का दान कर तिलों को ही खाना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है। 

माघ मास में प्रयाग संगम तट पर कल्पवास करने का विधान है। साथ ही माघ मास की अमावास्या को प्रयागराज में स्नान से अनंत पुण्य प्राप्त होते हैं। वह सब पापों से मुक्त होकर स्वर्ग में जाता है क्योंकि ब्रह्मा, विष्णु, महादेव, रुद्र, आदित्य तथा मरूद्गण माघ मास में प्रयागराज के लिए यमुना के संगम पर गमन करते हैं।माघ मास में  स्नान, दान, और जप,तप करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है | भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती है | माघ मास में पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और इच्छाएं भी पूरी होती हैं। प्राचीन पुराणों में यहां तक कहा गया है कि भगवान नारायण को प्राप्त करने के लिए सबसे सुगम रास्ता माघ मास के पुण्य काल में पवित्र नदियों में स्नान करना है।

वैसे तो हर मास का अपना विशेष स्थान है लेकिन माघ मास विशेष पुण्यदायी माना गया है। मान्यता है कि इस महीने किए गए पुण्य कार्यों का फल हमेशा कई जन्मों तक मिलता है। माघ मास के बारे में जो भी व्यक्ति जरूरतमंद की मदद करता है और ब्रह्मावैवर्त पुराण का दान करता है, उसे ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है। 

माघ मास में  हर रोज गीता का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से मन शांत रहता है और नारायण का आशीर्वाद भी मिलता है। ऐसा करने से हमारे अंदर के सभी नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं और इससे भाग्य भी आपका साथ देना शुरू कर देता है। माघ मास में नियमित गीता पाठ से सोचने और समझने की शक्ति में बृद्धि होने लगती है।

विष्णु भगवान को तिल अर्पित करें, तिल से भगवान की पूजा और तिल बोलने मात्र से पाप का प्रभाव तिल-तिल कर क्षय होने लगता है। नियमित तिल खाने और जल में तिल डालकर स्नान करने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है।

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