महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा चार बार की जाती है। इस दिन भगवान की पूजा रात्रि के समय एक बार या फिर संभव हो तो चार बार करनी चाहिए. वेदों में रात्रि के चार प्रहर बताए गए हैं।इस दिन हर प्रहर में भगवान शिव पूजा की जाती है। महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था |
सारा दिन भगवान आशुतोष का ध्यान करें।अगर कोई मंत्र जपते है तो उसका जाप करें नहीं है तो ॐ नम शिवाय का जाप करें।जब भी समय लगे भगवान के सामने बैठे व आपनी मन कि बात कहें।आज के दिन ॐ का जाप करने या उच्चारण करने से विशेष लाभ मिलता है ।
शिवरात्रि पर विशेष
शिवरात्रि शिव और पार्वती के रूप में प्रकृति और पुरुष के मिलन का पवित्र दिन है प्रकृति अर्थात स्त्री और पुरुष के सहयोग से ही सृष्टि की उत्पत्ति तथा जीवन की संपूर्णता का विधान है इस दिन सृष्टि के विधायक प्रकृति और पुरुष की शिवलिंग के रूप में पूजा करते हैं |
भारतीय धर्म संस्कृति और जीवन शैली सर्वथा विज्ञान सम्मत भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति का सर्वोत्तम जीवन दर्शन है भारतीय जीवन के समस्त क्रियाकलाप आदर्श परंपराएं और मान्यताएं पूर्ण तरह वैज्ञानिक एवं व्यवहारिक है हमारी धर्म प्रधान प्रवृत्ति होने के कारण समस्त संदेशों को धार्मिक रूप देकर उसका पालन करने के लिए प्रेरित किया गया है | भारतीय जीवन में त्रिदेव की अवधारणा दी वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से सर्वांग पूर्ण है | शिव का निवास तिब्बत में कैलाश पर्वत पृथ्वी का केंद्र है भगवान विष्णु का निवास क्षीर सागर में तथा ब्रह्मा का निवास नदियों के निकट बताया गया है पर्वत नदी और सागर से ही हम सबका जीवन है जीवन की संपूर्ण आवश्यकता इन्हीं से पूर्ण होती है | शिवलिंग की आकृति परमाणु रिएक्टर जैसी होती है परमाणु रिएक्टर से निकलती हुई रेडियोधर्मिता से युक्त विकिरण को रोकने के लिए मोटी मोटी कंक्रीट की दीवारें खड़ी की जाती है | अमेरिकी वैज्ञानिकों ने शोध करके यह बताया कि शिवलिंग के आसपास भी रेडियोधर्मिता किरणों की उपस्थिति पाई गई है शिव जगत की चेतना का मूल है जगत की सारी अशुद्धियों और बुराइयों को शुद्ध करना शिव धर्म है | शिवलिंग के कारण सारी नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है शिवलिंग के पास से निकलने वाली बुरी शक्तियां नष्ट हो जाती हैं बुरी शक्तियों को शुद्ध करने के कारण तथा रेडियोधर्मिता के कारण शिवलिंग का ताप बढ़ जाता है | उस को शांत करने के लिए दूध जल बेलपत्र आदि चढ़ाए जाते हैं इससे उन्हें शुद्ध तथा शांत करने की शक्ति शिवलिंग में आ जाती है | काम थकान तनाव से ताप बढ़ जाता है दिल दिमाग गर्म हो जाता है मन अशांत हो जाता है और कार्य क्षमता पर प्रभाव पड़ता है इसलिए फिर से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए शीतल जल तथा विश्राम की आवश्यकता होती है |
काला पत्थर और काला रंग किसी रंग को परावर्तित नहीं करता काले रंग में सभी रंग विलय हो जाते हैं काला रंग ऊर्जा का अवशोषण करता है जिस प्रकार काला छाता लगाने से ऊष्मा का प्रभाव नहीं होता |
सभी कार्य स्वाधिष्ठान चक्र में संग्रहित होते हैं स्वास्थ्य संपत्ति और आध्यात्मिक उन्नति का मूल अधिष्ठान चक्र है जिसमें जल तत्व की प्रमुखता है शिवलिंग पर जल चढ़ाने से अधिष्ठान चक्र का जल तत्व शिवलिंग के जल तत्व से एकाकार हो जाता है जल तत्व की शुद्धि हो जाती है और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है |
स्विट्जरलैंड की विश्व की सबसे बड़ी प्रयोगशाला में नटराज की मूर्ति स्थापित की गई है जो निरंतर गतिशीलता का प्रतीक है गतिक्ष ऊर्जा का जनक होती है गति से ही अनु परमाणु विखंडित होकर और शक्तिशाली बनते हैं यही गतिशीलता और ऊर्जा जीवन है |
नटराज नृत्य संगीत योग और आध्यात्मिकता का संयोग है जो सुख शांति आनंद और अभ्युदय का वैभव है | साहित्य संगीत कला विहीन मनुष्य साक्षात पशु सामान है |
शिव स्वरूप संपूर्ण श्रृष्टि एवं आध्यात्मिक अभ्युदय तथा एकता अखंडता का प्रतीक है | कहते हैं कि विष्णु के कमंडल से निकली गंगा को शिव ने अपनी जटाओं में उलझा लिया था | यह संपूर्ण हिमालय शिव स्वरूप ही तो है वृक्ष वनस्पति लताएं जंगल शिव की जटा यही है जिनमें घूमती फिरती गंगा मैदान में उतरती है | गंगा का उद्गम स्थान गोमुख कमंडल की आकृति का सा है यदि हजारों फुट ऊंचाई से गंगा का प्रवाह मैदान पर गिरता तो उसका परिणाम विनाशक होता | देश को धन-धान्य से संपन्न कराने में गंगा का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है | इसलिए गंगा के प्रति आदर और सम्मान प्रकट करने के लिए शिव ने उसे सिर पर धारण किया है उगते सूर्य को तो सभी प्रणाम करते हैं किंतु शिव ने तो कलंक और शाप ग्रस्त चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया है | यह उस भाव का प्रतीक है की दीन हीन कमजोर प्राणियों को संरक्षण देना ही धर्म है | शिव जो साक्षात काल स्वरूप होते है अतः भयंकर विपत्ति में निर्भय और शांत चित्र से उसका सामना करना चाहिए तब वह विपत्ति भी हमारे गले का हार बन जाती है |
शिव वाहन नंदी हमारी अर्थव्यवस्था का प्रतीक है भारत कृषि प्रधान देश है गोवंश पर ही कृषि निर्भर रहती थी नंदी गोवंश के संरक्षण और उसके संवर्धन का प्रतीक है शिव के अनेक विकृत रूप वाले गण भोले भाले अशिक्षित उपेक्षित असहाय जन समुदाय का प्रतीक है जो शिव के संरक्षण में फलते फूलते और आनंदित रहते हैं डमरू नाद का और शब्द का प्रतीक है नाद अर्थात ध्वनि और शब्द ही ब्रह्म है यह आध्यात्मिकता का संदेश है त्रिशूल त्रिगुण त्रिलोक त्रिमूर्ति और त्रिदोष नाशक का प्रतीक है ज्योतिर गुण और त्रिदोष से मुक्त है वही तो योग योगेश्वर शिव हैं अर्धनारीश्वर के रूप में लौकिक और पारलौकिक सांसारिक तथा आध्यात्मिकता का सर्वोच्च स्वरूप शिव में व्याप्त है त्रिशूल जहां संहारक शस्त्र है वही अग्रभाग ओम की आकृति शांति और आनंद का संदेश देती है मंदिरों के शिखर पर त्रिशूल की स्थिति से आकाशीय विद्युत का प्रभाव क्षीण हो जाता है शिखर पर अवस्थित त्रिशूल तथा गर्भ ग्रह में शिवलिंग के प्रभाव से समस्त अशुद्धियों का नाश हो जाता है और तब वहां ध्यान साधना करना अधिक सरल और आनंददायक हो जाता है |
शंकर की तीसरी आंख आज्ञा चक्र में स्थित है जिसके जागृत होने पर दिव्य दृष्टि प्राप्त हो जाती है इस स्थिति में संपूर्ण ब्रह्मांड में सब कुछ देखा जा सकता है और सर्वत्र भ्रमण किया जा सकता है इस दिव्य दृष्टि का बड़ा व्यापक प्रभाव होता है संहारक और सर्जन में आज्ञा चक्र है विवेक बुद्धि का स्रोत है वैज्ञानिक दृष्टि से मस्तिष्क के दो भागों के बीच एक पीनियल ब्लेंड होती है तीसरी आंख इसी को दर्शाती है इसका काम है हारमोंस को छोड़ना जिसे मेला टोन इन हार्मोन कहते हैं जो सोने व जागने के घटना चक्र का संचालन करता है यही वह पीनियल ग्लैंड है जो ब्रह्मांड में झांकने का माध्यम है इसके जागृत होने पर कहते हैं कि व्यक्ति के ज्ञान चक्षु खुल गए यह पीनियल ग्लैंड आंख की तरह होती है इसका वजन 2 मिलीग्राम होता है जीव जंतुओं में यह तीसरा नेत्र रंगों की पहचान कर सकता है इस ग्रंथि की गड़बड़ी से जननांगों में विपरीत प्रभाव पड़ता है |
महाशिवरात्रि पर्व पर नंगे पांव कावड़ यात्रा देश की एकता अखंडता समरसता सद्भाव साहस परस्पर ज्ञान प्रेम तथा सांस्कृतिक जागरण का माध्यम है |
भगवान शिव में परस्पर विरोधी भावों गुरु और परिस्थितियों का अद्भुत संयोग है शिव के मस्तक पर विद्यमान तीसरी नेत्र के रूप में अग्नि पुण्य है तो जटाओं में गंगा का शीतल प्रवाह कंठ में कालकूट विष है तो मस्तक पर अमृत की वर्षा करता चंद्रमा गले में सर्पों की माला है तो उसका जन्म जातक शत्रु कार्तिकेय का वाहन मयूर है शिव का वाहन नंदी है तो मां पार्वती का वाहन सिंह वहां विराजमान है वस्तुत शिव व्यक्ति समाज तथा राष्ट्रीय जीवन का संपूर्ण प्रतिबिंब है जिस प्रकार जीवन में सुख दुख आनंद विषाद उत्थान पतन का क्रम चलता रहता ह जो इन अनुकूल व प्रतिकूल परिस्थितियों में समान रूप से जीवन जीता है उसका जीवन ही सफल और सार्थक होता है यही शिव का शिवत्व है |
डॉ मुनीश प्रकाश
महाशिवरत्रि कि बधाई व शुभ कामनाए
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जवाब देंहटाएंबहुत लाभकारी अति ज्ञानवर्धक