हिंदीकीविकासयात्रा
हिंदीभाषाकानामलेतेहीमनरोमांचसेपरिपूर्णहोजाताहै | इसलिएतोकहाहै -
"सुंदरहै, मनोरमहै, मीठीहै, सरलहै,
ओजस्विनीहैऔरअनूठीहैयेहिन्दी ||"
हिंदीभाषाकेवलभाषानहींहै, अपितुसभीभाषाओंमेंलोकप्रियहोनेकेसाथजनमानसकेपटलपरऐसेअंकितहै, जैसेशब्दोंमेंबिंदीरहतीहै | कोईभीभाषासदैवएक-सीनहींरहतीहै, बल्किसमयकेअनुसारअपनेमेंपरिवर्तनकरतेहुएनिरंतरविकासकेपथपरअग्रसररहतीहै | हिंदीभाषाइतनीउदारहैकिइसनेउर्दू, अरबी, फारसीआदिसभीभाषाओकेशब्दोंकोअपनेमेंसमाहितकियाहुआहैऔरफिरभीप्रफुल्लितऔरपुष्पितहै |हिंदीकीआदिजननी‘संस्कृत’है | परन्तुइसकेइतिहासकाआरम्भ‘अपभ्रंशभाषा’सेमानाजाताहै | मूलतः 'हिंदी' फारसीशब्दहै | जिसकाअर्थ- 'हिंदीकी' या 'हिन्द' सेसंबंधितहै | पूर्वकालमेंदेखाजायेतोअंग्रेजोंनेअंग्रेजीभाषाकाप्रचुरमात्रामेंप्रसारकियाऔरउसकास्थापित्यकरनेमेंहीयोगदानदिया | परन्तुस्वाधीनताकेबादहिंदीकेप्रसारनेगतिपकड़ीऔरअपनेविकासकीयात्राशुरूकी |
बहुभाषिकताकीदृष्टिसेदेखाजायेतोभारतमेंकईभाषाएँसंपर्कभाषाकाकामकरतीहैं।प्राचीनभारतमेंयहभूमिकासंस्कृतनेनिभाईऔरआधुनिकभारतमेंयहकामहिंदीकररहीहै।यहभीदेखाजासकताहैकिजब-जबभारतमेंकोईआंदोलनखड़ाहुआ, तब-तबउनआंदोलनोंमेंहिंदीभाषाकोअपनाया।यहीआवश्यकता 19वीं-20वींशताब्दीमेंस्वतंत्रताआंदोलनमेंभीदेखीजासकतीहै।इसलिएमहात्मागाँधीऔरअन्यनेहिंदीकोराष्ट्रभाषाकेरूपमेंप्रतिष्ठाप्रदानकी
औरयहीआधारराजभाषाकेरूपमेंभीहिंदीकीप्रतिष्ठाकारहा।आज21वींशताब्दीमेंहिंदीभाषाअपनीइन्हीविशेषताओंकेकारणवैश्विकविस्तारकेनएआयामछूरहीहै | इसेहिंदीकेसंदर्भमेंसंचारमाध्यमकीबड़ीदेनकहाजासकताहै।तकनीकीक्षेत्रमेंभीहिंदीकीबहारदिखाईदेतीहै | जैसे- सोशलनेटवर्किंगऔरब्लॉगिंगमें।जिसअंदाजमेंहिंदीविश्वनेफेसबुककोअपनायाहै, वहअद्भुतहै।डॉ. वेदप्रतापवैदिकठीककहतेहैंकि- "हिन्दीऔरसंस्कृतमिलकरसंपूर्णकम्प्यूटर-विश्वपरराजकरसकतीहैं।वेइक्कीसवींसदीकीविश्वभाषाबनसकतीहैं।" कंप्यूटरऔरइंटरनेटपरभीहिंदीनेअपनासिक्काजमादियाहैँ।इससमयहिंदीमेंवैबसाइटे, ईमेल, चैटतथाअन्यहिंदीसामग्रीउपलब्धहैं।इसीप्रकारमोबाइलफ़ोनपरभीहिंदीभाषाप्रयोगकीजारहीहै।
इसकेअलावाहिंदीकाकुंजीपटलभीउपलब्धहोगयाहै।इसलिएहमगर्वसेकहसकतेहै-
“मेरातन-मन-धन,
मेरीपहचानहैहिंदी
सारीभाषाओकोप्रस्फुटितकरनेवाली
हरभारतीयकास्वाभिमानहैहिंदी
||”
हिंदीभाषाकेइसविस्तारमेंयहनिहितहैकिगतिशीलताहिंदीकाबुनियादीचरित्रहैऔरहिंदीअपनीलचीलीप्रकृतिकेकारणस्वयंकोआसानीसेबदललेतीहै।यहप्रवृत्तिहिंदीकेनिरंतरविकासकाआधारहैऔरजबतकयहप्रवृत्तिहैतबतकहिंदीकाविकासरुकनहींसकता।इसलिएयहआवश्यकहैकिहमहिंदीकाप्रयोगअधिकसेअधिककरें, ताकिहिंदीकाविकासनिरन्तरहोतारहे ||
पुष्पातिवारी
एहल्कॉन
इंटरनेशनल स्कूल
मयूर विहार
फेस -1 ,
दिल्ली- 110091