निर्जला एकादशी
व्रत कथा और पूजन।
साल में होने वाली सभी एकादशियों का काफी महत्व होता है। इस दिन लोग उपवास करते हैं। निर्जला एकादशी व्रत का आपना अलग काफी महत्व है। ।उपवास से मिलती है दीर्घायु और होती है मोक्ष की प्राप्ति व सभी मनोकामनाए पूर्ण होती |
निर्जला, यानी बिना पानी के उपवास रहने के कारण,निर्जला एकादशी कहा जाता है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी के दिन व्रत और उपवास करने से व्यक्ति को दीर्घायु तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस एकादशी को करने से वर्ष की सभी 24 एकादशियों के व्रत के समान फल मिलता है।
निर्जला एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में एक बार महाबली भीम को व्रत करने की इच्छा हुई और उन्होंने महर्षि व्यास जी से कहा भगवन सभी व्रत करते है पर मै नहीं कर पाता क्यूंकि मुझसे भूख बर्दास्त नहीं होती मै क्या करू की मेरी भी मुक्ति हो जाये आपसे इसके बारे में जानना चहाता हूँ । उन्होंने अपनी परेशानी उन्हें बताते हुए कहा कि उनकी माता, भाई और पत्नी सभी एकादशी के दिन व्रत करते हैं | इस पर महर्षि व्यास ने भीम से ज्येष्ठ मास की निर्जला एकादशी व्रत को शुभ बताते हुए यह व्रत करने को कहा। उन्होंने कहा कि इस व्रत में आचमन में जल ग्रहण किया जा सकता है, लेकिन अन्न से परहेज किया जाता है। इसके बाद भीम ने मजबूत इच्छाशक्ति के साथ यह व्रत कर पापों से मुक्ति पायी।
निर्जला एकादशी पूजन विधि
इस दिन पंडित जी को मीठा जल,मटका,पंखा,खरबूजा व गर्मी के फल दान करने का महत्त्व है |
निर्जला एकादशी का व्रत के नियमों का पालन दशमी तिथि से शुरू हो जाता है।
इस दिन व्रत करने के अतिरिक्त जप, तप गंगा स्नान आदि कार्य करना शुभ रहता है।सारा दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।एकादशी वाले दिन गौ दान करने का विशेष महत्व होता है।व्रत के बाद द्वादशी तिथि में स्नान, दान तथा ब्राह्माण को भोजन कराना,वस्त्र दान करना चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे-
शर्मा जी जन्म कुंडली विशेषज्ञ व सलाहकार - 9312002527
jankarikal@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें