शनिवार, 15 अप्रैल 2023

बरुधिनी एकादशी




*बरूथिनी एकादशी व्रत की कथा सुनने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है,कथा सुनने के लिए क्लिक करे*
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 बरुधिनी एकादशी 

वरुथिनी एकादशी व्रत

वैशाख कृष्ण पक्ष एकादशी  को वरुथिनी एकादशी कहते हैं।हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का विशेष महत्व बताया गया है और हर महीने में एकादशी तिथि दो बार पड़ती है। पूरे साल में 24 एकादशी तिथियां होती हैं और जिस साल मलमास होता है उस साल में एकादशी तिथियों की संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। प्रत्येक एकादशी व्रत का अपना अलग महत्व है और इसमें पूरी श्रद्धा भाव से विष्णु पूजन करने का विधान है। इन्हीं एकादशी तिथियों में से एक है वैशाख के महीने में पड़ने वाली *वरुथिनी एकादशी* जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है।एकादशी के व्रत को मोक्षदायक माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है एवं मृत्यु के बाद उन्हें श्री विष्णु लोक प्राप्त होता है

वरुथिनी एकादशी का महत्व:

इस एकादशी तिथि का व्रत रखने और इस दिन श्रद्धा भाव से विष्णु पूजन करने से व्यक्ति को मोक्ष और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन का व्रत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन का पूजन विशेष रूप से सभी पापों से मुक्ति दिलाता है। यदि कोई व्यक्ति इस दिन भगवान विष्णु का पूजन माता लक्ष्मी समेत करता है तो यह उसके लिए विशेष रूप से फलदायी होता है।

वरुथिनी एकादशी कथा:

वरुथिनी एकादशी की कथा के अनुसार ...एक समय नर्मदा नदी के तट पर मांधाता नाम के राजा का राज्य था। राजा की रुचि हमेशा धार्मिक कार्यों में रहती थी। वह हंमेशा पूजा-पाठ करते रहते थे। एक बार राजा जंगल में तपस्या कर रहे थे कि अचानक वहां एक जंगली भालू आया और उनका पैर काटने लगा। राजा इस घटना से भयभीत नहीं हुए और कष्ट सहते हुए भी अपनी तपस्या में लीन रहे। बाद में वे भालू उनके पैर को चबाते हुए घसीटकर पास के जंगल में ले गया, तब राजा मान्धाता ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। *राजा की पुकार सुनकर भगवान विष्णु प्रकट हुए* और अपने सुदर्शन चक्र से भालू का अंत कर दिया। राजा का पैर भालू खा चुका था। दुखी भक्त को देखकर भगवान विष्णु बोले- 'हे वत्स! शोक मत करो। तुम मथुरा जाओ और वरुथिनी एकादशी का व्रत रखकर मेरी वराह अवतार मूर्ति की पूजा करो। उसके प्रभाव से पुन: सुदृढ़ अंगो वाले हो जाओगे। जिस तरह से वरुथिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से राजा मांधाता को कष्टों से मुक्ति प्राप्त हुई उसी प्रकार से यह व्रत भक्तों को कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला व्रत है।

वरुथिनी एकादशी पूजा विधि

 वरुथिनी एकादशी के दिन कुछ लोग निर्जला व्रत भी करते हैं और कुछ लोग फलाहार का पालन करते हैं। यदि आप इस व्रत का पालन करते हैं तो सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान से निवृत्त होकर घर के मंदिर की सफाई करें। पूजा स्थल को साफ़ करने के बाद सभी भगवानों को स्नान करें और नए वस्त्र पहनाएं। भगवान विष्णु की तस्वीर साफ़ करें और उसमें चन्दन लगाएं।

विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और एकादशी व्रत कथा का पाठ करें। रात्रि के समय भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करें और घर की शांति की प्रार्थना करें। पूरे दिन फलाहार का पालन करने के बाद द्वादशी के दिन व्रत का पारण करें। इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वास्तव में वरुथिनी एकादशी का व्रत और पूजन विशेष रूप से फलदायी है। इसलिए मनोकामनाओं को पूर्ति हेतु इस व्रत का पालन करें।

धर्मराज युधिस्टर हे भगवान वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है और उसकी क्या विधि है और उससे करने से कौन से फल की प्राप्ति होती है, सो कृपा पूर्वक कहिए | श्री कृष्ण भगवान बोले राजेश्वर वैशाख  माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम बरूथिनी है। यह सौभाग्य को देने वाली है इस के व्रत से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और अंत में सुख भोग कर मोक्ष की  प्राप्ति होती  है। यदि इस व्रत को एक अभागिनी स्त्री करती है तो उसे सौभाग्य मिलता है एकादशी के प्रभाव से ही राजा मधांता  सब कष्ट को छोड़कर स्वर्ग  को गया इसकी कथा इस प्रकार है पुराने समय की बात है एक बार नर्मदा नदी के तट पर मधांता नामक राजा राज्य सुख भोग रहा था राज कार्य करते हुए भी वह अत्यंत तपस्वी था। एक दिन जब वह तपस्या कर रहा था उसी समय एक जंगली भालू आकर उसका पैर चबाने लगा थोड़ी देर बाद वह राजा को घसीट  कर वन में ले गया तब राजा ने घबराकर तापस धर्म के अनुसार हिंसा क्रोध ना करके भगवान विष्णु से प्रार्थना की हे भक्तवत्सल भगवान प्रकट हो और मेरी रक्षा करें राजा की प्रार्थना सुनकर भक्तवत्सल भगवान प्रकट हुए और भालू को अपने चक्र से मार डाला राजा का पैर भालू खा चुका था। इससे वह बहुत दुखी होकर विलाप करने लगा । विष्णु भगवान ने उसको दुखी देखकर कहा कि हे वत्स  मथुरा में जाकर तू मेरे वाराह अवतार मूर्ति की पूजा कर और वरुथिनी एकादशी का व्रत करो उसके प्रभाव से तुम  फिर से ठीक हो जाओगे। ओर यह जो भालू ने जो तुम्हें काटा है वह तुम्हारा पूर्व जन्म का अपराध है, राजा ने इस व्रत का अपार श्रद्धा से पालन किया। व्रत के प्रभाव से वह फिर  सुंदर शरीर पा गया जो इस एकादशी का व्रत करता है उसे कन्यादान के समान फल मिलता है एकादशी के दिन जुआ नहीं खेलना चाहिए, दूसरों की चुगली नहीं करनी चाहिए, पापियों से बात नहीं करना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए, झूठ नहीं बोलना चाहिए, प्रयास करें कि व्रत  करें एक समय खाना खाएं | द्वादशी को  भगवान को खीर का भोग लगाकर खुद व्रत को खोलें धन्यवाद ।

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शर्मा जी 9312002527


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